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इस्लाम कबूल न करने पर हाथ काट लिए, अब क्या हाथों को कलमा पढ़ाएंगे?

पाकिस्तान में हुईं दो शैतानी हरकतें, जिन्हें देखकर शैतान भी शरमा जाए.

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पंडित असगर
14 जुलाई 2016 (Updated: 14 जुलाई 2016, 08:22 AM IST)
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मौलवी लोग ये सफाई देते-देते परेशान हैं कि इस्लाम का ताल्लुक तलवार से नहीं, वो अमन का दीन है. कुछ जाहिल और हरामखोर हैं, जो जिहाद के नाम पर खुद ही इस्लाम को बदनाम करने पर तुले हैं. एक ईसाई ने इस्लाम कबूल नहीं किया, तो उसके हाथ काट दिए. अब कोई उनसे पूछे क्या कटे हाथों को कलमा पढ़ाएंगे? खुद सुधर नहीं रहे, चले हैं दूसरों को मुसलमान बनाने. ये घिनौनी हरकत पाकिस्तान में हुई. वहीं पुलिस इस बात से इनकार कर रही है. पुलिस के मुताबिक उनके हाथ रेल एक्सीडेंट में कटे. डॉन न्यूजपेपर के मुताबिक 25 साल के अकील मसीह ने पुलिस में शिकायत दी कि कुछ मुसलमानों ने 24 जून को कुल्हाड़ी से उनके हाथ काट दिए.
मसीह ने कहा- कुछ लोग मेरे पास आये और मुझे इस्लाम कबूल करने को कहा. मैंने इनकार कर दिया. उन्होंने मेरे दोनों हाथ कुल्हाड़ी से काट दिए. मैं हमलावरों के नाम नहीं जानता, लेकिन उन्हें देखकर पहचान सकता हूं.'
लाहौर की सीनियर पुलिस अफसर अमारा अतहर के मुताबिक डॉक्टर की रिपोर्ट से ये साबित नहीं होता कि उनके हाथ कुल्हाड़ी से काटे गए, बल्कि उनके हाथ गुलबर्ग में रेल एक्सीडेंट में कटे. पुलिस थ्योरी के मुताबिक हादसे के वक्त मौजूद लोगों ने बताया कि मसीह एक रेल पटरी के पास बेहोश पड़े थे, तभी एक ट्रेन आई और उसके हाथ कोहनी तक गए. कुछ लोगों ने उनकी चीख सुनी. लोगों ने दौड़कर उन्हें जिन्ना हॉस्पिटल में एडमिट कराया. पुलिस अफसर ने कहा कि मसीह के बयान की तफ्तीश हो रही है सबूत जुटाए जा रहे हैं, इसके बाद ही अनजान लोगों के खिलाफ केस दर्ज होगा. गर्लफ्रेंड के बुलाने पर आया तो लड़की के घरवालों ने काट लिए नाक-कान लड़की को लड़के से प्यार होता है. मोहब्बत के दुश्मन बनते हैं लड़की के घरवाले. लड़की लड़के के साथ घर छोड़ जाती है. कहानी आपको फिल्मी लगेगी, लेकिन फिल्मों में भी तो सोसाइटी की सोच और रहन-सहन को ही दिखाया जाता है. किस्सा पाकिस्तान का है. लड़की अपने रिश्तेदार के साथ फरार हुई तो उसके घरवालों ने लड़के को बहला-फुसलाकर बुलाया और बेदर्दी से कमबख्त जालिमों ने उसके नाक-कान काट दिए. लाहौर से करीब 160 किलोमीटर दूर झांग जिला. एक 20 साल की लड़की. उसे अपने एक रिश्तेदार इमरान अली से मोहब्बत हो जाती है. घरवालों के राजी न होने पर वो घर छोड़ जाती है. गांव में पंचायत होती है. इस पंचायत के जरिए लड़की को घर वापस बुला लिया जाता है. सीनियर पुलिस अफसर मकबूल अहमद के मुताबिक लड़की के घरवाले अली को गांव में बुलाने के लिए मजबूर करते हैं. अली लड़की के घर आता है. लड़की के घरवाले उसे दबोच लेते हैं और उसे मारते-पीटते हैं. उनकी जहालत सर पर तांडव करती है और बेरहमी के साथ अली के नाक-कान काट लेते हैं. अली ने हॉस्पिटल में पुलिस को बताया कि लड़की ने उसे फोन पर कहा कि घरवाले राजी हो गए हैं और वो शादी की बात करना चाहते हैं. उन्होंने लड़की को ऐसा कहने को मजबूर किया था. उसे घर बुलाकर रस्सी से बांध दिया गया और खूब पीटा. इसके बाद उन्होंने उसका बायां कान और नाक काट ली.

मेरे लिए ये कह देना आसान होगा कि लड़की लड़के के साथ फरार हुई तो लड़की के घरवालों ने लड़के के नाक और कान काट लिए. आप भी पढ़कर भूल जाएंगे. जरा अपने आप को उस जगह रखकर सोचिए. ये झूठी शान का लबादा इंसानियत को खत्म कर रहा है. लोग चांद पर रहने की बात कर रहे हैं. ये जाहिल घर में बैठे ही इज्जत की डेफिनेशन सिर्फ लड़कियों पर ही लपेट रहे हैं. ये सोसाइटी के वो लोग हैं, जिनकी सोच में एक तवायफ के पास जाने से कोई ऐतराज नहीं. बस उनसे शादी नहीं कर सकते. उन्हें इज्जत से नहीं देख सकते. जबकि कोई भी तवायफ बिना मर्द के तवायफ नहीं हो सकती. ये कैसी इज्जत है जो सिर्फ मर्दों के पास ही सेफ है. अगर लड़की का इश्क करना गुनाह है, तो मार देना, काट देना कौन सा सवाब है ?

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