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महाराष्ट्र में कल ही होगा फ्लोर टेस्ट, 3 घंटे की सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट का फैसला

महाराष्ट्र संकट के बीच सुप्रीम कोर्ट ने फ्लोर टेस्ट को लेकर बड़ा फैसला सुना दिया है

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सुप्रीम कोर्ट ने फ्लोर टेस्ट से पहले की सुनवाई | फ़ाइल फोटो: आजतक
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अभय शर्मा
29 जून 2022 (Updated: 30 जून 2022, 12:34 PM IST) कॉमेंट्स
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महाराष्ट्र विधानसभा में गुरूवार, 30 जून को ही फ्लोर टेस्ट होगा. सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार शाम को 3 घंटे तक चली सुनवाई के बाद यह फैसला सुनाया है. आजतक के मुताबिक कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि फ्लोर टेस्ट तय समय पर ही होगा. बेंच ने कहा कि गुरुवार को शक्ति परीक्षण की कार्यवाही ही रिट याचिका का अंतिम परिणाम होगी. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने एनसीपी के जेल गए विधायक नवाब मलिक और अनिल देशमुख को वोटिंग की इजाजत दे दी है.

महाराष्ट्र में 30 जून को फ्लोर टेस्ट (Floor Test Hearing) कराने का आदेश राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने दिया था. शिवसेना ने बुधवार, 29 जून को राज्यपाल के इस आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की. इसी याचिका पर कोर्ट ने फैसला सुनाया है.

शिवसेना ने कोर्ट में क्या कहा?

शिवसेना की ओर से अभिषेक मनु सिंघवी ने सुनवाई के दौरान बहस शुरू की. सिंघवी ने कहा,

जो चिट्ठी हमें मिली है, उसमें लिखा गया है कि विपक्ष के नेता ने राज्यपाल से मंगलवार, 28 जून को रात 10 बजे मुलाकात की. इसके बाद बुधवार सुबह हमें गुरूवार को फ्लोर टेस्ट कराने की सूचना दी गई है. जबकि, हमारे दो विधायक कोविड पॉजिटिव हैं. एक विधायक विदेश में है. फ्लोर टेस्ट के लिए सुपर सोनिक स्पीड दिखाई गई है. फ्लोर टेस्ट निर्धारित करता है कि कौन सी सरकार लोगों की इच्छा का प्रतिनिधित्व करती है. बहुमत का पता लगाने के लिए फ्लोर टेस्ट किया जाता है. स्पीकर के फैसले से पहले वोटिंग नहीं होनी चाहिए. उनके फैसले के बाद (कुछ विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने के बाद) सदन में सदस्यों की संख्या बदलेगी.

एकनाथ शिंदे गुट की दलीलें

एकनाथ शिंदे गुट की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता नीरज किशन कौल ने कोर्ट में दलीलें रखीं. उन्होंने कहा,

यहां मामला कोर्ट की तरफ से स्पीकर के फैसले पर रोक लगाने का नहीं है. यह सब जानते हैं कि फ्लोर टेस्ट में देरी नहीं की जानी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने ही कहा है कि फ्लोर टेस्ट के मसले पर अयोग्यता के इश्यू से कोई फर्क नहीं पड़ता. लोकतंत्र में फ्लोर टेस्ट सबसे हेल्दी चीज है. सुप्रीम कोर्ट ने ही कहा है कि अगर कोई मुख्यमंत्री फ्लोर टेस्ट से हिचकता है, तो पहली नजर में ऐसा लगता है कि उसने सदन का विश्वास खो दिया है.

नीरज कौल ने कोर्ट में यह दलील भी दी कि खरीद-फरोख्त पर अंकुश के लिए फ्लोर टेस्ट जल्द से जल्द कराया जाना ही बेहतर है. उनका कहना था,

फ्लोर टेस्ट में जितनी देर की जाएगी, संविधान को उतना ही नुकसान होगा. अगर आप हॉर्स ट्रेडिंग रोकना चाहते हैं, तो इसका सबसे अच्छा तरीका फ्लोर टेस्ट ही है. फिर आप इससे भाग क्यों रहे हैं? जहां तक गवर्नर का सवाल है. तो वे अपने विवेक से फैसला लेते हैं. फ्लोर टेस्ट कराना भी उन्हीं का फैसला है. इसमें शक नहीं कि कोर्ट राज्यपाल के आदेश की समीक्षा कर सकता है, लेकिन क्या इस मामले में राज्यपाल का फैसला सचमुच इतना गलत है कि उसमें दखल दिया जाए?

वहीं, गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी की ओर से एसजी तुषार मेहता ने कहा कि पहले भी 24 घंटे के भीतर बहुमत परीक्षण कराने के आदेश दिए गए हैं. ऐसे में इसकी मंशा पर सवाल नहीं उठाया जा सकता है.

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