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MLC चुनाव से पहले राजा भैया के करीबी अक्षय प्रताप को जेल, लेकिन पहले ही खेल कर गए!

25 साल पहले के मामले में हुई है सजा.

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अक्षय प्रताप सिंह उर्फ गोपाल जी (फोटो- फेसबुक)
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साकेत आनंद
23 मार्च 2022 (Updated: 23 मार्च 2022, 02:44 PM IST) कॉमेंट्स
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यूपी में MLC चुनाव से ठीक पहले बाहुबली विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया की पार्टी जनसत्ता दल को बड़ा झटका लगा है. एमपी/एमएलए कोर्ट ने राजा भैया के करीबी और चुनाव प्रत्याशी अक्षय प्रताप सिंह को 7 साल की सजा सुनाई है. बीती 15 मार्च को अक्षय प्रताप फर्जी पते पर हथियार का लाइसेंस लेने के मामले में दोषी पाए गए थे. कोर्ट ने उन पर 10 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है. इससे पहले मंगलवार, 22 मार्च को ही अक्षय प्रताप को पुलिस हिरासत में ले लिया गया था. सजा के ऐलान के बाद अब वो एमएलसी चुनाव नहीं लड़ पाएंगे.

पत्नी का नामांकन करवा दिया था

अक्षय प्रताप सिंह ने जनसत्ता दल लोकतांत्रिक से एमएलसी चुनाव के लिए नामांकन भरा था. हालांकि इस सजा की संभावना को देखते हुए उन्होंने बैकअप तैयार कर लिया था. एमएलसी चुनाव के लिए अक्षय ने पहले ही अपनी पत्नी मधुरिमा सिंह का नामांकन करवा दिया था. यूपी विधान परिषद की 36 सीटों पर 9 अप्रैल को वोटिंग होनी है. विधानसभा चुनाव की तरह एमएलसी चुनाव में भी मुकाबला सपा और बीजेपी के बीच माना जा रहा है.
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राजा भैया के साथ अक्षय प्रताप सिंह (फोटो- फेसबुक)

अक्षय प्रताप सिंह प्रतापगढ़ से तीन बार एमएलसी रहे हैं. वे प्रतापगढ़ सीट से 2004 से 2009 तक सपा के लोकसभा सांसद भी रह चुके हैं. जनसत्ता दल के अध्यक्ष राजा भैया की तरह अक्षय प्रताप को भी प्रतापगढ़ में एक 'दबंग' नेता के तौर पर जाना जाता है. 2016 में वे सपा के टिकट पर ही एमएलसी बने थे. लेकिन राजा भैया और अखिलेश यादव के बीच आई तल्खियों के चलते इन्होंने भी अपना रास्ता बदल लिया. बाद में 2019 में वे जनसत्ता दल में शामिल हो गए थे. उसी साल उन्होंने पार्टी के टिकट पर लोकसभा चुनाव भी लड़ा, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. सजा का पूरा मामला जिस मामले में अक्षय प्रताप सिंह को सजा हुई है, वो करीब 25 साल पहले का है. आजतक की रिपोर्ट के मुताबिक, 6 सितंबर 1997 को अक्षय प्रताप उर्फ गोपालजी के खिलाफ आईपीसी की धारा 420, 468 और 471 के तहत केस दर्ज किया गया था. आरोप लगा कि उन्होंने रिवॉल्वर के लाइसेंस के लिए गलत पता दिया था. खबरों के मुताबिक अक्षय प्रताप ने अपना पता बस अड्डा, नगर कोतवाली प्रतापगढ़ बताया था. जबकि उनका असल पता कुछ और था. कोर्ट ने इसी मामले में उन्हें 7 साल की सजा सुनाई है.
अक्षय प्रताप पर इससे पहले भी कई गंभीर मुकदमे दर्ज हो चुके हैं. इनमें हत्या का मामला भी शामिल है. 2004 में जब अक्षय प्रताप लोकसभा सांसद बने थे, तब उनके खिलाफ 26 आपराधिक मामले दर्ज थे. हालांकि धीरे-धीरे इनमें से कई मुकदमे खत्म होते गए.

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