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'सनातन धर्म को क्यों नष्ट किया जाना चाहिए...' विवाद के बीच मद्रास हाई कोर्ट ने किसे सुनाया?

हाई कोर्ट ने कहा कि सनातन धर्म शाश्वत कर्तव्यों का समूह है, जिसमें देश के लोगों, राजा, माता-पिता और गुरुओं के प्रति कर्तव्य शामिल हैं.

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Madras High Court on sanatana Dharma debate said it is a set of duties.
सनातन धर्म विवाद पर मद्रास हाई कोर्ट ने ये भी कहा कि 'फ्री स्पीच हेट स्पीच न हो' इसका भी ध्यान रखना होगा. (फोटो क्रेडिट - ट्विटर)
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प्रज्ञा
16 सितंबर 2023 (Published: 08:39 PM IST) कॉमेंट्स
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सनातन धर्म के विवाद (Sanatana Dharma Debate) को लेकर अब मद्रास हाई कोर्ट ने एक बड़ी टिप्पणी की है. हाई कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को नफरत फैलाने के लिए इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि सनातन धर्म शाश्वत कर्तव्यों का समूह है, जिसमें देश के लोगों, राजा, माता-पिता और गुरुओं के प्रति कर्तव्य शामिल हैं. इसमें गरीबों की देखभाल करना भी शामिल है, इसे क्यों नष्ट किया जाना चाहिए.

मद्रास हाई कोर्ट के जस्टिस एन. शेषशायी जो एलंगोवन नाम के व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई कर रहे थे. ये याचिका एक स्थानीय सरकारी ऑर्ट्स कॉलेज से जारी एक सर्कुलर के खिलाफ दायर की गई. याचिका में बताया गया कि कॉलेज ने “सनातन का विरोध” विषय पर छात्रों से अपने विचार साझा करने के लिए कहा था. जस्टिस शेषशायी ने इस विषय पर चल रही बहस पर चिंता जाहिर की और कहा,

"ऐसा लगता है एक विचार ने जोर पकड़ लिया है. लोगों को लगता है कि सनातन धर्म पूरी तरह जातिवादी है और छुआछूत को बढ़ावा देता है."

जस्टिस शेषशायी ने इस तरह की विचारधारा को पूरी तरह खारिज कर दिया. उन्होंने कहा,

"समान नागरिकों वाले देश में छुआछूत को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता. भले ही सनातन धर्म के सिद्धांतों में कहीं इसकी इजाज़त हो, लेकिन हमारे देश में इसकी कोई जगह नहीं, क्योंकि संविंधान के अनुच्छेद 17 में ये साफ कहा गया है कि छुआछूत खत्म हो गई है."

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'फ्री स्पीच, हेट स्पीच न हो' - हाई कोर्ट 

जस्टिस शेषशायी ने आगे फ्री स्पीच पर भी टिप्पणी की. उनके मुताबिक,

"फ्री स्पीच एक मौलिक अधिकार है. लेकिन इसे नफरत फैलाने के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए. खास तौर पर जब कोई धर्म का मसला हो."

उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि ये सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि इस तरह के भाषण से कोई आहत न हो. उन्होंने कहा,

"हर धर्म आस्था पर आधारित होता है. आस्था में स्वभावत: अतार्किकता होती है. ऐसे में धर्म से जुड़े हुए मामलों में ये ध्यान रखा जाना चाहिए कि कोई भी व्यक्ति आहत न हो. दूसरे शब्दों में कहा जाए तो फ्री स्पीच को हेट स्पीच नहीं बनाया जाना चाहिए."

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स्टालिन के बयान से शुरू हुआ था विवाद  

हाई कोर्ट की ये टिप्पणी तमिलनाडु के युवा कल्याण और खेल विकास मंत्री उदयनिधि स्टालिन के सनातन धर्म को लेकर दिए विवादित बयान के मद्देनज़र आई है. स्टालिन ने सनातन धर्म की डेंगू और मलेरिया जैसी बीमारियों से तुलना की थी. इसके लिए उन्हें भारी विरोध का सामना करना पड़ा.

BJP ने आरोप लगाए कि विपक्षी INDIA गठबंधन सनातन धर्म को खत्म करना चाहता है. वहीं, इस विवाद के चलते उदयनिधि स्टालिन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दायर की गई है. 

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