फैक्ट-चेकर्स के लिए बड़ा नियम ला रही है मोदी सरकार, क्या दिक्कतें बढ़ जाएंगी?
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि रजिस्ट्रेशन की इस प्रक्रिया को कई चरणों में पूरा किया जा सकता है. पहले चरण में पुराने और नामचीन मीडिया संस्थानों को रजिस्ट्रेशन का मौका दिया जा सकता है.

ऑनलाइन फैक्ट चेकिंग (Fact Checking) प्लेटफॉर्म्स को सरकार से रजिस्ट्रेशन हासिल करने की जरूरत पड़ सकती है. अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, ऐसा इन प्लेटफॉर्म्स की जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए किया जा सकता है. आगामी डिजिटल इंडिया विधेयक में इस प्रावधान को जोड़ने पर विचार चल रहा है.
रिपोर्ट के मुताबिक, एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि रजिस्ट्रेशन की इस प्रक्रिया को कई चरणों में पूरा किया जा सकता है. पहले चरण में पुराने और नामचीन मीडिया संस्थानों को रजिस्ट्रेशन का मौका दिया जा सकता है. इसके साथ ही विधेयक में अलग-अलग ऑनलाइन मध्यस्थों के वर्गीकरण पर भी विचार किया जा रहा है. इन मध्यस्थों में फैक्ट-चेक करने वाले पोर्टल्स भी शामिल होंगे.
रिपोर्ट में बताया गया है कि इस वर्गीकरण का एक मुख्य आदेश अलग-अलग मध्यस्थों के लिए अलग-अलग तरह के नियम निर्धारित करना है. इनमें से ही एक नियम सरकार के पास रजिस्ट्रेशन कराने से संबंधित हो सकता है. रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि सरकार बिल का मसौदा तैयार करने के अंतिम दौर में है.
जल्द सामने आ सकता है विधेयकइस विधेयक का मसौदा जून महीने के आखिर या जुलाई महीने की शुरुआत में जारी किया जा सकता है. इस विधेयक में फेक न्यूज के अलावा बच्चों को ऑनलाइन तौर पर प्रताड़ित करना, किसी की पहचान चुराना और AI प्लेटफॉर्म्स से जुड़े नुकसानों पर ध्यान दिया जा सकता है.
इससे पहले इस साल अप्रैल में केंद्र सरकार ने सूचना प्रौद्योगिकी नियमों के संबंध में नोटिफिकेशन जारी की थी. इसके तहत एक सरकारी फैक्ट चेक यूनिट के निर्माण की बात कही गई थी. बताया गया था कि इस यूनिट के पास केंद्र सरकार से जुड़ीं ऑनलाइन सूचनाओं को फेक या भ्रामक करार देने का अधिकार होगा. आगे कहा गया था इस यूनिट द्वारा फेक या भ्रामक करार दी गईं सूचनाओं को ऑनलाइन मध्यस्थों मसलन सोशल मीडिया ऑउटलेट्स को अपने प्लेटफॉर्म्स से हटाना होगा. ऐसा ना करने पर ये प्लेटफॉर्म्स उन्हें मिली कानूनी सुरक्षा खो सकते हैं.
केंद्र सरकार की इस नोटिफिकेशन की काफी आलोचना हुई थी. आलोचकों ने इसे अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला बताया था. इधर, सरकारी फैक्ट चेक यूनिट से जुड़ा एक मामला बॉम्बे हाई कोर्ट पहुंचा था. केंद्र सरकार ने कोर्ट में बताया था कि वो पांच जुलाई तक इस यूनिट को अधिसूचित नहीं करेगी.
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