बुधवार को दिल्ली के बाबुओं के बीच हड़कंप मच गया था. सीबीआई अफसर आर के दत्ता को होम मिनिस्ट्री के एक दूसरे डिपार्टमेंट में ट्रांसफर कर दिया गया. हड़कंप की दो वजहें थीं. एक तो कि दत्ता सीबीआई के सबसे सीनियर अफसर थे और वर्तमान सीबीआई डायरेक्टर ए के सिन्हा रिटायर हो रहे हैं. तो दत्ता के बनने के पूरे चांसेज थे. दूसरा कि दत्ता दो हाई प्रोफाइल केसों 2-जी और कोल ब्लॉक घोटाला की जांच कर रहे थे. सुप्रीम कोर्ट का ऑर्डर था कि इन हाई प्रोफाइल केसों की जांच कर रहे अधिकारी हटाये नहीं जायेंगे. ट्रांसफर से पहले कोर्ट से आदेश लेना होगा.
पर सरकारी कथा-वाचक लोगों का कहना है कि दत्ता एक इंवेस्टिगेशन अफसर नहीं थे. सुपरवाइजर थे. 1981 बैच के आईपीएस अफसर.
सीबीआई डायरेक्टर का चुनाव कॉलेजियम सिस्टम से होता है. प्रधानमंत्री, नेता प्रतिपक्ष और सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस मिलकर करते हैं ये चुनाव. पर अब दत्ता के ट्रांसफर के बाद नाम आया उनके तीन साल जूनियर अफसर राकेश अस्थाना का. ये गुजरात कैडर के आईपीएस हैं. अभी सीबीआई में एडिशनल डायरेक्टर थे. राकेश ने भी बड़े-बड़े मामलों की जांच की है. इनमें चारा घोटाला, कोलतार घोटाला, विजय माल्या केस और अगस्टा वेस्टलैंड केस शामिल हैं. आसाराम केस की जांच भी इन्होंने ही की थी.
सीबीआई डायरेक्टर का चुनाव हमेशा विवाद में रहता है. सुप्रीम कोर्ट ने भी सीबीआई को पिंजड़े का तोता कहा था. राजनीति में सीबीआई को सरकारें अपने एक हाथ की तरह इस्तेमाल करती हैं. पिछले चीफ रंजीत सिन्हा को भी दिल्ली पुलिस कमिश्नर नीरज कुमार के ऊपर चुना गया था. अश्विनी कुमार को एम एल शर्मा को ऊपर चुना गया. ये वही अश्विनी कुमार थे जिनके करियर पर आधारित रोल इरफान खान ने फिल्म तलवार में किया था.
राकेश अस्थाना को आज चीफ चुन लिया गया.
राकेश अस्थाना का जन्म रांची में हुआ था. 1961 में. झारखंड के नेतरहाट से पढ़े. इनके पापा उसी स्कूल में फिजिक्स पढ़ाते थे. इसके बाद रांची के ही सेंट जेवियर्स से पढ़े. जेएनयू से पढ़े. फिर सेंट जेवियर्स में टीचर बन गये. 1984 में इनका सेलेक्शन यूपीएससी में हो गया और आईपीएस के तौर पर इनको गुजरात कैडर मिला.इनका नाम कर्त्तव्यनिष्ठ और ईमानदार अधिकारियों में आता है. सीबीआई की एंटी करप्शन यूनिट में एसपी थे ये धनबाद में. रांची में डीआईजी थे. 1994 के पुरुलिया आर्म्स ड्रॉप केस की इंवेस्टिगेशन किये थे. फिर चारा घोटाले की भी जांच की. इसी के आधार पर लालू को जेल हुई थी. राकेश ने लालू से छह घंटे पूछताछ की थी. राकेश को इसी पूछताछ के लिये जाना जाता है. धनबाद में ही राकेश ने खान सुरक्षा महानिदेशालय के महानिदेशक को घूस लेते पकड़ लिया था. अपने स्तर की ये सबसे बड़ी गिरफ्तारी थी देश में.बाद में गोधरा कांड की जांच में भी राकेश शामिल थे. इनकी जांच को कोर्ट में सही माना गया था. 26 जुलाई 2008 को अहमदाबाद में हुए ब्लास्ट की जांच इन्होंने की थी. आसाराम बापू और नारायण साईं केस में भी राकेश ही जांच कर रहे थे.