हिंसा के दौर से गुजर रहे कश्मीर को राह दिखा रहा गांव 'नरकारा'
जीतनेवालों में छठी क्लास की एक लड़की है और चौथी क्लास का एक लड़का है.
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कश्मीर के बच्चों ने कमाल कर दिखाया
जीतने वालों में एक क्लास 6 की लड़की है और एक चौथी क्लास का लड़का है. मेहरूश मंज़ूर पाल छठी क्लास में पढ़ती है. उसने कहा, ‘ये हमारी मेहनत का नतीजा है. हम इसे जारी रखेंगे’. बच्ची के माता-पिता भी काफी खुश हैं. वादा करते हैं कि बच्ची को आगे बढ़ने के लिए सपोर्ट करेंगे ताकि वो देश के लिए और भी तमगे हासिल कर सकें. न सिर्फ बच्चों के मां-बाप, बल्कि पूरा गांव इस मौके पर जश्न मना रहा है. महिलाओं ने कश्मीरी गीत गाकर और मिठाइयां बांटकर अपने बिरबानों का स्वागत किया. स्थानीय लोग कहते हैं, "ये हमारे लिए एक अच्छी खबर है. हमें उन पर फक्र है." बिलाल अहमद इन बच्चों के कोच हैं. बिलाल कहते हैं, "ये बच्चे काफी दिनों से कड़ी मेहनत कर रहे हैं. मैं बहुत खुश हूं. हम आगे और मेहनत करेंगे."ये तो जगजाहिर है कि देश के ग्रामीण इलाकों में मूलभूत सुविधाओं का अभाव है. इन बहादुर बच्चों को सरकार से किसी भी तरह की मदद नहीं मिली. इसके बावजूद नरकारा के इन नायकों ने कश्मीर के खेल इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ा है. पिछले महीने आठ साल के तजमुल इस्लाम ने इटली में किकबॉक्सिंग प्रतियोगिता में गोल्ड जीतकर इतिहास रचा था. हिंसा के दौर से गुजर रहे घाटी को राह दिखाती ये खबर वाकई काबिले तारीफ है. सरकार अगर इसके सहारे कामयाबी, इश्क और मोहब्बत की नई इबारत गढ़ सके तो कश्मीर की रौनक लौटेगी. बेहद हसीन और नायाब होकर.