बर्खास्त लेखपाल ने खुद को 'गेल' का अधिकारी बता लाखों की धोखाधड़ी की, जानिए पता कैसे चला
आरोपी रामनरेश ने चालीस हजार रुपए महीने पर एक दफ्तर भी किराए पर लिया था. अपने दफ्तर के लिए उसने 18 कर्मचारियों को 22 से 30 हजार तक की सैलरी पर काम करने के लिए भी रखा था. इतना ही नहीं उसने अपने दफ्तर के लिए कड़े सुरक्षा इंतजाम भी किए थे.
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उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में एक शख्स ने सरकारी अधिकारी बन लाखों रुपयों की ठगी की है. आरोपी ने शाहजहांपुर में एक दफ्तर भी खोला था और 18 लोगों को नौकरी पर भी रखा था. जिन्हें वो सर्वे का काम देता था. हाल ही में उसने 3200 करोड़ का फर्जी टेंडर जारी किया था. जिसके बाद मामले का खुलासा हुआ. साल 2012 में फर्जीवाड़े के चलते उसे लेखपाल के पद से बर्खास्त कर दिया गया था.
न्यूज एजेंसी PTI की रिपोर्ट के मुताबिक SP अशोक कुमार मीणा ने बताया कि उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले स्थित शाहबाद कस्बे के रहने वाले रामनरेश शुक्ला ने शाहजहांपुर के निगोही में अपना कार्यालय खोला था. वो खुद को गैस अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड(गेल) का अधिकारी बताता था. रिपोर्ट के मुताबिक आरोपी रामनरेश ने चालीस हजार रुपए महीने पर एक दफ्तर भी किराए पर लिया था. अपने दफ्तर के लिए उसने 18 कर्मचारियों को 22 से 30 हजार तक की सैलरी पर काम करने के लिए भी रखा था. इतना ही नहीं उसने अपने दफ्तर के लिए कड़े सुरक्षा इंतजाम भी किए थे. सुरक्षा इतनी की चायवाला की भी सुरक्षाकर्मा दफ्तर के बाहर ही रोक देते थे. वो अपने यहां काम करने वाले कर्मचारियों को गैस पाइपलाइन सर्वे के लिए ग्राउंड पर भेजता था.
SP अशोक कुमार ने मामले को लेकर आगे बताया कि आरोपी राम नरेश ने गैस पाइप लाइन बिछाने के लिए 3200 करोड़ का फर्जी टेंडर जारी किया था. साथ ही उसने अपने कार्यालय में काम कर रहे लोगों को गेल में नौकरी दिलाने का झांसा भी दिया था. उसने इसके लिए उनसे लाखों रुपए भी लिए थे.
कैसे हुआ खुलासा?SP के मुताबिक कुछ ठेकेदार टेंडर के सिलसिले में राम नरेश के दफ्तर गए थे. जहां उन्हें दफ्तर के अंदर का काम और टेंडर पर शक हुआ. इसके बाद उन्होंने निगोही थाने में मामले की जानकारी दी. उन्होंने पुलिस को 3200 करोड़ रुपए के टेंडर के बारे में बताया और उनसे 3 लाख रुपए रजिस्ट्रेशन चार्ज और 9 करोड़ सिक्योरिटी जमा करने के लिए कहा गया था. इसके लिए उसने उन लोगों से 18 लाख रुपए की डिमांड ड्राफ्ट(डीडी) भी ली थी. घटना की जानकारी मिलने के बाद आरोपी राम नरेश को हिरासत में लेकर पूछताछ की गई. इस दौरान उसने अपना जुर्म कबूल कर लिया.उसने बताया कि वो साल 2012 में लेखपाल पद पर कार्यरत था. इस दौरान उसने ददरौल के तत्कालीन विधायक राममूर्ति वर्मा से एक जमीन के मामले में छह करोड़ रुपए की धोखाधड़ी की थी. जिसके बाद उसे बर्खास्त कर दिया गया था. उस घटना के बाद आरोपी को हरदोई के जिला जेल में भेज दिया गया था.