The Lallantop
Advertisement

कतर में भारतीय नौसेना के 8 पूर्व अधिकारियों को फांसी की सजा के पीछे इज़रायल कनेक्शन क्या है?

भारत सरकार ने कहा, हम हैरान हैं.

Advertisement
qatar eight ex indian naval officers of spying for israel on submarine programme
कतर ने भारतीय नौसेना के 8 पूर्व अधिकारियों पर आरोप लगाया था कि वो कतर के इस प्रोग्राम की गोपनीय जानकारी इज़रायल से साझा कर रहे थे. (सांकेतिक फोटो- ट्विटर)
26 अक्तूबर 2023 (Updated: 27 अक्तूबर 2023, 17:39 IST)
Updated: 27 अक्तूबर 2023 17:39 IST
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

भारतीय नौसेना के आठ पूर्व अधिकारियों को कतर में फांसी की सजा सुनाई गई है (8 ex Indian Navy officers sentenced to death in Qatar). इन सभी अधिकारियों पर जासूसी के आरोप लगे थे. ये आरोप क्या हैं, ये बात कतर ने सार्वजनिक नहीं की है. लेकिन कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि इन अधिकारियों पर कतर के सबमरीन प्रोग्राम की गोपनीय जानकारी इज़रायल से साझा करने का इल्ज़ाम लगा है. 

ये अधिकारी अगस्त 2022 में गिरफ्तार किये गए थे. अब उनके मामले में फैसला आया है.

कतर का सबमरीन समझौता

द प्रिंट में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक कतर ने इटली मेड हाई टेक सबमरीन खरीदने के लिए एक समझौता किया था. ट्राइस्टे स्थित जहाज बनाने वाली कंपनी ‘फिनकेंटियरी एसपीए’ के साथ ये समझौता साल 2020 में हुआ था. प्रोजेक्ट के तहत कंपनी को कतर में नौसेना का एक बेस बनाना था, साथ ही नौसैनिक बेड़े की देखरेख भी करनी थी. कतर ने समझौते के तहत चार कॉर्वेट (जहाज़ का एक प्रकार) और एक हेलीकॉप्टर का ऑर्डर भी दिया था.  

इज़रायल के लिए जासूसी के आरोप!

कतर ने भारतीय नौसेना के 8 पूर्व अधिकारियों पर आरोप लगाया था कि वो कतर के इस प्रोग्राम की गोपनीय जानकारी इज़रायल से साझा कर रहे थे. रिपोर्ट के मुताबिक कतर की इंटेलिजेंस एजेंसी ‘कतर स्टेट सिक्योरिटी’ ने दावा किया था कि उसने भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारियों के उस सिस्टम को इंटरसेप्ट कर लिया था, जिससे वो कथित रूप से जासूसी कर रहे थे. हालांकि, कतर ने भारत सरकार के साथ ऐसा कोई भी सबूत साझा नहीं किया था.

संसद में उठा था मुद्दा

कतर में नौसेना के 8 पूर्व अधिकारियों को फांसी की सजा सुनाए जाने के बाद विपक्षी नेताओं की प्रतिक्रिया भी सामने आई है. सांसद मनीष तिवारी ने सोशल मीडिया वेबसाइट X पर बताया कि उन्होंने ये मुद्दा पिछले साल लोक सभा में उठाया था. तिवारी ने लिखा,

“नौसेना के 8 रिटायर्ड अधिकारियों की गिरफ्तारी का मामला मैंने 7 दिसंबर 2022 को लोकसभा में उठाया था. उस वक्त वो 120 दिनों से एकांत कारावास में थे. संसद के अंदर और बाहर मैंने ये मुद्दा कई बार उठाया है.”

मनीष तिवारी ने आगे कहा कि अधिकारियों के परिवारों को कभी ये जानकारी नहीं दी गई कि उन पर क्या आरोप लगे हैं. उनके बचाव के लिए नियुक्त किया गया वकील भी परिवारों के साथ टालमटोल कर रहा है. ये काफी दुर्भाग्यपूर्ण है. विदेश मंत्रालय और विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अधिकारियों के परिवार के सदस्यों, एक्स सर्विसमैन लीग और यहां तक ​​कि संसद के सदस्यों की बात को भी कभी गंभीरता से नहीं लिया.

तिवारी ने कहा PMO को इस मामले को कतर सरकार के साथ उच्चतम स्तर पर उठाना चाहिए और हमारे पूर्व नौसेना अधिकारियों की सजा को तुरंत कम कराकर घर वापस लाना चाहिए.

विदेश मंत्रालय ने मुद्दे को महत्वपूर्ण बताया

कतर में पूर्व नौसेना अधिकारियों पर सुनाए गए फैसला को लेकर भारतीय विदेश मंत्रालय ने हैरानी व्यक्त की है. मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा,

“हम सभी अधिकारियों के परिवार के सदस्यों और कानूनी टीम के संपर्क में हैं. साथ ही कानूनी विकल्प भी तलाश रहे हैं. मामले को हम काफी महत्वपूर्ण मानते हैं और इस पर बारीकी से नजर रखी जा रही है.”

विदेश मंत्रालय ने कहा कि वो अधिकारियों को कॉन्सुलर और कानूनी सहायता देना जारी रखेंगे. इस फैसले को कतर के अधिकारियों के सामने भी उठाया जाएगा. विदेश मंत्रालय ने ये भी कहा कि इस मामले की कार्रवाई की गोपनीयता के कारण, इस वक्त कोई और टिप्पणी करना उचित नहीं होगा.

(ये भी पढ़ें: कतर में भारतीय नौसेना के 8 पूर्व अधिकारियों को फांसी की सजा, क्या आरोप लगे थे?)

वीडियो: दुनियादारी: क़तर में फ़ीफ़ा वर्ल्ड कप से पहले किस बात पर हंगामा मचा है?

thumbnail

Advertisement

Advertisement