The Lallantop
Advertisement

इन तीन वैज्ञानिकों को फिजिक्स का नोबेल, जानिए किस खोज के लिए मिला पुरस्कार

तीनों वैज्ञानिकों ने प्रकाश की छोटी पल्स बनाने के एक तरीके की खोज की है, जिसका उपयोग उन तेज़ प्रक्रियाओं को मापने के लिए किया जा सकता है जिसमें इलेक्ट्रॉन चलते हैं या वो अपनी एनर्जी बदलते हैं.

Advertisement
physics nobel prize awarded to three scientist for study of electron dynamics in matter
तीनों को ये पुरस्कार इलेक्ट्रॉन की गतिशीलता की स्टडी के लिए प्रकाश की एटोसेकेंड पल्स उत्पन्न करने के लिए दिया गया है. (फोटो- X)
3 अक्तूबर 2023
Updated: 3 अक्तूबर 2023 17:14 IST
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज, स्टॉकहोम ने 3 अक्टूबर को फिजिक्स के नोबेल पुरस्कार (Physics Nobel) की घोषणा कर दी है. पियरे अगोस्टिनी (Pierre Agostini), फेरेंक क्रॉस्ज़ (Ferenc Krausz) और ऐनी एल'हुइलियर (Anne L’Huillier) को 2023 के फिजिक्स नोबेल से सम्मानित किया गया है. तीनों को ये पुरस्कार इलेक्ट्रॉन की गतिशीलता की स्टडी करते हुए प्रकाश (Light) की एटोसेकेंड पल्स (Attosecond pulses) उत्पन्न करने के लिए दिया गया है.

पियरे एगोस्टिनी, फेरेंक क्रॉस्ज़ और ऐनी एल'हुइलियर ने प्रकाश की काफी छोटी पल्स बनाने के एक तरीके की खोज की है, जिसका उपयोग उन तेज़ प्रक्रियाओं को मापने के लिए किया जा सकता है जिसमें इलेक्ट्रॉन चलते हैं या वो अपनी एनर्जी बदलते हैं.

कौन हैं तीनों वैज्ञानिक?

पियरे एगोस्टिनी (Pierre Agostini) ने फ्रांस की एक्स मार्सिले यूनिवर्सिटी से अपनी Phd की है. फिलहाल वो अमेरिका की ओहायो स्टेट यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर हैं. फेरेंक क्रॉस्ज़ (Ferenc Krausz) का जन्म 1962 में हंगरी के मोर में हुआ. उन्होंने 1991 में ऑस्ट्रिया की विएना यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी से Phd पूरी की. फिलहाल वो मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट ऑफ क्वांटम ऑप्टिक्स में डायरेक्टर हैं और जर्मनी की लुडविग मैक्सिमिलियंस यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर भी हैं.

तीसरी वैज्ञानिक ऐनी एल'हुइलियर (Anne L’Huillier) का जन्म 1958 में फ्रांस की राजधानी पेरिस में हुआ. पियरे और मैरी क्यूरी यूनिवर्सिटी से उन्होंने 1986 में Phd पूरी की. फिलहाल वो स्वीडन की लुंड यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर हैं.

1901 से 2023 के बीच अब तक 224 वैज्ञानिकों को फिजिक्स यानी भौतिकी में उनके योगदान के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है. इनमें चार महिला वैज्ञानिक भी शामिल हैं. 1903 में मैरी क्यूरी, 1963 में मारिया गोएपर्ट-मेयर, 2018 में डोना स्ट्रिकलैंड और 2020 में एंड्रिया घेज को यह पुरस्कार दिया गया था.

फिजियोलॉजी नोबेल पुरस्कार     

इससे पहले 2 अक्टूबर के दिन चिकित्सा यानी फिजियोलॉजी के नोबेल पुरस्कार की घोषणा की गई थी. कैटेलिन कैरिको (Katalin Kariko) और ड्रू वीज़मैन (Drew Weissman) को ये पुरस्कार मिला है. दोनों को Covid-19 महामारी रोकने के लिए बनाई गई mRNA वैक्सीन को डेवलप करने के लिए ये पुरस्कार दिया गया है.

कोरोना वायरस जब हमारे शरीर में फैलता है, तो शरीर के जिस हिस्से पर उसका प्रभाव ज्यादा होता है उसको समझने के लिए mRNA वैक्सीन का फॉर्मूला विकसित किया गया. असल में हमारे शरीर में मौजूद सेल (Cell) यानी कोशिकाओं में DNA मौजूद होता है. इसी DNA को मैसेंजर RNA यानी mRNA के रूप में बदला जाता है. जिस तकनीक से इसे mRNA में बदला जाता है उसे ट्रांसक्रिप्शन (Transcription) कहा जाता है. कैटेलिन कैरिको इस प्रोसेस पर 90 के दशक से काम कर रही हैं.

वहीं ड्रू वीज़मैन भी इस तकनीक पर कैटेलिन कैरिको के साथ काम कर रहे थे. ड्रू एक बेहतरीन इम्यूनोलॉजिस्ट हैं. दोनों ने मिलकर डेंड्रिटिक सेल्स की जांच-पड़ताल की. कोविड मरीजों की इम्यूनिटी पर रिसर्च किया. फिर वैक्सीन से होने वाले इम्यून रिस्पांस को बढ़ाया. जिसके बाद वैक्सीन को पूरी तरह से कोरोना से लड़ने के लिए तैयार किया गया. 

thumbnail

Advertisement

Advertisement