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हरित क्रांति के जनक एम एस स्वामीनाथन का निधन

धान की ज़्यादा उपजाऊ क़िस्मों को विकसित करने में अहम भूमिका निभाई थी. कम आय वाले किसानों के लिए डॉ स्वामीनाथन की खोज एक तरह की क्रांति थी.

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MS Swaminathan passed away.
वैज्ञानिक एम एस स्वामीनथन (तस्वीर - सोशल मीडिया)
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28 सितंबर 2023 (Updated: 28 सितंबर 2023, 13:52 IST)
Updated: 28 सितंबर 2023 13:52 IST
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भारत की हरित क्रांति के जनक वैज्ञानिक और पूर्व राज्यसभा सांसद मनकोम्बु संबासिवन स्वामीनाथन (M S Swaminathan) ने आज, 28 सितंबर को हमें अलविदा कह दिया. वे 98 बरस के थे. अपने चेन्नई स्थित घर पर ही उन्होंने अंतिम क्षण गुज़ारे. दी लल्लनटॉप की तरफ़ से उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि.

प्रोफ़ेसर स्वामीनाथन एक प्रसिद्ध कृषिविज्ञानी और पौधों के आनुवंशिक विज्ञानी (plant genticist) थे. उन्होंने धान की ज़्यादा उपजाऊ क़िस्मों को विकसित करने में अहम भूमिका निभाई थी. स्वामीनाथन ने 'हरित क्रांति' की सफलता के लिए दो केंद्रीय कृषि मंत्रियों - सी. सुब्रमण्यम और जगजीवन राम - के साथ मिलकर काम किया था और 60 के दशक में भारत को अकाल से बचाने के लिए स्वामीनाथन और उनके अमेरिकी वैज्ञानिक साथी नॉर्मन बोरलॉग को ही श्रेय दिया जाता है.

पुलिस अफ़सर बनने वाले थे

7 अगस्त 1925 को तमिलनाडु के शहर कुंभकोणम में जन्म हुआ. पिता, एम. के. सांबसिवन एक सर्जन थे और मां, पार्वती थंगम्मल घर का ख़याल रखती थीं. अपनी स्कूली शिक्षा स्वामीनाथन ने कुंभकोणम से ही की. कृषि विज्ञान में उनकी रुचि उनके पिता की स्वतंत्रता आंदोलन में भागीदारी और महात्मा गांधी के प्रभाव के चलते गहराई. तभी उन्होंने इस विषय में आगे की पढ़ाई की. वरना स्वामीनाथन एक पुलिस अधिकारी बन गए होते. पुलिस सेवा के लिए तो वो क्वॉलिफ़ाई भी कर गए थे. 

ये भी पढ़ें - हरित क्रांति के लिए गेहूं देने वाले देश मेक्सिको की कहानी

ख़ैर, पुलिस अफ़सर नहीं बने. वैज्ञानिक ही बने. और, वैज्ञानिक स्वामीनाथन को 1987 में प्रथम विश्व खाद्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. इसे कृषि क्षेत्र में सबसे ऊंचे सम्मान के रूप में देखा जाता है. इसी के बाद उन्होंने चेन्नई में स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन की स्थापना की थी. 

उन्हें एच के फिरोदिया पुरस्कार, लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय पुरस्कार और इंदिरा गांधी पुरस्कार समेत रेमन मैग्सेसे पुरस्कार और अल्बर्ट आइंस्टीन विश्व विज्ञान पुरस्कार जैसे अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार भी मिले हैं. भारत सरकार ने भी उन्हें पद्म श्री, पद्म भूषण और पद्म विभूषण से सम्मानित किया है.

दुनिया की प्रख्यात TIME मैगज़ीन ने केवल तीन भारतीयों को 20वीं सदी के सबसे प्रभावशाली एशियन्स की लिस्ट में रखा था: रवींद्रनाथ टैगोर, महात्मा गांधी और एम एस स्वामीनाथन.

स्वामीनाथन की तीन बेटियां हैं - विश्व स्वास्थ्य संगठन की मुख्य वैज्ञानिक सौम्या स्वामीनाथन, अर्थशास्त्री मधुरा स्वामीनाथन और ग्रामीण विकास के लिए काम करने वाली नित्या स्वामीनाथन. उनकी पत्नी शिक्षाविद् मीना स्वामीनाथन का पिछले साल मार्च में निधन हो गया था.

वीडियो: भारत का पेट भरने वाले ग्रीन रिवोल्यूशन में मेक्सिको ने कैसे मदद की थी?

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