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साल 2015 के बाद गुजरात, केरल, बंगाल, महाराष्ट्र और बिहार के बच्चों में बढ़ा कुपोषण

सर्वे का दावा, बच्चों की लम्बाई और वज़न ख़तरनाक तरीक़े से घट रहे

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एक सर्वे है, जो कह रहा है कि भारत के राज्यों में बच्चों के बीच कुपोषण बढ़ रहा है. (फ़ोटो : reuters)
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सिद्धांत मोहन
14 दिसंबर 2020 (Updated: 14 दिसंबर 2020, 01:27 PM IST) कॉमेंट्स
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12 दिसम्बर 2020. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने नेशनल फ़ैमिली हेल्थ सर्वे (NFHS) के पहले फ़ेज़ के आंकड़ों की रिपोर्ट जारी की. और रिपोर्ट देखकर पता चलता है कि देश के अग्रणी राज्यों के बच्चों में कुपोषण फिर से घर करने लगा है. और ये उस स्थिति में, जब इन राज्यों में साफ़-सफ़ाई और पीने के पानी की स्थिति  में सुधार हुआ है.
ये साल 2019-20 के दौरान किए गए सर्वे की रिपोर्ट है. पहले फ़ेज़ की रिपोर्ट में 17 राज्य और पांच केंद्रशासित प्रदेश शामिल थे.  इनमें आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, गोवा, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, मणिपुर, मेघालय, मिज़ोरम, नगालैंड, सिक्किम, तेलंगाना, त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल, अंडमान व निकोबार, दादरा-नगर हवेली व दमन दीव, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख़ और लक्षद्वीप शामिल हैं.
दूसरे फ़ेज़ की रिपोर्ट में यूपी, पंजाब और मध्य प्रदेश जैसे बड़े राज्यों का नम्बर आएगा. ग़ौरतलब है कि दूसरे फ़ेस का सर्वे कोरोना और लॉकडाउन की वजह से पूरा नहीं हो पाया, जिस वजह से इसकी रिपोर्ट अब मई 2021 तक सामने आएगी.
अब आगे बढ़ने के पहले सामान्य ज्ञान की बातें
दुनिया भर में बच्चों के पोषण को मापने के चार पैमाने होते हैं. 
1). चाइल्ड वेस्टिंग - यानी लम्बाई के हिसाब से शरीर में वज़न ना होना, या बहुत ही दुबला होना.
2). चाइल्ड स्टंटिंग - यानी शरीर की लंबाई कम रह जाना
3). अंडरवेट - यानी सामान्य से कम वज़न का होना
4). पोषक तत्त्वों की कमी होना - यानी वज़न दुरुस्त है, लेकिन शरीर में पोषक तत्त्व कम हैं.
भारत में कब-कब होते हैं हेल्थ सर्वे?
इसके पहले फ़ैमिली हेल्थ सर्वे 2015-16 में हुआ था. उसे NFHS-4 कहा जाता है. और उसके पहले साल 2005-06 में हुआ था NFHS-3.
मौजूदा हेल्थ सर्वे को इसलिए भी महत्त्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि साल 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद का समय भी इसमें शामिल है.
क्या है नयी रिपोर्ट में?
नयी रिपोर्ट के अनुसार तेलंगाना, केरल, बिहार, असम और केंद्रशासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर में चाइल्ड वेस्टिंग में बढ़ोतरी देखने को मिली है. जबकि महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल में ऐसे बच्चों का प्रतिशत पिछले साल जितना ही है. यानी कोई कमी नहीं आयी है. 
इसके अलावा गुजरात, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, असम और केरल में अंडरवेट बच्चों के प्रतिशत में बढ़ोतरी देखी गयी है. असम को छोड़ दें तो इन्हीं राज्यों में बच्चों में स्टंटिंग के प्रतिशत में भी बढ़ोतरी देखी गयी है.
किन राज्यों में स्टंटिंग और वेस्टिंग में बढ़ोतरी देखी गयी?
सबसे पहले देखिए जिन राज्यों में बच्चों में स्टंटिंग में बढ़ोतरी हुई : 
Stunting among children NFHS 5 आंकड़े जो बता रहे हैं कि देश के कई हिस्सों के बच्चों में स्टंटिंग यानी हाइट कम होने की समस्या बढ़ी है.

इन राज्यों में बच्चों में वेस्टिंग में बढ़ोतरी हुई : 
Wasting among children NFHS 5 wasting यानी लम्बाई के हिसाब से शरीर में वज़न न होना, और भारत के कई बड़े राज्य इस सूची में शामिल हैं.

इन राज्यों में बच्चों में अंडरवेट होने का प्रतिशत बढ़ा : 
साफ़ दिख रहा है बच्चों में वज़न कम होने का प्रतिशत भी बढ़ा है. साफ़ दिख रहा है बच्चों में वज़न कम होने का प्रतिशत भी बढ़ा है.

जानकार क्या कहते हैं?
जो कुपोषण के चार पैरामीटर हैं, उनमें स्टंटिंग को सबसे बुरा माना जाता है. इससे ग्रस्त बच्चों की हालत में भी बहुत धीमे सुधार होते हैं. और जिस समय राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बच्चों में कुपोषण घटाने के प्रयास किए जा रहे हैं, ऐसे में भारत के कई हिस्सों में स्टंटिंग में बढ़ोतरी देखा जाना चिंता का विषय है.
इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में इंटरनेशनल फ़ूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टिट्यूट में शोधकर्ता पूर्णिमा मेनन ने कहा है,
“दुनिया के कई हिस्सों में स्टंटिंग में बढ़ावा नहीं हो रहा है. जब लोकतंत्र स्थिर-मज़बूत हो और अर्थव्यवस्था भी ठीक रास्ते पर हो, तो ऐसे में स्टंटिंग में बढ़ाव नहीं देखने को मिलता है.”
पूर्णिमा मेनन ने कहा है कि भारत में स्टंटिंग में बढ़ाव देखा जाना दिक़्क़त देने वाली बात है. जानकारों ने ये भी कहा है कि पिछले हेल्थ सर्वे में ये प्रतिशत कम होते देखे गए थे, ऐसे में इन आकड़ों में बढ़ोतरी होने का मतलब है कि बच्चों को पोषक आहार नहीं मिल रहे हैं.

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