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नए संसद का नाम 'संसद' नहीं होगा? सरकार के सूत्रों ने क्या बताया?

संसद भवन के तीन गेट के अलग-अलग नाम भी रखे गए हैं. दोनों सदनों में प्रोटेस्ट क्यों मुश्किल होने वाला है?
New Parliament Building
संसद की नई बिल्डिंग की ग्राफिकल इमेज. (फोटो- सेंट्रल विस्टा)
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देश के नए संसद भवन (New Parliament Building) के उद्घाटन को लेकर जारी बवाल के बीच एक नई जानकारी आई है. फिलहाल ये जानकारी हवा-हवाई है. सूत्रों के हवाले से फैल रही है. इसलिए साफ कर दें कि हम इसकी पुष्टि नहीं करते. जानकारी ये है कि नए संसद का नाम, संसद ना होकर कुछ और हो सकता है. इसे एक नया नाम दिया जा सकता है. अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया ने सरकार के सूत्रों से ये जानकारी दी है. नए संसद भवन का उद्घाटन 28 मई को होना है. कार्यक्रम के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ढाई साल में बनकर तैयार नई संसद का उद्घाटन करने वाले हैं.

हाल के सालों में बीजेपी शासित केंद्र और राज्य सरकारों ने कई सड़कों और इमारतों के नाम बदले हैं. इसी साल राष्ट्रपति भवन में बने मुगल गार्डन का नाम बदलकर ‘अमृत उद्यान’ किया गया था. इससे पहले सितंबर 2022 में केंद्र सरकार ने राजपथ का नाम बदलकर 'कर्तव्य पथ' किया था.

अब कहा जा रहा है कि नए संसद भवन का नाम भी बदला जा सकता है. टाइम्स ऑफ इंडिया के पत्रकार दीपक दास की रिपोर्ट के मुताबिक, नई संसद में सांसदों के लिए पोस्टर लेकर प्रदर्शन करना और अध्यक्ष/सभापति को ब्लॉक करना या पेपर फेंकना असंभव सा हो सकता है. क्योंकि उनके बैठने की जगह पहले की तुलना में काफी ऊंची है. और दोनों सदनों के वेल (जहां सदन के अध्यक्ष बैठते हैं) भी काफी दूर हैं.

रिपोर्ट में बताया गया है कि नई बिल्डिंग में तीन गेट हैं. इन सबके अलग-अलग नाम रखे गए हैं- ज्ञान द्वार, शक्ति द्वार और कर्म द्वार. पहले वाले भवन में गेट सामान्य बिल्डिंग की तरह नंबरों के आधार पर जैसे एक, दो, तीन...नाम से थे. इसके अलावा नए संसद भवन में महात्मा गांधी, भीमराव आंबेडकर, सरदार पटेल और चाणक्य सहित कई और लोगों की मूर्तियां भी होंगी.

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, नए सदन की डिजाइनिंग कुछ इस तरह है कि वेल के पास प्रदर्शन को कैमरे कवर नहीं करेंगे. सदन के भीतर कई मुद्दों पर सांसदों का पोस्टर लेकर प्रदर्शन करना आम है. लोकसभा की कार्यवाही को टेलीकास्ट करने की 1994 की एक गाइडलाइंस है. इसके मुताबिक, कैमरे सदन के भीतर किसी भी रुकावट, प्रदर्शन या वॉकआउट को फोकस नहीं करेंगे. लेकिन साल 2005 में तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी ने कहा था कि टेलीकास्ट में प्रदर्शन और वॉकआउट को भी दिखाना चाहिए.

विपक्ष का बहिष्कार

इधर, कई विपक्षी दलों ने नई संसद के उद्घाटन कार्यक्रम का बहिष्कार किया है. विपक्ष ने मांग की थी कि संसद भवन का उद्घाटन प्रधानमंत्री के बदले राष्ट्रपति को करना चाहिए. इसके लिए कांग्रेस, टीएमसी सहित 19 पार्टियों ने एक संयुक्त बयान भी जारी किया है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 10 दिसंबर, 2020 को इस नए संसद भवन का शिलान्यास किया था. इसे करीब 65 हजार वर्ग मीटर क्षेत्र में बनाया गया है. नए भवन में एक बार में 1200 से ज्यादा सांसदों के बैठने की सुविधा है. इसमें 888 सांसद लोकसभा में और 384 सांसद राज्यसभा में बैठ सकते हैं.

वहीं इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट की मानें तो पुराने संसद भवन को गिराया नहीं जाएगा. उसे संरक्षित किया जाएगा क्योंकि यह देश की एक पुरातात्विक संपत्ति है. इमारत को इस तरह से व्यवस्थित किया जाएगा कि संसदीय आयोजनों के लिए इसे नए भवन के साथ इस्तेमाल किया जा सके.


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