PM मोदी ने RBI गवर्नर को 'पैसे के ढेर पर बैठा सांप' कहा था? किताब में दावा
Modi सरकार के साथ तनातनी के कारण Urjit Patel ने दिसंबर 2018 में RBI गवर्नर पद से इस्तीफा दे दिया था.

याद कीजिए साल 2017 और 2018, जब मोदी सरकार और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के बीच टकराव की खबरें खूब छपती थीं. समय से काफी पहले उर्जित पटेल (Urjit Patel) ने RBI गवर्नर पद से इस्तीफा दे दिया था. अब उसी टकराव की कहानी छन कर एक किताब में दर्ज हुई है. मोदी सरकार में ही वित्त सचिव रह चुके सुभाष चंद्र गर्ग की एक किताब 'We Also Make Policy' आ रही है. किताब में गर्ग ने 14 सितंबर 2018 का एक किस्सा लिखा है. उस दिन देश की आर्थिक स्थिति और सरकार-RBI के बीच तनाव को लेकर बैठक थी. इसी बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने अपना आपा खो दिया और तब के RBI गवर्नर उर्जित पटेल को "पैसे के ढेर पर बैठा सांप" बता दिया.
अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस ने सुभाष गर्ग की किताब का एक हिस्सा छापा है. ये किताब अक्टूबर में रिलीज होगी. सुभाष गर्ग ने लिखा है कि प्रधानमंत्री ने ये बयान दो घंटे तक उर्जित पटेल, तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली और प्रधान सचिव नृपेंद्र मिश्रा सहित दूसरे अधिकारियों की बातों को सुनने और प्रेजेंटेशन देखने के बाद दिया था. 2 घंटे बाद उन्हें लगा कि कोई समाधान नहीं निकल रहा है. इस बैठक में तत्कालीन रेल मंत्री पीयूष गोयल, अतिरिक्त प्रधान सचिव पीके मिश्रा और RBI के डिप्टी गवर्नर भी थे.
सुभाष गर्ग ने किताब में लिखा है,
"उर्जित पटेल ने कुछ सुझाव दिये थे. ये सभी सुझाव सरकार के लिए थे, RBI के लिए नहीं- क्योंकि उनके हिसाब से RBI पहले से कदम उठा रहा था. उनका मूल्यांकन कुछ इस तरह था कि RBI उस स्थिति में नहीं है और आर्थिक स्थिति के समाधान और सरकार के साथ मतभेदों को सुलझाने के लिए कुछ नहीं कर सकता है. इसी बात पर पीएम नाराज हो गए. मैंने उन्हें इस तरह पहली बार देखा था. उन्होंने उर्जित पटेल की तुलना पैसे के ढेर पर बैठे सांप से कर दी. क्योंकि RBI के रिजर्व पैसों को वे सरकार को नहीं देना चाहते थे."
उर्जित पटेल को सितंबर 2016 में RBI गवर्नर नियुक्त किया गया था. उनके पद संभालने के दो महीने बाद ही केंद्र सरकार ने नोटबंदी की थी. बाद में नीतियों में मतभेद के कारण सरकार के साथ उनके रिश्ते अच्छे नहीं रहे. 10 दिसंबर 2018 को 'निजी कारण' बताते हुए उन्होंने RBI गवर्नर पद से इस्तीफा दे दिया था.

सरकार को पैसे ट्रांसफर करने का मामला बढ़ा
सुभाष चंद्र गर्ग ने अपनी किताब में एक चैप्टर उर्जित पटेल के इस्तीफे पर भी रखा है. इसमें उन परिस्थितियों के बारे में बताया गया है जिसके कारण उन्हें इस्तीफा देना पड़ा. गर्ग ने किताब में लिखा है,
"उन्होंने (पीएम) थोड़ी देर कड़ी बातचीत की. कई मुद्दों को उठाया जहां RBI के हठ से भारत को नुकसान हो रहा था. उन्होंने सरप्लस बनाए रखने का मुद्दा भी उठाया था. उन्होंने प्रधानमंत्री के रूप में जोर देकर उर्जित पटेल को बताया कि वे बोर्ड की मीटिंग करें और अरुण जेटली और वित्तीय टीम के साथ सलाह लेकर समाधान ढूंढें."
गर्ग के मुताबिक RBI और सरकार के बीच विवाद का एक मुद्दा RBI के सरप्लस ट्रांसफर का था. गर्ग ने लिखा है,
"10 अगस्त 2017 को RBI की बोर्ड मीटिंग हुई थी. बोर्ड मेंबर के रूप में मेरी ये पहली मीटिंग थी. मैंने प्रस्ताव दिया था कि साल 2016-17 में RBI के 44 हजार 200 करोड़ रुपये के सरप्लस में 13 हजार 400 करोड़ रखे जाएं. RBI ने भी सरकार को बताया कि करीब 30 हजार करोड़ 2016-17 के सरप्लस के रूप में ट्रांसफर किये जा सकते हैं. लेकिन सरकार पहले के सालों की तरह, 100 परसेंट सरप्लस ट्रांसफर करने को कह रही थी."
किताब में गर्ग ने लिखा है कि उर्जित पटेल के साथ सरकार की तनातनी 12 फरवरी 2018 को शुरू हो गई थी. जब पटेल ने बैंकों के फंसे कर्जों से निपटने के लिए सख्ती करने और डिफॉल्टर्स को इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC) के तहत लाने की बात कही थी.
सुभाष गर्ग के मुताबिक, 14 सितंबर 2018 की मीटिंग में उर्जित पटेल ने जो प्रेजेंटेशन दिया था, वो तब की आर्थिक स्थिति की तुलना में ज्यादा अलार्मिंग था. पटेल ने लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) टैक्स को खत्म करने, विनिवेश के टारगेट को बढ़ाने, सरकारी बॉन्ड में मल्टीलैटरल इंस्टीट्यूट्स को निवेश के लिए मनाने जैसे कई सुझाव दिये थे.
इलेक्टोरल बॉन्ड पर भी असहमतिइसके अलावा गर्ग ने लिखा है कि इलेक्टोरल बॉन्ड्स को लेकर भी उनकी सरकार से असहमति बनी थी. गर्ग लिखते हैं कि शुरुआत में पटेल इलेक्टोरल बॉन्ड्स के प्रस्ताव पर सहमत थे. लेकिन बाद में उन्होंने वित्त मंत्री अरुण जेटली को पत्र लिखा और RBI के अलावा किसी दूसरे बैंक/व्यक्ति की ओर से बॉन्ड जारी किये जाने पर सवाल उठाया. पटेल ने ये भी प्रस्ताव दिया था कि बॉन्ड सिर्फ डिजिटल मोड में ही जारी किए जाएं.
उर्जित पटेल 5 सितंबर 2016 को RBI के 24वें गवर्नर बने थे. उन्होंने रघुराम राजन की जगह ली थी. मोदी सरकार ने राजन को दूसरा कार्यकाल देने से मना कर दिया था. ऐसे में पटेल को चुना गया था. वे रघुराम राजन के डिप्टी रहे थे. उन्हें सरकार की 'गुड बुक' में माना जाता था. बाद में सरकार के साथ कथित मतभेद के कारण इस्तीफा ही दे दिया. हालांकि उन्होंने इस्तीफे में केंद्र सरकार का किसी भी तरीके से सकारात्मक या नकारात्मक रूप से जिक्र नहीं किया था.