The Lallantop
Advertisement
  • Home
  • Lallankhas
  • All about Nirav Modi, a diamond merchant and owner of two diamond company who is prime accused of CBI and other Investigative agency for fraud and money laundering of more than 11500 crore in Punjab National Bank of Mumbai

'घोटालेबाज' नीरव मोदी की पूरी कहानी, जिसे लंदन कोर्ट ने भारत प्रत्यर्पण का आदेश दिया है

वही नीरव, जो PM नरेंद्र मोदी के साथ विदेशी दौरे पर गया था, आज उनका हैप्पी बड्डे है.

Advertisement
Img The Lallantop
पंजाब नेशनल बैंक के साथ लगभग 11,345 करोड़ रुपए से ज्यादा के घोटाले के आरोपी नीरव मोदी के बारे में UK की वेस्टमिनिस्टर मजिस्ट्रेट कोर्ट ने फैसले में कहा है कि उसे दोषी ठहराए जाने के लिए पर्याप्त सबूत उपलब्ध हैं.
pic
अविनाश
27 फ़रवरी 2021 (Updated: 26 फ़रवरी 2021, 05:28 AM IST)
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

14 अक्टूबर, 2016 में वो जाड़ों की शाम थी. राजस्थान के खूबसूरत शहरों में से एक जोधपुर के लिए वो दिन कुछ खास था. जोधपुर के महाराजा का महल, जो कि एक फाइव स्टार होटल में तब्दील हो चुका था, उस दिन जैसमिन के फूलों की खुशबू से महक रहा था. दुनिया भर की महंगी घास और उसके बागीचे में लगे हुए फूल बेहद खूबसूरत दिख रहे थे. होटल का पूरा स्टाफ एक हीरे के बड़े ब्रैंड नीरव मोदी की पांचवीं एनिवर्सरी मनाने की तैयारी कर रहा था. ये भारत के लिए पहला मौका था, जब उसके सामने नीरव मोदी का नाम इतनी शिद्दत से लिया जा रहा था.



जोधपुर का उम्मेद भवन, जहां नीरव मोदी ने अपने ब्रैंड के पांच साल पूरे होने पर पार्टी की थी. ( फोटो : niravmodi.com)

45 साल के नीरव मोदी की इस पार्टी में जोधपुर के महाराजा गज सिंह (द्वितीय) मेहमानों का स्वागत करने के लिए पहुंचे थे. ये भी जोधपुर के लोगों के लिए किसी आश्चर्य से कम नहीं था, क्योंकि महाराजा गज सिंह बेहद रिजर्व किस्म के आदमी माने जाते हैं. लेकिन वो उस दिन उस पार्टी में पहुंचे थे. वहां की महिलाओं ने पारंपरिक कपड़े पहन रखे थे, जिनके ऊपर नीरव मोदी ब्रैंड के गहने लदे हुए थे. इस पार्टी में देश के करोड़पतियों और बॉलीवुड की हस्तियों को मिलाकर लगभग 100 लोग थे.


Gaj-Singh-II-Nirav-Modi
नीरव मोदी (दाएं) की पार्टी में जोधपुर के महाराजा गज सिंह ने भी शिरकत की थी. (फोटो : niravmodi.com)
नीरव मोदी की शुरुआती कहानी

ये उस नीरव मोदी के लिए था, जो पूरी दुनिया में अपने हीरों के लिए जाना जाता है. ये शख्स जहां तक पहुंचा, उसके पीछे 40 साल पुरानी कहानी है, जो भारत से ही शुरू होती है. भारत का गुजरात राज्य अपने कारोबारियों के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है. इस गुजरात के एक शहर सूरत में हीरों के कारोबारी थे केशवलाल मोदी. भारत की आजादी से पहले 1930-40 के दशक में केशवलाल मोदी ने हीरों का कारोबार शुरू किया था. 1940 के अंतिम दिनों में केशवलाल मोदी सिंगापुर चले गए और वहां हीरों का ही कारोबार करने लगे. केशवलाल मोदी के बेटे थे दीपक केशवलाल मोदी, जो अपने पिता के साथ ही हीरों का ही कारोबार करते थे. 1960 में दीपक मोदी अपने हीरों के कारोबार को बढ़ाने के लिए बेल्जियम चले गए. इसका एक शहर है एंटवर्प, जो बेल्जियम का दूसरा बड़ा शहर है. ये शहर पूरी दुनिया में अपने हीरों के लिए जाना जाता है. दीपक मोदी इस शहर से अनकट हीरे भारत में लाकर बेचने लगे. 1989 में उन्होंने अपने 18 साल के बेटे नीरव मोदी को पढ़ने के लिए अमेरिका के पेन्सिलवेनिया यूनिवर्सिटी के वार्टन स्कूल भेज दिया था. वहां वो जापानी और फाइनेंस की पढ़ाई कर रहा था. सब कुछ ठीक चल रहा था. लेकिन 1990 के दशक में परिवार आर्थिक संकटों से गुजरने लगा. इसे देखते हुए नीरव मोदी ने अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी.


neerav fb
नीरव मोदी की पैदाइश बेल्जियम की है. 1990 में उसने भारत आकर नौकरी शुरू की. (फोटो : niravmodi.com)
3,500 रुपए प्रति महीने की नौकरी से बड़ी कंपनी बनाने का सफर

1990 में 19 साल की उम्र में नीरव मोदी भारत लौट आए. यहां मुंबई में अपने चाचा के साथ हीरे का काम शुरू किया, जो उनका पुश्तैनी धंधा था. लेकिन नीरव मोदी इसमें नए थे. यहां आकर उन्होंने 3,500 रुपये प्रति महीने पर काम शुरू किया. CNBC.com के मुताबिक नीरव हफ्ते में छह दिन और 12 घंटे काम करते थे, जिसके एवज में उन्हें ये 3,500 रुपये मिलते थे. करीब 10 साल के बाद उनके पास 50 लाख रुपए थे. इसके बारे में नीरव मोदी ने सीएनबीसी को बताया था-


'मैंने घरवालों से कभी पैसे नहीं लिए. मुझे जो पैसे मिलते थे, उनको मैं निवेश कर देता था. अब मेरे पास 50 लाख रुपये थे. इसके सहारे मैं अपनी कंपनी खोल सकता था.'

1999 में नीरव मोदी ने फायर स्टार नाम से डायमंड का कारोबार शुरू किया. इस कारोबार में उनके खुद के 50 लाख रुपये लगे थे. 15 लोगों के साथ नीरव मोदी ने ये कंपनी शुरू की थी. दुनिया में हीरे की 90 फीसदी कटिंग भारत में ही होती है. नीरव मोदी इस बात को बेहतर जानते थे. उन्होंने अपनी कंपनी के जरिए पॉलिश किए गए हीरों को अमेरिका और इंग्लैंड के बाजार में बेचना शुरू किया. जल्द ही उन्हें ये समझ में आ गया कि सिर्फ पॉलिश किए गए हीरे बेचकर वो आगे नहीं बढ़ सकते हैं.


वक्त की जरूरत के हिसाब से स्ट्रैटिजी बदलते गए नीरव मोदी

नीरव मोदी जिन्हें पॉलिश किए गए हीरे बेचते थे, वो उनसे जूलरी बनाते थे. जूलरी के हिसाब से फिर से हीरे की कटिंग होती थी, जिसमें करीब 15-20 फीसदी हीरे का नुकसान हो जाता था. इस पूरी प्रक्रिया में करीब 30 दिनों का वक्त लगता था. नीरव मोदी ने अपने ग्राहकों से कहा कि वो उन्हें पॉलिश किए गए हीरे की बजाय उनकी जूलरी के हिसाब से हीरे दे देंगे, जिससे उनके ग्राहकों के पैसे और टाइम दोनों ही बच जाएंगे. उनके ग्राहक मान गए. इसके बाद नीरव मोदी ने कॉन्ट्रैक्ट पर अमेरिकी ग्राहकों के लिए जूलरी बनानी शुरू कर दी.



अंतरराष्ट्रीय बाजार में नीरव मोदी हीरे के गहनों का एक बड़ा नाम है. (फोटो : niravmodi.com)
जब अपनी कंपनी से बड़ी-बड़ी कंपनियां खरीदीं नीरव मोदी ने

कुछ ही दिनों के बाद नीरव मोदी को लगा कि बाजार गिर रहा है और भारत के साथ ही चीन के भी हीरा कारोबारी थोक कारोबारियों और हीरा काटने वाली कंपनियों को बाइपास कर सीधे अमेरिका में कारोबार करने लगे हैं. इसके बाद मोदी ने एक बड़ा फैसला लिया. उन दिनों अमेरिका में एक कंपनी थी फ्रेडरिक गोल्डमैन. ये कंपनी नीरव मोदी की कंपनी से सात गुना बड़ी थी. नीरव मोदी ने इस कंपनी को खरीदने का ऑफर दिया. करीब डेढ़ साल लगे और फिर नीरव मोदी ने इस कंपनी को 2005 में करीब 1 अरब 60 करोड़ रुपये में खरीद लिया. दो साल के बाद 2007 में नीरव मोदी ने अमेरिका की 120 साल पुरानी कंपनी सैंडबर्ग एंड सिकोर्सकी को करीब 3 अरब 20 करोड़ रुपये में खरीद लिया.

इस बारे में खुद नीरव मोदी ने बिजनेस वर्ल्ड को बताया था-


'फायरस्टार बनाने से पहले मुझे अपने एक अंकल की फर्म में काम करने का मौका मिला था. ये किसी कारोबार को शुरू करने से पहले की सबसे जरूरी ट्रेनिंग थी. क्रिश्ची ऐंड सोथबी के ऑक्शन ने मुझे एक मौका दिया था. मुझे लगा कि इस क्षेत्र में बहुत से मौके हैं और फिर मैंने अपने कारोबार को विस्तार देना शुरू कर दिया.'

कारोबार मुंबई में था, तो बॉलीवुड की चमक से वो भी अछूते नहीं रह सके. संगीत में उनकी भी दिलचस्पी थी और उन्हें लगता था कि वो संगीत को अपना करियर बना सकते हैं. अभी वो हीरा कारोबार और संगीत के बीच झूल ही रहे थे कि 2008 में उनकी एक खास महिला दोस्त ने उनसे एक गुजारिश की. उस महिला दोस्त को एक ईयर रिंग की दरकार थी. नीरव मोदी ने गुजारिश मान ली और उस ईयर रिंग के लिए वो खास तौर के हीरे की तलाश करने लगे. इसके लिए उन्होंने रूस की राजधानी मॉस्को तक की यात्रा की, जहां उन्हें मनचाहा हीरा मिल गया. इसके बाद उन्होंने ईयर रिंग डिजाइन की, जिसमें एक नग को चारों ओर से हीरे की रिंग से ढका गया था. टेलीग्राफ के मुताबिक नीरव मोदी ने कहा था-


'मैं उस ईयर रिंग को बनाना नहीं चाहता था. अपनी दोस्त के लिए ईयर रिंग बनाना किसी दुस्वप्न से कम नहीं था. करीब छह महीने के वक्त के बाद जब मैंने इसे बनाया और उसे दिया, तो उसे बेहद पसंद आया. इसके बाद ही मुझे लगा कि यही वो काम है, जिसे मुझे करना चाहिए.'

नीरव मोदी के साथ जोधपुर के महाराज गज सिंह. दोनों लोग हीरों के एग्जिबिशन में थे, जो नीरव मोदी ब्रैंड की ओर से लगाया गया था. (फोटो : niravmodi.com)

जुलाई 2016 में नीरव मोदी ने बिजनेस वर्ल्ड को एक इंटरव्यू दिया था. इसमें उन्होंने कहा था-


'जब मैं जवान था, तो मैं संगीत के क्षेत्र में काम करना चाहता था. मुझे इस बात का कौतूहल था कि कैसे संगीत और कला में इतनी क्षमता है कि वो लोगों में बदलाव ला देता है, वो लोगों की सोच को बदल देता है और वो उन्हें एक खास दिशा में सोचने के लिए प्रेरित करता है. हालांकि जूलरी के साथ भी कुछ ऐसा ही है. जूलरी भी एक कला है और उसकी अपनी एक अलग भाषा है, जो उसे पहनने वालों को ही समझ आती है.'

नीरव मोदी ने कहा था-


'मुझे नहीं याद है कि कब मुझे दुर्लभ किस्म के हीरों में दिलचस्पी होने लगी थी. मुझे लगता है कि ये पारिवारिक गुण थे, जो मेरे दादाजी से मेरे पिता में आए और फिर मेरे पिता से मुझमें आ गए. हालांकि मैं कभी इसे अपना करियर नहीं बनाना चाहता था.'
जब नीरव मोदी ने मंदी का फायदा उठाया

2008 ही वो साल था, जब दुनिया आर्थिक मंदी की चपेट में आ गई थी. इस मंदी ने हीरे के कारोबार को भी चोट पहुंचाई थी. दुनिया का हीरा कारोबार चौपट हो गया था. गुलाबी, नीले और सफेद रंग के दुर्लभ और बेशकीमती हीरों की कीमतें धड़ाम हो गई थीं. नीरव मोदी ने इस मौके का फायदा उठाया. उन्होंने बेहद कम कीमतों पर इन हीरों की खरीद की, लेकिन उन्हें बेचने की बजाय उनसे जूलरी बनानी शुरू कर दी.

2010 का साल नीरव मोदी के लिए बेहद खास था. गोलकुंडा की खान से निकले 12 कैरेट के हीरे से नीरव मोदी ने लोटस नेकलेस बनाया था. नवंबर 2010 में इसे हॉन्ग कॉन्ग में ऑक्शन के लिए रखा गया, जहां इसकी नीलामी करीब 23 करोड़ रुपये में हुई थी. इसके तुरंत बाद इसी साल नीरव ने नीरव मोदी ब्रैंड नाम से अपना डायमंड जूलरी का कारोबार शुरू किया. मुंबई से शुरू हुआ नीरव मोदी का कारोबार कई देशों में फैला और उन्होंने दिल्ली, मुंबई, न्यू यॉर्क, हॉन्ग कॉन्ग, लंदन और मकाउ में अपने स्टोर खोले. भारत में नीरव का स्टोर ‘अर्गायल’ गुलाबी हीरे का इकलौता डिस्ट्रीब्यूटर है. प्रियंका चोपड़ा उनकी जूलरी की ब्रैंड अंबेसडर रह चुकी हैं.



प्रियंका चोपड़ा नीरव मोदी ब्रांड की अंबेसडर रह चुकी हैं. (फोटो : niravmodi.com)

कारोबार के अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुंचने की प्रेरणा के बारे में नीरव मोदी ने बताया था-


'काम की प्रेरणा कई चीजों से मिलती है, जैसे प्रकृति, कला, कविता, आर्किटेक्चर और बहुत सी ऐसी चीजे हैं जो आपके इर्द-गिर्द हैं. मेरे लिए खूबसूरती का मतलब कोई जगह, कोई वस्तु या फिर कोई शख्स नहीं है. जब मैं बड़ा हो रहा था तो मुझे जीवन में बहुत सी अच्छी चीजें जैसे कला और आर्किटेक्चर देखने को मिला था. इनमें 16वीं शताब्दी की रुबेन की बनाई पेंटिग्स से लेकर एंटवर्प सिक्स के आधुनिक फैशन डिजाइन और मुगल आर्किटेक्चर तक को बहुत करीब से जानने का मौका मिला था. इनकी वजह से मुझे देश-दुनिया घूमने की प्रेरणा मिली थी.'

नीरव मोदी के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ब्रैंड बनने के बाद पूरी दुनिया की मशहूर हस्तियों ने उनकी डिजाइन की हुई जूलरी खरीदी. अपने यादगार अनुभवों के बारे में नीरव मोदी ने एक बार बिजनेस वर्ल्ड को बताया था-


'फरवरी 2016 में 88वें एकेडमी अवार्ड घोषित हुए थे. इस कार्यक्रम में नीरव मोदी ब्रैंड भी शामिल था. इस मौके पर नीरव मोदी ब्रैंड के 100 कैरेट के बेशकीमती सफेद हीरे पहने हुए केट विंस्लेट लाल कालीन पर चल रही थीं. ये नीरव मोदी के लिए गौरवशाली क्षण थे.'

केट विंस्लेट भी नीरव मोदी की जूलरी पहनती हैं. (फोटो : AP)
2017 में फोर्ब्स की लिस्ट में थे नीरव मोदी

2014 में नीरव मोदी ने नई दिल्ली की डिफेंस कॉलोनी में पहला फ्लैगशिप स्टोर खोला था. इसके बाद 2015 में नीरव मोदी ने मुंबई के काला घोड़ा में एक और फ्लैगशिप स्टोर खोला. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नीरव मोदी ने 2015 में ही न्यू यार्क और हॉन्ग कॉन्ग में अपने बुटिक खोले. इसके बाद 2016 में हॉन्ग कॉन्ग में नीरव मोदी ने दो और बुटिक खोले. हाल भी में नीरव ने लंदन के बॉन्ड स्ट्रीट और मकाउ में अपने बुटिक खोले हैं. 2025 तक दुनिया में कुल 100 स्टोर खोलने की ख्वाहिश रखने वाले नीरव मोदी को दुनिया की मशहूर पत्रिका फोर्ब्स ने भी 2017 में अपनी लिस्ट में जगह दी थी. पत्रिका की सूची के मुताबिक नीरव मोदी की उस वक्त की कुल संपत्ति करीब 149 अरब रुपये की थी, जिसकी बदौलत उन्हें इस लिस्ट में जगह मिली थी.


न्यू यार्क के मेडिसन अवेन्यू में बुटिक के उद्घाटन में कई हस्तियां पहुंंची थीं. ( फोटो : niravmodi.com)

नीरव मोदी की हैसियत का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि जब नीरव मोदी को 2015 में न्यू यार्क के मेडिसन अवेन्यू में अपना बुटिक खोला था, तो उसके उद्घाटन समारोह में देश-दुनिया की कई जानी-मानी हस्तियों ने शिरकत की थी. इनमें अमेरिका के राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रम्‍प के अलावा हॉलीवुड अभिनेत्री नाओमी वॉट्स, सुपर मॉडल कोको रोचा के साथ ही भारत से लीसा हेडन और निमरत कौर भी शामिल थीं.


मुकेश अंबानी से भी है रिश्ता

neerav 1
मुकेश अंबानी के पिता थे धीरू भाई अंबानी. धीरू भाई अंबानी की बेटी और मुकेश अंबानी की बहन हैं दीप्ति सलगांवकर. दीप्ति की शादी भारत के मशहूर कारोबारी दत्ताराज सलगांवकर से हुई है. उन दोनों की एक बेटी है इशिता सलगांवकर. इस इशिता सलगांवकर की शादी नीरव मोदी के छोटे भाई नीशल मोदी से हुई है. शादी 4 दिसंबर, 2016 को गोवा में हुई थी. इससे पहले इशिता और नीशल की सगाई हुई थी, जो मुकेश अंबानी के मुंबई वाले घर एंटीलिया में 24 नवंबर, 2016 को हुई थी. इस एंगेजमेंट में शाहरुख खान, आमिर खान, दीपिका पादुकोण, रणवीर सिंह, आलिया भट्ट और करण जौहर जैसी बॉलीवुड की बड़ी हस्तियां शामिल हुई थीं.


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ दाओस भी गए नीरव मोदी

23 जनवरी, 2018 से स्विट्जरलैंड के दाओस में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम का 48वां अधिवेशन था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इसमें शिरकत करनी थी. उनके साथ भारत से एक प्रतिनिधिमंडल भी दाओस गया था. इस प्रतिनिधिमंडल में नीरव मोदी भी शामिल थे.


मुंबई के समुद्र महल में रहते हैं नीरव मोदी

नीरव मोदी मुंबई के समुद्र महल नाम की बिल्डिंग में रहते हैं. इसका फेस हाजी अली दरगाह की तरफ है. इसके सबसे ऊपरी तल पर नीरव मोदी और उनका परिवार रहता है. मुंबई के पेडर रोड स्थित ग्रासवेनर हाउस में उनके भाई रहते हैं, जबकि उनके पिता दीपक मोदी अब भी बेल्जियम में ही रहते हैं. मुंबई के अपने ऑफिस में नीरव मोदी ने दीवार की साइज की एक चाइनीज पेंटिंग लगा रखी है. इसके अलावा उनके मुंबई वाले ऑफिस में राजा रवि वर्मा, जैमिनी रॉय, रबींद्रनाथ टैगोर, अमृता शेरगिल और जितिश कलात जैसे लोगों की बनाई पेंटिंग्स लगी हैं. इसके अलावा उन्होंने अपने प्राइवेट सैलोन में महात्मा गांधी का भी एक पोट्रेट लगा रखा है. नीरव मोदी ने 2008 में नीरव मोदी फाउंडेशन भी बनाया था, जो स्लम एरिया और स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की प्रतिभा को देखकर उन्हें प्लेटफॉर्म मुहैया करवाता है.


इस पोस्ट से जुड़े हुए हैशटैग्स

Advertisement