निठारी कांड के दोनों आरोपी निर्दोष साबित हुए, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने फांसी की सजा रद्द कर दी
दिसंबर 2006 में पुलिस ने जांच शुरू की थी. जांच में पुलिस को 19 बच्चों और महिलाओं के कंकाल मिले थे.

नोएडा के चर्चित निठारी कांड (Nithari Case) में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मुख्य आरोपी मोनिंदर सिंह पंढेर और सुरेंद्र कोली की सजा रद्द कर दी. सुरेंद्र कोली को 12 मामलों से बरी कर दिया गया. इन मामलों में उसे ट्रायल कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई थी. वहीं मोनिंदर सिंह पंढेर को जिन दो मामलों में फांसी की सजा मिली थी, उसे भी रद्द कर दिया गया. दोनों आरोपियों ने CBI कोर्ट के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी.
हाई कोर्ट में जस्टिस अश्वनी कुमार मिश्र और जस्टिस एसए हुसैन रिजवी की बेंच ने आरोपियों के पक्ष में ये फैसला सुनाया है. अपील पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने पिछले महीने की फैसला सुरक्षित रख लिया था. अभी फैसले की विस्तृत जानकारी सामने नहीं आई है.
इंडिया टुडे से जुड़े संतोष शर्मा की रिपोर्ट के मुताबिक, पंढ़ेर की वकील मनीषा भंडारी ने बताया कि अब इस केस में उनके खिलाफ कोई भी मामला लंबित नहीं है. इसलिए अब पंढेर जेल से बाहर आ जाएंगे.
वकील के मुताबिक, आज का फैसला दो मामलों में आया था. इससे पहले चार मामलों में वे बरी हो चुके थे. इनमें से एक मामले में सेशन कोर्ट ने फांसी की सजा हुई थी, जिसे इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 2010 में रद्द कर दिया था. बाकी के तीन मामलों में सेशन कोर्ट ही बरी कर दिया था.
19 लाशें और देश सन्न रह गया17 साल पहले नोएडा के इस चर्चित सीरियल मर्डर केस ने सबको हिला कर रख दिया था. मामला नोएडा के निठारी गांव का है. इसका खुलासा तब हुआ जब एक व्यक्ति ने अपनी बेटी के गायब होने की शिकायत पुलिस में की थी. बिजनेसमैन मोनिंदर सिंह पंढेर के घर में वो लड़की काम करती थी. मोनिंदर नोएडा सेक्टर-31 के बंगले D-5 में रहता था. शिकायत के बाद दिसंबर 2006 में पुलिस ने जांच शुरू की. जांच में पुलिस को पंढेर के फ्लैट के आसपास नालों में 19 बच्चों और महिलाओं के कंकाल मिले थे.
पुलिस ने मोनिंदर सिंह पंढेर और उनके नौकर सुरेंद्र कोली को गिरफ्तार किया था. दोनों के खिलाफ 19 में से 16 मामलों में चार्जशीट फाइल की गई थी. तीन केस को सबूतों के अभाव के कारण बंद कर दिया गया था.
जांच में पता चला कि बच्चों का यौन शोषण किया जाता था और उसके बाद आरोपी उनका मर्डर कर देते थे. बाद में यह भी सामने आया कि सुरेंद्र कोली नेक्रोफीलिया की बीमारी से ग्रसित हो गया था. इस मानसिक व्याधि से पीड़ित लोग लाशों के साथ सेक्स करते हैं. ये भी आरोप लगा था कि मालिक और नौकर बच्चों को मारकर उनका अंग निकाल लेते थे.
इस मामले की जांच बाद में CBI को सौंपी गई थी. जुलाई 2017 में स्पेशल CBI कोर्ट ने एक 20 साल की महिला की हत्या मामले में पंढ़ेर और कोली को मौत की सजा सुनाई थी.
इससे पहले साल 2009 में 14 साल की लड़की की हत्या और रेप मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कोली को दोषी करार दिया था. लेकिन पंढेर को सबूतों के अभाव में छोड़ दिया गया था. कोली ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में भी अपील की थी, लेकिन उसकी याचिका खारिज कर दी गई थी.