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हिंसा के दौर से गुजर रहे कश्मीर को राह दिखा रहा गांव 'नरकारा'

जीतनेवालों में छठी क्लास की एक लड़की है और चौथी क्लास का एक लड़का है.

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कश्मीर के बच्चों ने कमाल कर दिखाया
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30 दिसंबर 2016 (Updated: 30 दिसंबर 2016, 10:19 AM IST) कॉमेंट्स
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घुसपैठ. मुठभेड़. पत्थरबाजी. कुछ बरसों से जम्मू-कश्मीर इन्हीं वजहों से सुर्खियों में आता रहा है. तस्वीरें मायूसी, तनाव, दर्द की. कश्मीर की हसीन वादियों को मानो किसी की नजर लगी हो, पर अबकी बार बच्चों ने अपने हुनर से मुस्कुराने का मौका दिया है. तब, जब फिज़ा जल रही हो, ये खबर मरहम की तरह लगती है चोटों पर. श्रीनगर से चंद मील की दूरी पर एक छोटा सा गांव है, नरकारा. यहां के बिरवानों ने कमाल दिखाया है. ये उपलब्धि हासिल हुई है 16-18 दिसम्बर के बीच भूटान में आयोजित तोंगिलमूदो की दक्षिण एशियाई प्रतियोगिता में. तोंगिलमूदो मार्शल आर्ट का एक मिला-जुला रूप है. नरकारा के सात बच्चों ने देश के लिए मेडल जीता है. नरकारा की झोली में 6 गोल्ड और 1 सिल्वर मेडल आए हैं. फिलवक्त पूरा गांव फक्र महसूस कर रहा है. शायद एक गांव ने किसी अंतरराष्ट्रीय चैंपियनशिप में इतने मेडल पहली बार जीते हैं.
जीतने वालों में एक क्लास 6 की लड़की है और एक चौथी क्लास का लड़का है. मेहरूश मंज़ूर पाल छठी क्लास में पढ़ती है. उसने कहा, ‘ये हमारी मेहनत का नतीजा है. हम इसे जारी रखेंगे’. बच्ची के माता-पिता भी काफी खुश हैं. वादा करते हैं कि बच्ची को आगे बढ़ने के लिए सपोर्ट करेंगे ताकि वो देश के लिए और भी तमगे हासिल कर सकें. न सिर्फ बच्चों के मां-बाप, बल्कि पूरा गांव इस मौके पर जश्न मना रहा है. महिलाओं ने कश्मीरी गीत गाकर और मिठाइयां बांटकर अपने बिरबानों का स्वागत किया. स्थानीय लोग कहते हैं, "ये हमारे लिए एक अच्छी खबर है. हमें उन पर फक्र है." बिलाल अहमद इन बच्चों के कोच हैं. बिलाल कहते हैं, "ये बच्चे काफी दिनों से कड़ी मेहनत कर रहे हैं. मैं बहुत खुश हूं. हम आगे और मेहनत करेंगे."
ये तो जगजाहिर है कि देश के ग्रामीण इलाकों में मूलभूत सुविधाओं का अभाव है. इन बहादुर बच्चों को सरकार से किसी भी तरह की मदद नहीं मिली. इसके बावजूद नरकारा के इन नायकों ने कश्मीर के खेल इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ा है. पिछले महीने आठ साल के तजमुल इस्लाम ने इटली में किकबॉक्सिंग प्रतियोगिता में गोल्ड जीतकर इतिहास रचा था. हिंसा के दौर से गुजर रहे  घाटी को राह दिखाती ये खबर वाकई काबिले तारीफ है. सरकार अगर इसके सहारे कामयाबी, इश्क और मोहब्बत की नई इबारत गढ़ सके तो कश्मीर की रौनक लौटेगी. बेहद हसीन और नायाब होकर.

ये स्टोरी अभिषेक कुमार ने की है

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