कोई बिन मां के बच्चों को छोड़ चल दिया, कोई बहन की शादी से निकला, रैटमाइनर्स सच में बड़े दिलेर हैं
Uttarkashi की Silkyara tunnel से जब दिल्ली के Munna qureshi के पास फोन आया तो उनका और उनके साथियों का क्या रिएक्शन था? मुन्ना ने जो कहा वो सब ने माना. कैसी है इनकी स्थिति? सब कुछ जानिए

उन्हें जैसे फोन आया वो लोगों की जान बचाने निकल गए. हम बात कर रहे हैं रैटमाइनर्स की. उत्तरकाशी टनल से 41 श्रमिक सुरक्षित बाहर आ चुके हैं, ये खबर आपको पता होगी. ये भी पता होगा कि ये रेस्क्यू ऑपरेशन रैट माइनर्स और कई अन्य लोगों की मेहनत से सफल हुआ. जो सिलक्यारा सुरंग में डटे रहे, उनमें से कुछ रैट माइनर्स दिल्ली में रहते हैं. इंडिया टुडे ने इनके परिवारों से बात की तो इनकी वास्तविक स्थिति के बारे में पता लगा. ये भी पता चला कि कैसे रेस्क्यू के लिए बुलाए जाने पर ये सभी बिना कुछ सोचे-समझे बस लोगों की जान बचाने निकल पड़े थे?
Munna Qureshi के घर का हालरैट माइनर्स में शामिल लोग पाइपलाइन मजदूर हैं और दिल्ली जल बोर्ड में काम करते हैं. इसलिए ये जमीन के अंदर सुरंग बनाने में माहिर माने जाते हैं. उत्तरकाशी टनल में खुदाई के लिए पहुंचे रैट माइनर्स में से छह दिल्ली के खजूरी खास इलाके में रहते हैं. जबकि छह यूपी के रहने वाले हैं. दिल्ली में रैटमाइनर आरिफ मुन्ना कुरैशी का परिवार भी रहता है.

मुन्ना के परिजन ने बताया कि उन्हें एक प्राइवेट कंपनी - ट्रेंचलेस इंजीनियरिंग सर्विसेज - ने सिल्क्यारा टनल में रेस्क्यू के लिए बुलाया था. वो 12 दिन पहले सुरंग में फंसे हुए मजदूरों को बचाने के लिए गए थे. तब वो घर में अपने तीन बच्चों को अकेला छोड़ गए थे. उस दौरान मुन्ना के भाई ने बच्चों की देखभाल की. दरअसल, Munna Qureshi ने कोरोना महामारी के बीच अपनी पत्नी को खो दिया था. स्थानीय लोग बताते हैं कि मुन्ना बेहद मददगार स्वभाव के हैं. उन्होंने पहले भी कई लोगों की जान बचाई है.
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नसीम बहनों की शादी छोड़ Uttarkashi चल दिएउत्तरकाशी पहुंची रैटमाइनर्स की टीम में नसीम भी हैं. नसीम के परिजन ने बताया कि नसीम जिस दिन रेस्क्यू ऑपरेशन का हिस्सा बनने गए थे, उस दिन उनके घर में दो बहनों की शादी थी. लेकिन, सामने फर्ज आया तो घर छोड़कर चले गए. परिवार वाले इस बात से खुश हैं कि उनका बेटा हीरो बन गया है.

रैटमाइनर्स के परिवार वाले बताते हैं कि मुन्ना कुरैशी और नसीम सहित ये सभी छह लोग एक साथ काम करते हैं. इनकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है. सिल्क्यारा टनल में काम करने के लिए इन सभी के पास कंपनी का फोन आया था. बताते हैं कि मुन्ना कुरैशी फोन आते ही तुरंत अपने खर्चे पर सबको ले जाने के लिए तैयार थे. सभी रैटमाइनर्स का बस यही कहना था कि उनकी वजह से किसी की जान बच रही है तो इससे ज्यादा खुशी की बात क्या होगी?
नसीम की मां ने कहती हैं,
'हमें बहुत खुशी है. हमारे बच्चे आ गए हैं. खतरे से बाहर निकल आए. देश के बच्चों की जान बचाई है उन्होंने. हमारे बच्चों ने कुछ खाया-पीया नहीं था. फोन सुनते ही चले गए थे.'
मुन्ना के चाचा ने कहा कि उन्हें बहुत खुशी है कि उनके बच्चों ने लोगों की जान बचाई. मुन्ना कुरैशी के छोटे से बेटे ने जो कहा वो आप भूलेंगे नहीं. बेटा बोला- 'मैं बहुत खुश हूं. मेरे पापा ने 41 लोगों की जान बचा ली.'
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