29 जनवरी 2016 (Updated: 28 जनवरी 2016, 04:21 AM IST) कॉमेंट्स
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गुरुवार को हजरत निजामुद्दीन की दरगाह पर जियारत करने पहुंचे स्पेशल गेस्ट. कांग्रेस के वाइस प्रेसीडेंट राहुल गांधी. दरगाह जाने से पहले ब्रेक लिया उर्स महल में. वहां ख्वाजा सईद अहमद निजामी ने दस्तारबंदी की. दस्तारबंदी मतलब वो पगड़ी बांधी जाती है सिर पर. दरगाह पर खुला सिर लेकर नहीं जाते न. इस मौके पर बड़े हाई फाई इंतजाम थे वहां पर.
वहां अच्छा खासा वक्त बिताया. तकरीबन आधा घंटा. उनके ट्विटर एकाउंट पर ये ट्वीट भी आया है देखो.
https://twitter.com/OfficeOfRG/status/692752539377205248
कौन थे हजरत निजामुद्दीन
हजरत निजामुद्दीन औलिया 13वीं सदी के बड़े चिस्ती संत थे. पहुंचे हुए फकीर. 1238 में यूपी, बदायूं में पैदा हुए. पांच साल के थे जब बाप का साया सिर से उठ गया. मां बीबी जुलेखा के साथ आ गए दिल्ली.
20 साल की उम्र में अजोधन गए. ये जगह अब पाकिस्तान में है पाकपट्टन के नाम से. वहां बाबा फरीद के चेले बन गए. वहां से लौटे तब सूफी मस्ती सवार हो चुकी थी. उसके बाद हर साल रमजान पर अपने गुरु के साथ वक्त बिताने जरूर पहुंचते थे. बाकी जिंदगी इनकी दिल्ली में ही गुजरी.
मोइनुद्दीन चिस्ती इनसे पहले के चिस्ती संत थे. निजामुद्दीन के चेले थे नसीरुद्दीन चिराग ए देहलवी और फेमस कवि अमीर खुसरो. अपने गुरुओं की परंपरा को बहुत अच्छे से संभाला. दुनिया को प्यार से रहने की नसीहत दी. सन 1325 में हजरत निजामुद्दीन जन्नतनशीं हुए.
ये दरगाह उन्हीं हजरत निजामुद्दीन की है. पश्चिमी दिल्ली में. इस दरगाह के साथ ही अमीर खुसरो और मुगल सल्तनत की राजकुमारी जहां आरा बेगम की मजारें भी हैं. हर साल यहां हिंदुस्तान और हिंदुस्तान के बाहर से लोग जियारत करने पहुंचते हैं. धरम मजहब का कोई चक्कर नहीं है. हिंदू मुसलमान सब आते हैं. यहां जो कव्वाली होती है वो वर्ल्ड फेमस है. कलाकारों को दुनिया भर में प्रोग्राम करने के लिए बुलाया जाता है.
हर साल यहां उर्स होता है. इस साल 712वां उर्स चल रहा है जो चलेगा 30 जनवरी तक. राहुल गांधी पहुंचे हैं क्योंकि स्पेशल गेस्ट के तौर पर बुलाया गया था. अब पहुंचे हैं तो कुछ न कुछ तो मांगा ही होगा. अब दिमाग लड़ाओ क्या मांगा होगा.