नीरव मोदी को लंदन की निजी जेल में क्यों भेजा गया? आतंकी वाला एंगल क्या है?
नीरव को जिस जेल में शिफ्ट किया गया वो लंदन की एकमात्र निजी जेल है. इस जेल में लगभग एक हजार 232 दोषियों और रिमांड पर आए पुरुष कैदियों को रखा जा सकता है.

'भगौड़े' हीरा कारोबारी नीरव मोदी का ट्रांसफर हो गया है. उसे लंदन की सबसे बड़ी और भीड़भाड़ वाली जेल से एक निजी जेल में भेजा गया है (Nirav Modi transferred to other jail). अभी तक नीरव मोदी को लंदन की वैंड्सवर्थ जेल में रखा गया था. अब वो एचएमपी टेम्ससाइड जेल है. नीरव मोदी PNB घोटाले का मुख्य आरोपी है. उस पर 13,500 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के आरोप हैं.
क्यों किया गया ट्रांसफर?कारण है एक सुरक्षा में चूक. दरअसल, बिट्रेन के न्याय मंत्री एलेक्स चॉक ने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि वैंड्सवर्थ जेल में सुरक्षा चूक हुई है. जेल से डेनियल खलीफ नाम का संदिग्ध आतंकवादी फरार हो गया था. हालांकि बाद में उसे गिरफ्तार कर लिया गया था. लेकिन इस घटना के बाद 40 कैदियों को वैंड्सवर्थ जेल से दूसरी जेल में भेजा गया है. इस लिस्ट में नीरव मोदी का नाम भी शामिल है. यही वजह है कि नीरव मोदी को अब टेम्ससाइड जेल में शिफ्ट किया गया है.
रिपोर्ट्स के मुताबिक नीरव मोदी मार्च 2019 से वैंड्सवर्थ जेल में बंद था. बताया गया कि उसकी सुरक्षा जैसी वैंड्सवर्थ जेल में थी वैसी ही टेम्ससाइड जेल में रहेगी. यानी कैटेगरी B लेवल की सुरक्षा बनी रहेगी.
लंदन की इकलौती निजी जेलएचएमपी टेम्ससाइड जेल लंदन की एकमात्र निजी जेल है. साल 2012 में बनकर तैयार हुई थी. जेल का संचालन सर्को नाम की एक कंपनी द्वारा किया जाता है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस जेल में लगभग एक हजार 232 दोषियों और ऑन-रिमांड पर आए पुरुष कैदियों को रखा जा सकता है.
70 से ज्यादा संपत्तियां कुर्क की जा चुकी हैंमार्च 2023 में ED ने विशेष अदालत द्वारा कुछ संपत्तियों को PNB को सौंपने वाले आदेश को चुनौती दी थी. ED ने मामले को चुनौती देते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. ED का पक्ष था कि संपत्ति को बैंक की जगह राज्य को दिया चाहिए. बता दें कि नीरव मोदी की 70 से ज्यादा संपत्तियां कुर्क की जा चुकी हैं. इन सभी संपत्तियों पर उसका कोई अधिकार नहीं है.
इससे पहले नीरव मोदी ने मानसिक स्वास्थ्य के आधार पर भारत में प्रत्यर्पण के खिलाफ अपील की थी. हालांकि, रॉयल कोर्ट ऑफ जस्टिस ने कहा था कि नीरव मोदी का प्रत्यर्पण अन्यायिक या दमनकारी नहीं होगा.
अक्टूबर 2022 में नीरव मोदी की याचिका की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था. नीरव मोदी का पक्ष सुनते हुए अदालत ने कहा था कि भारत एक फ्रेंडली पावर है और UK को अपने संधि दायित्वों का सम्मान करना चाहिए. अदालत ने ये भी कहा कि उन्हें भारत सरकार के इस आश्वासन पर कोई संदेह नहीं है कि नीरव मोदी को मुंबई की आर्थर रोड जेल में पर्याप्त चिकित्सा सुविधा दी जाएंगी.
नीरव मोदी के बचाव में तर्क दिया गया था कि वो डिप्रेशन में था और देश में असुरक्षित माहौल की वजह से उसकी स्थिति और खराब हो सकती है. ये भी आरोप लगाए कि भारतीय मीडिया उसके खिलाफ बहुत कटु है और जनता उसके पुतले जलाती है.
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