लखीमपुर हिंसा के एक और गवाह पर जानलेवा हमला, घर लौटते समय हुई ताबड़तोड़ फायरिंग
31 मई को भारतीय किसान यूनियन टिकैत गुट के जिला अध्यक्ष दिलबाग सिंह की कार पर कुछ अज्ञात बंदूकधारियों ने हमला कर दिया.

लखीमपुर खीरी हिंसा (Lakhimpuri Kheri Violence) के एक और चश्मदीद गवाह पर जानलेवा हमला हुआ है. मंगलवार, 31 मई को भारतीय किसान यूनियन टिकैत गुट के जिला अध्यक्ष दिलबाग सिंह की कार पर ताबड़तोड़ फायरिंग हुई. हालांकि, इस हमले में दिलबाग सिंह बाल-बाल बच गए.
लखीमपुर खीरी जिले के तिकुनिया में हुई हिंसा के दिलबाग सिंह चश्मदीद गवाह हैं. वे लखीमपुर खीरी जिले के गोला गोकर्णनाथ इलाके में रहते हैं. आजतक से जुड़े अभिषेक वर्मा की रिपोर्ट के मुताबिक मंगलवार देर शाम दिलबाग अपनी कार से घर जा रहे थे, तभी भदेंड गांव के पास पीछे से आई एक बाइक पर सवार दो अज्ञात लोगों ने अचानक उनकी कार पर फायरिंग शुरू कर दी. हालांकि गनीमत रही कि कार के अंदर बैठे किसी भी व्यक्ति को गोली नहीं लगी.
हमले में बचे दिलबाग सिंह ने बाद में बताया कि एक गोली उनकी कार के शीशे में लगी और एक गोली टायर के पास. दिलबाग सिंह ने अपने ऊपर हुए इस हमले की जानकारी लखीमपुर खीरी पुलिस को दे दी है. पुलिस मामले की जांच में जुटी है.
इससे पहले भी गवाहों पर हमले हुएये पहला मौका नहीं है जब लखीमपुर हिंसा मामले के किसी गवाह पर हमला किया गया हो. इससे पहले बीती 10 अप्रैल को भी लखीमपुर खीरी कांड के एक चश्मदीद गवाह हरदीप सिंह पर रामपुर के विलासपुर में हमला हुआ था. उन्होंने बताया था कि जब वे अपने घर आ रहे थे उसी दौरान रास्ते में कुछ लोगों ने उन्हें रोककर जमकर पीटा और जान से मार देने की धमकी देकर छोड़ दिया. हरदीप सिंह के मुताबिक हमलावरों का कहना था कि वो लखीमपुर तिकुनिया कांड के मामले में अपना मुंह बंद रखें और गवाही देने कोर्ट ना जाएं. हरदीप सिंह ने हमले का आरोप स्थानीय भाजपा नेता मेहर सिंह देओल पर लगाया था. मेहर सिंह ने इन आरोपों को गलत बताया था.
लखीमपुर कांड की सुनवाई में अब तक क्या-क्या हुआ?3 अक्टूबर, 2021 को उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं किसानों के ऊपर गाड़ी चढ़ा दी गई थी. ये गाड़ी केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा की थी. इस घटना में चार किसानों और उसके बाद हुई हिंसा में चार अन्य लोगों की मौत हो गई थी. मरने वाले अन्य चार लोगों में दो भाजपा कार्यकर्ता, एक ड्राइवर और एक स्थानीय पत्रकार शामिल था. बाद में मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा. शीर्ष अदालत ने इस घटना के मुख्य आरोपी और मंत्री के बेटे आशीष मिश्रा की गिरफ्तारी न होने पर नाराजगी जताई. इसके बाद यूपी पुलिस सक्रिय हुई और उसने आशीष उर्फ मोनू को गिरफ्तार कर लिया.
बाद में सुप्रीम कोर्ट ने मामले की जांच SIT को सौंपी. 3 जनवरी, 2022 को SIT ने इस मामले में लखीमपुर कोर्ट में अपनी चार्जशीट दाखिल की. कुल 5000 पन्नों की इस चार्जशीट में आशीष मिश्रा को मुख्य आरोपी बनाया गया. ये भी कहा गया कि आशीष मिश्रा घटना के समय मौके पर मौजूद थे. चार्जशीट में 13 अन्य लोगों को भी आरोपी बनाया गया है. अदालती कार्यवाही के दौरान आशीष मिश्रा ने निचली अदालत से ज़मानत मांगी. वो नहीं मिली तो हाई कोर्ट का रुख किया. और फिर 10 फरवरी को हाई कोर्ट ने आशीष मिश्रा को ज़मानत दे दी. जमानत के विरोध में कुछ पीड़ित परिवारों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की. इस याचिका पर सुनवाई करते हुए 18 अप्रैल को कोर्ट ने आशीष मिश्रा को मिली जमानत कैंसिल कर दी.

आशीष मिश्रा और मामले के अन्य 12 आरोपियों पर आरोप तय करने के लिए बीती 10 मई लखीमपुर की जिला अदालत में सुनवाई हुई. इस दौरान आशीष मिश्रा के वकील ने डिस्चार्ज एप्लिकेशन देते हुए दलील दी कि घटना के समय वो प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव मौर्य को रिसीव करने जा रहे थे. और जो हुआ वो महज एक दुर्घटना थी. वकील ने कहा कि इस हिंसा को सोची-समझी साजिश करार नहीं दिया जा सकता. इस पर पीड़ित पक्ष के वकील मोहम्मद अमान ने आपत्ति दाखिल की. जिसके बाद मामले की सुनवाई की तारीख बढ़ा दी गई.
उधर, आशीष मिश्रा ने अपनी जमानत के लिए एक बार फिर इलाहाबाद हाईकोर्ट का रुख किया है. वहां लखनऊ बेंच उनकी जमानत की अर्जी पर 8 जुलाई को सुनवाई करेगी.
वीडियो देखें | लखीमपुर कांड के गवाह पर हमले के पीछे BJP नेता का हाथ?