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'पवार ने उद्धव ठाकरे को पहले ही बगावत की चेतावनी दे दी थी', फिर क्यों अपना किला नहीं बचा पाए सीएम?

कुछ विधायकों ने अब खुलकर बताया है कि सरकार में दिक्कत कहां पर आ रही थी? जो ये सब हो गया

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Uddhav Thackeray Sharad Pawar
उद्धव ठाकरे और शरद पवार (फोटो- पीटीआई/आजतक)
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साकेत आनंद
22 जून 2022 (Updated: 22 जून 2022, 10:59 AM IST) कॉमेंट्स
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महाराष्ट्र (Maharashtra) में शिवसेना (Shiv Sena) नेता एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) की बगावत के बाद सरकार बचाने की कवायद जारी है. बताया जा रहा है कि मौजूदा राजनीतिक संकट को लेकर कई महीनों से आशंका जताई जा रही थी. अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि कुछ महीने पहले ही एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने उद्धव ठाकरे को शिवसेना के भीतर 'बढ़ते गुस्से' को लेकर चेताया था. पवार ने 'संभावित बगावत' को लेकर भी संकेत दिया था.

‘नेताओं से नहीं मिलते ठाकरे’

एक बड़े नेता ने एक्सप्रेस को बताया, 

"शरद पवार ने करीब 4 से 5 महीने पहले उद्धव ठाकरे को चेतावनी दी थी. ठाकरे को सलाह दी थी कि वे अपने पार्टी नेताओं और महा विकास अघाडी के दूसरे मंत्रियों के साथ मिलकर बातचीत शुरू करें. नेताओं के लिए मुख्यमंत्री उपलब्ध नहीं थे, इसलिए पवार ने एमवीए नेताओं के बीच बढ़ते असंतोष को भांप लिया था. कुछ मौकों पर तो पवार भी ठाकरे से अप्वाइंटमेंट नहीं ले पाते हैं. नेताओं को समय नहीं दे पाने के कारण पवार भी सीएम से नाराज हैं."

वहीं, एक कांग्रेस नेता ने बताया कि पार्टी के विधायकों और मंत्रियों ने दिल्ली में आलाकमान के सामने इस मुद्दे को दो बार उठा चुके हैं. उन्होंने कहा, 

"कई मौकों पर हमारे कैबिनेट मंत्रियों को किसी प्रोजेक्ट या पॉलिसी पर मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप की जरूरत पड़ी. लेकिन मुख्यमंत्री कार्यालय से अप्वाइंटमेंट मिलना असंभव जैसा है."

‘CM ने 45 कॉल का भी जवाब नहीं दिया’

उद्धव ठाकरे के इस व्यवहार की वजह से कई विधायक निराश हैं. MVA गठबंधन के साथ जुड़े छोटे दलों और निर्दलीय विधायकों ने भी इसी तरह की चिंता जताई. शिकायत है कि उद्धव ठाकरे से मिल पाना विधायकों के लिए मुश्किल भरा काम है.

एमवीए सरकार को समर्थन कर रही एक पार्टी के विधायक ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, 

"मैंने सीएमओ में 45 बार कॉल किया था. लेकिन कोई जवाब नहीं मिला. छोटे दलों और निर्दलीय विधायकों को महत्व नहीं देने के रवैये से नाराजगी बढ़ी है. इसलिए विधान परिषद और राज्यसभा चुनावों के दौरान कई विधायकों ने शिवसेना से दूरी बना ली."

‘शिवसेना का आंतरिक मामला’

इससे पहले जब मंगलवार 21 जून को एकनाथ शिंदे के कारण राजनीतिक संकट गहराया तो शरद पवार ने मीडिया से बात की. उन्होंने इस मुद्दे को शिवसेना का आंतिरक मामला बता दिया. पवार ने कहा कि अगर शिवसेना महाराष्ट्र सरकार के नेतृत्व में बदलाव करती है कि एनसीपी भी उसे सपोर्ट करेगी. हालांकि उन्होंने यह भी कह दिया कि उद्धव ठाकरे बेहतर नेतृत्व दे रहे हैं.

फिलहाल शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे विधायकों के साथ सूरत से गुवाहाटी पहुंच चुके हैं. गुवाहाटी में बीजेपी विधायक सुशांत बरगोहन शिवसेना के विधायकों को लेने पहुंचे. दौरान एकनाथ शिंदे ने दावा किया कि उनके साथ 40 विधायक मौजूद हैं. उन्होंने गुवाहाटी एयरपोर्ट पर मीडिया से ये भी कहा कि वे शिवसेना नहीं छोड़ रहे और बालासाहेब के हिंदुत्व को आगे ले जाना चाहते हैं.

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