ट्रेन की मिडल बर्थ है और साथ की सीट वाला सोने नहीं दे रहा, तो ये नियम सफर में काम आएंगे
Integrated Rail Madad Helpline: अब अगर सफर राएगाँ (बेमतलब की यात्रा) है, तो कोई बात नहीं. लेकिन टिकट चेक करने वाले भाई साहब आधी रात को आवाज ना दें, तो क्या बात हो! लेकिन सोने से पहले Ticket check ना हो, तो धुक-धुकी लगी रहती है. अब आएंगे, अब आएंगे. इस चक्कर में ना सो पाते हैं. ना मुनीर नियाज़ी के शेर पढ़ पाते हैं. तो बेहतर होगा, Railway की ये गाइडलाइंस ही पढ़ लें.

रंगी को नारंगी कहे, खरे दूध को खोया. चलती को गाड़ी कहे, देख कबीरा रोया… गाड़ी, तो ट्रेन (Train) को भी कहते हैं. जिसमें अगर मिडल बर्थ मिल जाए. तो समझिए, एक-आध बवाल का संयोग बन ही सकता है. पता चले आपका सोेने का मन है. लेकिन साथ वाले भाई साहब या बहिन जी का मन है, मोबाइल में मिशन इंपॉसिबल (Mission impossible) हिन्दी डब देखने का, वो भी बिना इयर फोन्स के. ऐसे में रेलवे के नियम, मिडल बर्थ पर सोने की टाइमिंग्स को लेकर क्या कहते हैं (Railway rules middle berth)? जान ही लेना चाहिए सुविधा रहेगी.
मुनीर नियाज़ी साहब ने लिखा है और क्या खूब लिखा है,
आवाज दे के देख लो शायद वो मिल ही जाए
वर्ना ये उम्र भर का सफर राएगाँ तो है
अब गर सफर राएगाँ (बेमतलब की यात्रा) है, तो कोई बात नहीं. लेकिन टिकट चेक करने वाले भाई साहब आधी रात को आवाज ना दें, क्या बात हो! लेकिन सोने से पहले टिकट चेक ना हो, तो धुक-धुकी लगी रहती है. अब आएंगे, अब आएंगे. इस चक्कर में ना सो पाते हैं. ना मुनीर नियाज़ी के शेर पढ़ पाते हैं.
अब सवाल ये कि इसमें रेलवे का नियम क्या कहता है? टिकट चेक करने वाले भाई साहब कब टिकट देख सकते हैं, कब देखना चाहिए?
रात में टिकट चेक का टाइमसाल 2017 में इस बारे में रेल मंत्रालय की ओर से जारी एक सर्कुलर की मानें, तो रिजर्व कोच में रात में टिकट चेक करने को लेकर कुछ कायदे तो हैं. मसलन आमतौर पर चेंकिग स्टाफ को निर्देश दिए जाने चाहिए, कि वो रात 10 बजे से लेकर 6 बजे के बीच - रिजर्व कोच में टिकट चेक करने से बचें.
हालांकि इसमें कुछ अपवाद भी हैं. जैसे अगर कोई ट्रेन में चढ़ा ही रात 10 बजे के बाद है, तो यह लागू नहीं होगा. या फिर जहां ट्रेन ही रात 10 बजे के बाद चले. या फिर जहां बोर्डिंग के बाद टिकट चेक ना किया गया हो.

लेकिन इस सब के साथ ये हिदायद भी दी जाती है कि टिकट चेक करने वाला स्टाफ इस बात का खास ख्याल रखे कि यात्रियों को रात में बिना वजह परेशान ना किया जाए.
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साथ ही जिन लोगों का टिकट चेक हो चुका है, उन्हें रात 10 बजे से लेकर सुबह 6 बजे तक, बिना किसी ठोस वजह के परेशान नहीं किया जाना चाहिए.
हालांकि इन नियमों का इस्तेमाल बिना टिकट यात्रा कर रहे लोग, एक बहाने की तरह नहीं कर सकते हैं. कोई गैर-टिकट व्यक्ति ना आए, ये सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी भी टिकट चेक करने वाले स्टाफ की है.
चलो, मान लिया टिकट भी रात 10 बजे के पहले चेक हो गया. अब सोने में कोई दिक्कत नहीं आएगी. लेकिन ये मिडल बर्थ का क्या किया जाए. साथ वाला यात्री अगर 10 बजे के बाद नहीं सोना चाहता, इस बारे में क्या कायदे हैं?
साथ वाला यात्री बवाल काटे तोकायदे कहते हैं कि रिजर्व क्लास में सीटों पर सोने की व्यवस्था, रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक होगी. यानी मिडल बर्थ तब खोल सकते हैं. वहीं बाकी टाइम बैठने के लिए निर्धारित है.
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वहीं साइड अपर वाली सीट में भी यही टाइमिंग है. साइड लोवर सीट में बैठने का समय रात 10 बजे से लेकर सुबह 6 बजे तक नहीं होगा.
साथ ही अगर नीचे की सीट रिजर्वेशन अगेंस्ट कैंसेलेशन (RAC) के तहत बुक है, तो भी ऊपर वाले पैसेंजर को दिन में नीचे की सीट में बैठने की सुविधा - इस टाइमिंग में दी जाएगी.
ये हिदायद भी दी जाती है कि अगर को गर्भवती महिला, विकलांग या बीमार शख्स इस टाइमिंग के इतर सोना चाहें, तो साथी यात्री सहयोग करें.
वरना ये उम्र भर का सफर राएगाँ तो है ही.
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