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"मैरिटल रेप को अपराध घोषित करने की जरूरत नहीं", सुप्रीम कोर्ट में बोली सरकार

केंद्र सरकार ने कहा कि यौन संबंध पति और पत्नी के बीच संबंधों के कई पहलुओं में से एक है जिस पर उनके विवाह की नींव टिकी होती है. भारत के सामाजिक और कानूनी परिवेश में विवाह संस्था की प्रकृति को देखते हुए इसे सुरक्षित करना आवश्यक है.

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No Need To Criminalise Marital Rape Centre Says To Supreme Court
सरकार ने कहा कि इस मुद्दे पर सभी हितधारकों के साथ उचित परामर्श के बिना निर्णय नहीं लिया जा सकता. (फोटो- PTI)
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प्रशांत सिंह
3 अक्तूबर 2024 (Published: 08:27 PM IST) कॉमेंट्स
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मैरिटल रेप को अपराध घोषित करने की जरूरत 'नहीं' है. केंद्र सरकार ने 3 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में ये बात कही है. इस मुद्दे पर अपना पक्ष रखते हुए सरकार ने कहा कि मैरिटल रेप के लिए अन्य दंडात्मक उपाय मौजूद हैं, इसलिए इसे अपराध की श्रेणी में डालने की आवश्यकता नहीं है. सरकार ने ये भी कहा है कि मैरिटल रेप को अपराध घोषित करना सुप्रीम कोर्ट के अधिकार क्षेत्र में नहीं है.

‘सभी हितधारकों के बिना निर्णय नहीं’

केंद्र सरकार ने कहा कि मैरिटल रेप का मुद्दा कानूनी से ज्यादा सामाजिक मुद्दा है. सरकार का मानना है कि इस मुद्दे का सीधा प्रभाव समाज पर पड़ेगा. एनडीटीवी में छपी रिपोर्ट के अनुसार केंद्र सरकार ने कहा कि इस मुद्दे पर सभी हितधारकों के साथ उचित परामर्श के बिना या सभी राज्यों के मतों को ध्यान में रखे बिना निर्णय नहीं लिया जा सकता.

‘विवाह संस्था को सुरक्षित करना होगा’

हालांकि, सरकार ने ये माना कि विवाह से महिला की सहमति खत्म नहीं होती, और इसमें किसी भी तरह के उल्लंघन के लिए दंडात्मक कार्रवाई होनी चाहिए. साथ ही सरकार ने ये भी कहा कि विवाह में किए गए ऐसे किसी उल्लंघन के परिणाम विवाह के बाहर किए गए उल्लंघन से अलग होते हैं. शादी में पार्टनर से उचित यौन संबंधों की अपेक्षा की जाती है. लेकिन ऐसी अपेक्षाएं पति को अपनी पत्नी को उसकी इच्छा के विरुद्ध यौन संबंध बनाने के लिए मजबूर करने का अधिकार नहीं देती हैं. केंद्र सरकार ने कहा कि बलात्कार विरोधी कानूनों के तहत किसी व्यक्ति को ऐसे काम के लिए दंडित करना गलत हो सकता है.

केंद्र सरकार ने कहा कि यौन संबंध पति और पत्नी के बीच संबंधों के कई पहलुओं में से एक है जिस पर उनके विवाह की नींव टिकी होती है. भारत के सामाजिक और कानूनी परिवेश में विवाह संस्था की प्रकृति को देखते हुए इसे सुरक्षित करना आवश्यक है. सरकार ने कोर्ट से कहा कि अगर विवाह संस्था को सुरक्षित करना है तो कोर्ट के लिए इस अपवाद को खारिज करना उचित नहीं होगा.

वीडियो: मैरिटल रेप पर हाईकोर्ट में दिया गया सरकार का ये बयान पिछले से काफी अलग है!

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