महाराष्ट्र का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया, एकनाथ शिंदे ने बड़ी मांग कर दी है?
मुक़दमे में शामिल होंगी 7 पार्टियां, जानिए आज क्या होने वाला है?

महाराष्ट्र में एक हफ्ते से जारी राजनीतिक संकट (Maharashtra political crisis) को लेकर सोमवार, 27 जून को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होने जा रही है. यह सुनवाई शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) और अन्य विधायकों की याचिकाओं पर होगी. इंडिया टुडे से जुड़े संजय शर्मा के मुताबिक, कोर्ट में दो याचिकाएं दाखिल की गई हैं. पहली याचिका एकनाथ शिंदे की है. इसमें डिप्टी स्पीकर नरहरि जिरवाल द्वारा शिंदे और 15 विधायकों को अयोग्य घोषित किये जाने के नोटिस को चुनौती दी गई है.
वहीं दूसरी याचिका विधायक भरत गोगावले की है. इसमें विधानसभा में शिवसेना विधायक दल के नेता और चीफ व्हिप की नियुक्तियों में बदलाव को चुनौती दी गई है. शिवसेना ने एकनाथ शिंदे को हटाकर अजय चौधरी को विधायक दल का नेता बना दिया था. कोर्ट में जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेबी पर्दीवाला की वेकेशन बेंच इस मामले की सुनवाई करेगी.
सुनवाई में 7 पक्ष शामिलयाचिका में डिप्टी स्पीकर के खिलाफ निर्दलीय और बीजेपी विधायकों की ओर से भेजे गए अविश्वास प्रस्ताव को खारिज किए जाने को भी चुनौती दी गई है. दलील है कि जब तक डिप्टी स्पीकर को हटाने के प्रस्ताव पर फैसला नहीं हो जाता, तब तक कोर्ट डिप्टी स्पीकर को उनके खिलाफ अयोग्य घोषित करने को लेकर कार्रवाई आगे नहीं बढ़ाने का निर्देश दे.
महाराष्ट्र का मामला अब काफी पेचीदा बन चुका है. इसलिए सुनवाई में 7 पक्ष शामिल होंगे. आजतक की रिपोर्ट के मुताबिक, इनमें डिप्टी स्पीकर, राज्य विधानसभा सचिव, महाराष्ट्र सरकार, उद्धव ठाकरे की तरफ से चुने गए विधायक दल के नए नेता अजय चौधरी, उद्धव गुट के नए चीफ व्हिप सुनील प्रभु, भारत संघ और महाराष्ट्र के डीजीपी शामिल हैं. कोर्ट में शिंदे गुट की ओर से सीनियर वकील हरीश साल्वे पेश होंगे. वहीं डिप्टी स्पीकर की तरफ से रविशंकर जंध्याला, शिवसेना की ओर से अभिषेक मनु सिंघवी और महाराष्ट्र सरकार की तरफ से देवदत्त कामत अपना पक्ष रखेंगे.
‘दो तिहाई से ज्यादा विधायक’एकनाथ शिंदे गुट का दावा है कि उनके पास शिवसेना के 55 विधायकों में 39 का समर्थन है. रविवार 26 जून को महाराष्ट्र के उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री उदय सामंत भी गुवाहाटी पहुंचकर शिंदे गुट में शामिल हो गए थे. शिंदे गुट के दावों को माना जाए तो उनके पास दो तिहाई (37) से ज्यादा विधायक हैं. उनका दावा है कि कई निर्दलीय विधायक भी शिंदे गुट के साथ हैं.
याचिका में बागी विधायकों ने कहा है कि शिवसेना विधायक दल के दो तिहाई से ज्यादा सदस्य उनका समर्थन करते हैं, इसके बावजूद डिप्टी स्पीकर ने 21 जून को पार्टी के विधायक दल का नया नेता नियुक्त कर दिया. बागी विधायकों ने याचिका में खुद की और अपने परिवार की सुरक्षा की भी मांग की है. हालांकि केंद्र सरकार ने 26 जून को शिंदे गुट के 15 विधायकों को Y+ कैटेगरी की सुरक्षा दी है. दो दिन पहले शिवसेना कार्यकर्ताओं ने बागी विधायकों के घर और दफ्तर पर तोड़फोड़ की थी.
सुप्रीम कोर्ट में इस तरह के मामले पहले भी कोर्ट में पहुंच चुके हैं. महाराष्ट्र की मौजूदा महा विकास अघाडी सरकार भी सुप्रीम कोर्ट में मामला पहुंचने के बाद बनी थी. पिछले कुछ सालों में मध्य प्रदेश, कर्नाटक, गोवा में भी सरकार गठन करने या विधायकों के बागी होने के कारण ऐसे संकट आए. ऐसे मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने फ्लोर टेस्ट का आदेश दिया था, जिससे बहुमत की स्थिति विधानसभा में वोटिंग के जरिए साफ हुई.