'SEBI की चेयरमैन ने महिंद्रा ग्रुप से पैसे लिए', कांग्रेस के आरोपों पर महिंद्रा का बयान आया
कांग्रेस ने आरोप लगाए थे कि धवल बुच ने महिंद्रा ग्रुप से 4 करोड़ 78 लाख रुपए की पेमेंट रिसीव किया.
हिंडनबर्ग रिसर्च (Hindenburg Research) की तरफ से लगाए गए आरोपों के बाद से SEBI की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच (Madhabi Puri Buch) और उनके पति धवल बुच लगातार विपक्ष के निशाने पर हैं. आज कांग्रेस ने आरोप लगाया कि महिंद्रा एंड महिंद्रा ने धवल बुच को माधबी बुच के कहने पर पेमेंट्स किए थे. महिंद्रा ग्रुप ने बयान जारी कर इन आरोपों को झूठा और भ्रामक बताया है.
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक कांग्रेस ने आरोप लगाए थे कि धवल बुच ने महिंद्रा ग्रुप से 4 करोड़ 78 लाख रुपए की पेमेंट रिसीव किया था. पार्टी ने आरोप लगाए कि ये पेमेंट 2019 से 2021 के बीच ‘Income in a Personal Capacity’ के तहत ली गई थी. कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने आरोप लगाते हुए कहा,
“ये ऐसे समय में हुआ है जब SEBI की सदस्य के रूप में माधबी बुच इसी समूह के मामलों का निपटारा कर रही थीं. हिंडनबर्ग रिपोर्ट में एक कंपनी अगोरा एडवाइजरी प्राइवेट लिमिटेड का नाम सामने आया था, जो कि 7 मई 2013 में रजिस्टर हुई थी. ये कंपनी माधबी पुरी और उनके पति की है. लेकिन माधबी ने हिंडनबर्ग रिपोर्ट आने के बाद इस बात का खंडन किया था.”
खेड़ा ने आगे कहा कि 31 मार्च 2024 तक माधबी बुच के पास अगोरा में 99% हिस्सेदारी थी. वो कंपनी की हिस्सेदारी के बारे में झूठ बोलते हुए रंगे हाथों पकड़ी गई हैं. खेड़ा ने आरोप लगाए कि ये जानबूझकर जानकारी छिपाने का मामला है. कांग्रेस ने आगे कहा कि अगोरा को मिले कुल 2.95 करोड़ रुपये में से 2.59 करोड़ रुपये अकेले महिंद्रा एंड महिंद्रा समूह से आए थे.
महिंद्रा ने क्या कहा?कांग्रेस द्वारा लगाए गए आरोपों पर महिंद्रा एंड महिंद्रा ने बयान जारी कर कहा,
“साल 2019 में यूनिलीवर से रिटायर होने के बाद धवल बुच को सप्लाई चेन मैनेजमेंट में उनकी एक्सपर्टीज़ के कारण रखा गया था. धवल बुच को जो पेमेंट्स किए गए वो सिर्फ यूनिलीवर में उनकी ग्लोबल एक्सपर्टीज़, सप्लाई चेन मैनेजमेंट की उनकी समझ और मैनेजमेंट स्किल्स के लिए किए गए थे.”
महिंद्रा ने बताया कि धवल ने अपना अधिकांश समय ब्रिस्टलकोन में बिताया है. ये एक सप्लाई चेन कंसल्टिंग कंपनी है. कंपनी ने बताया कि धवल वर्तमान में ब्रिस्टलकोन के बोर्ड मेंबर भी हैं. उन्हें माधवी पुरी बुच के SEBI अध्यक्ष नियुक्त किए जाने से लगभग तीन साल पहले महिंद्रा समूह में शामिल किया गया था. महिंद्रा ने बयान में कहा,
“SEBI के जिन पांच आदेशों को लेकर आरोप लगाए जा रहे हैं, वो सभी भ्रामक हैं. SEBI के पांच आदेशों में से तीन कंपनी या उसकी किसी सहायक कंपनी से संबंधित नहीं हैं."
कंपनी ने कहा,
PAC ने समीक्षा का निर्णय लिया"ये एक फास्ट-ट्रैक राइट्स इश्यू था जिसके लिए SEBI से किसी मंजूरी की आवश्यकता नहीं थी. एक मार्च 2018 में जारी किया गया आदेश था जो धवल के महिंद्रा समूह के साथ काम करना शुरू करने से काफी पहले का था."
सरकारी खर्चों पर निगरानी रखने वाली संसदीय संस्था लोक लेखा समिति (PAC) ने इस वर्ष के अपने एजेंडे में SEBI के प्रदर्शन की समीक्षा को शामिल करने का निर्णय लिया है. कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल की अगुवाई वाली संसदीय समिति अपनी समीक्षा प्रक्रिया के दौरान SEBI चेयरपर्सन को तलब कर सकती है. इस निर्णय से माधबी पुरी बुच की मुश्किलें और बढ़ सकती है.
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