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G20 का देश मेक्सिको: वो देश, जिसने हरित क्रांति के लिए गेहूं दिया

मेक्सिको का एक बड़ा इलाका अमेरिका ने हथिया लिया. टेक्सस नाम दे दिया. सो ये देश हमेशा विकासशील देशों के हक की बात करता रहा. 1950 में स्वतंत्र भारत के साथ राजनयिक संबंध स्थापित करने वाला लैटिन अमेरिका का पहला देश मेक्सिको ही था.

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Mexican President Andrés Manuel López Obrador conveyed that he would not be attending the G20 summit.
मेक्सिको के राष्ट्रपति ओब्राडोर ने बताया है कि वो भारत में होने वाले G20 समिट में खुद भाग नहीं लेंगे. PM मोदी 2016 में मेक्सिको दौरे पर गए थे. (फाइल फोटो: g20.org और ट्विटर)
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सुरभि गुप्ता
4 सितंबर 2023 (Updated: 4 सितंबर 2023, 05:53 PM IST) कॉमेंट्स
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भारत में 09 और 10 सितंबर को होने वाले G20 Leaders Summit की लल्लनटॉप कवरेज शुरू हो चुकी है. इस सीरीज़ में हम G20 के 20 सदस्य देशों के बारे में सब कुछ बताएंगे. आज बात मेक्सिको (Mexico) की. सबसे पहली बात तो यही कि जैसे अमेरिका का नाम अमेरिका नहीं, संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) है, उसी तरह मेक्सिको का भी आधिकारिक नाम संयुक्त मैक्सिकन राज्य (United Mexican States) है. बिलकुल सही उच्चारण करना हो, तो आप कहेंगे यूनाइटेड मेहिकन स्टेट्स. जी, मेक्सिको में बोली जाने वाली स्पैनिश में देश का नाम मेहिको ही है. अब आगे की बात.

नक्शे पर कहां है मेक्सिको?
मेक्सिको का नक्शा. (गूगल मैप्स)

मेक्सिको पर नक्शे को खोजना बहुत आसान है. बस USA के ठीक दक्षिण में देखिए. आपको मेक्सिको नज़र आएगा. आप खबरों में लगातार यूएस-मेक्सिको बॉर्डर पर प्रवासियों से जुड़ी खबरें पढ़ ही रहे होंगे. सो वहीं से आपको लोकेशन का बेसिक आइडिया लग जाएगा. अगर आपके हाथ में पॉलिटिकल मैप नहीं है, तब भी मेक्सिको को खोजना मुश्किल नहीं है. आपको उत्तरी अमेरिकी महाद्वीप के दक्षिण में एक पूंछ जैसी आकृति दिखती है. इसी पूंछ पर बसा है मेक्सिको. उत्तर में संयुक्त राज्य अमेरिका है. दक्षिणी सीमा से दो छोटे-छोटे देश लगे हैं. बेलिज़ और ग्वाटेमाला. इसके पूरब की तरफ मेक्सिको की खाड़ी है. और पश्चिम में प्रशांत महासागर. जैसे अपने यहां बंगाल की खाड़ी है, वैसे ही मेक्सिको के पश्चिम में भी है. समंदर का एक पतला सा सिरा दो तरफ मेक्सिको से घिरा है. और मज़े की बात ये है कि इसका नाम मेक्सिको के नाम पर नहीं है. इसे कहा जाता है ‘गल्फ ऑफ कैलिफोर्निया’ माने कैलिफोर्निया की खाड़ी. कंफ्यूज़ नहीं होना है. कैलिफोर्निया अमेरिका का ही राज्य है, लेकिन गल्फ ऑफ कैलिफोर्निया लगा है मेक्सिको से.

मेक्सिको की आबादी लगभग 13 करोड़ के करीब है.

मेक्सिको का समय भारत से साढ़े 11 घंटे पीछे है. जब वहां सुबह के 8 बजते हैं, भारत में शाम के साढ़े 7 बज रहे होते हैं.

मेक्सिको की राजधानी मेक्सिको सिटी है. नई दिल्ली से मेक्सिटो सिटी की दूरी लगभग 14,649 किमी है.

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मेक्सिको का इतिहास

मेक्सिको कई प्राचीन सभ्यताओं के लिए जाना जाता है. माया सभ्यता यहीं पनपी थी. यहां का एज़्टेक साम्राज्य बहुत विकसित था. पिरामिड, बड़े-बड़े और बेहद खूबसूरत मंदिर थे. अच्छी-खासी अर्थव्यवस्था थी. फिर 1521 में यहां स्पेन ने आक्रमण किया और मेक्सिको एक स्पेनिश उपनिवेश बन गया. इसीलिए मेक्सिको में आज स्पैनिश बोली जाती है.

स्पेन का राज चला 1800 की शुरुआत तक. माने तकरीबन 300 सालों तक मेक्सिको स्पेन का गुलाम रहा. फिर लोगों ने स्पैनिश शासन के खिलाफ विद्रोह किया. इसे कहा गया मेक्सिकन वॉर ऑफ इंडिपेंडेंस, जो 1821 में मेक्सिको की स्पेन पर जीत के साथ खत्म हुआ. मेक्सिको स्पेन से आज़ाद हुआ. लेकिन, ऐसा नहीं है कि इसके बाद सब ठीक हो गया.

1846 में मेक्सिको की अमेरिका से जंग हुई. ये लड़ाई 2 साल चली, 1848 तक. मेक्सिको तब तक उतना ताकतवर नहीं था. अमेरिका ने ये जंग जीत ली. नतीजे में मेक्सिको का काफी बड़ा इलाका अमेरिका के पास चला गया. आज जिसे अमेरिका टेक्सस कहता है, वो कभी मेक्सिको का तेहास था. अलास्का को छोड़ दें, तो कंटिग्यूअस USA का सबसे बड़ा राज्य टेक्सस ही है. कंटिग्यूअस माने वो इलाके, जिनकी सीमाएं आपस में मिलती हों.

खैर, विषय पर लौटते हैं. अमेरिका से लड़ाई में हार के बाद मेक्सिको में फ्रांस का साम्राज्य चला. 19वीं शताब्दी के अंतिम दशक में यहां तानाशाह पोर्फिरियो डिआज़ आए. डिआज ने मेक्सिको में व्यवस्था बहाल करने की शुरुआत की. 

1910 में मेक्सिकन क्रांति शुरू हुई, जो 10 साल चली. इसी के नतीजे में 1917 का नया संविधान आया, जो आज भी लागू है.

पैसे वाली बात

मेक्सिको की करेंसी का नाम पेसो है.

इंटरनैशनल मॉनिटरी फंड (IMF) के मुताबिक, मेक्सिको की GDP 1.66 ट्रिलियन डॉलर है. भारतीय करेंसी में बात करें, तो 137 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा. वहीं प्रति व्यक्ति आय लगभग साढ़े 10 लाख रुपये है.

निर्यात

2021 में, भारत से मेक्सिको को निर्यात 5.931 बिलियन डॉलर यानी लगभग 49 हजार करोड़ रुपये तक रहा.

आयात

भारत का मेक्सिको से आयात 4.17 बिलियन डॉलर यानी लगभग 34 हजार करोड़ रुपये रहा.

मेक्सिको को भारत क्या निर्यात करता है?

ऑटोमोबाइल और ऑटो पार्ट्स और फार्मास्यूटिकल उत्पाद आदि.

मेक्सिको से भारत क्या आयात करता है?

सबसे महत्वपूर्ण वस्तु कच्चा तेल है. मेक्सिको से आयात की जाने वाली चीजों में इसका हिस्सा लगभग 75% है.

सामरिक रिश्ते

1950 में स्वतंत्र भारत के साथ राजनयिक संबंध स्थापित करने वाला मेक्सिको, लैटिन अमेरिका का पहला देश था. शीत युद्ध के वर्षों में, मेक्सिको और भारत ने संयुक्त राष्ट्र (UN) के सदस्यों के तौर पर मिलकर काम किया था. दोनों देश विकासशील देशों के हितों की वकालत करते थे. आज भी दोनों देशों में दोस्ताना संबंध हैं और भारत का दूतावास राजधानी मेक्सिको सिटी में है.

पंडित जवाहर लाल नेहरू 1961 में मेक्सिको के दौरे पर जाने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री थे. इसके बाद 1981 में इंदिरा गांधी और 1986 में राजीव गांधी बतौर प्रधानमंत्री मेक्सिको के दौरे पर गए थे. 2012 में मनमोहन सिंह G20 समिट में हिस्सा लेने मेक्सिको गए थे.

भारत के मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बार मेक्सिको गए हैं. जून 2016 में.

पॉलिटिकल सिस्टम

मेक्सिको एक संघीय गणराज्य है. माने ये राज्यों से मिलकर बना है. और इसका कोई राजा या रानी नहीं है. अपने नेता को लोग खुद चुनते हैं. भारत की तरह यहां भी कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका होती है.

मेक्सिको के संविधान के मुताबिक यहां शासन की शक्ति कार्यकारी, विधायी और न्यायिक तीन शाखाओं में विभाजित हैं.

कार्यकारी शाखा का नेतृत्व राष्ट्रपति करता है, जो राज्य और सेना का प्रमुख भी होता है. विधायी शाखा में संघ की कांग्रेस शामिल है और इसे ऊपरी और निचले सदन में बांटा गया है. न्यायिक शाखा का नेतृत्व देश का सर्वोच्च न्यायालय करता है.

मेक्सिको में प्रेसिडेंशियल सिस्टम है. हर 6 साल में राष्ट्रपति का चुनाव होता है. डायरेक्ट वोटिंग के जरिए जनता अपना राष्ट्रपति चुनती है. राष्ट्रपति अपनी कैबिनेट चुनता है. यहां किसी राष्ट्रपति को फिर से निर्वाचित नहीं किया जा सकता है. मतलब एक बार राष्ट्रपति चुना गया व्यक्ति दोबारा चुनाव में खड़ा नहीं हो सकता.

मेक्सिको की कांग्रेस, अपने यहां की संसद की तरह होती है. इसे चैंबर ऑफ डेप्युटीज़ और सीनेट में बांटा गया है. कांग्रेस के अंदर सीनेटर और डेप्युटीज़ बहस कर कानून बनाते हैं. यहां डेप्युटीज़ सांसद की तरह होते हैं, जिनका चुनाव हर तीन साल पर होता है और सीनेट का चुनाव हर 6 साल पर होता है.

ये भी पढ़ें- G20 के देश: गोवा पर भारत का विरोध करने वाले ब्राज़ील की कहानी!

सरकार की कमान

मेक्सिको के मौजूदा राष्ट्रपति आंद्रेज़ मैनुएल लोपेज़ ओब्राडोर (Andrés Manuel López Obrador) हैं. आंद्रेज़ मैनुएल लोपेज़ ओब्राडोर को लोग उनके नाम के पहले अक्षरों के आधार पर आम्लो (AMLO) कहकर भी पुकारते हैं.

2018 में ओब्राडोर के राष्ट्रपति बनने से पहले मेक्सिको में दो ही प्रमुख दलों - नेशनल एक्शन पार्टी (PAN) और इंस्टिट्यूशनल रेवोल्यूशनरी पार्टी (PRI) ने शासन किया था.

मेक्सिको में साल 1929 से हर 6 साल में राष्ट्रपति के चुनाव हो रहे हैं. साल 1929 से लेकर 2000 तक PRI पार्टी के उम्मीदवार राष्ट्रपति रहे, जबकि साल 2000 से 2012 तक PAN पार्टी ने देश की सत्ता संभाली और फिर 2012 के चुनाव में PRI ने सत्ता में वापसी की.

मेक्सिको के राष्ट्रपति आंद्रेज़ मैनुएल लोपेज़ ओब्राडोर

लोपेज़ ओब्राडोर मेक्सिको के इतिहास में पहले राष्ट्रपति हैं, जो इन दोनों दलों से नहीं जुड़े हैं. हालांकि, उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत 1976 में इंस्टीट्यूशनल रिवोल्यूशनरी पार्टी (PRI) के सदस्य के तौर पर ही की थी.

1989 में, वह डेमोक्रेटिक रिवोल्यूशन पार्टी (PRD) में शामिल हो गए.

2000 में वो मेक्सिको सिटी के मेयर थे, तब उनका झुकाव वामपंथ की ओर हुआ.

2012 में, ओब्राडोर ने PRD पार्टी छोड़ दी और एक नई पार्टी MORENA बनाने की घोषणा की. MORENA एक वामपंथी राजनीतिक दल है, जो 2014 में आधिकारिक तौर पर रजिस्टर किया गया.

2018 में राष्ट्रपति का चुनाव जीतने से पहले ओब्राडोर दो बार राष्ट्रपति पद का चुनाव हार चुके थे. 2006 में वो बेहद कड़े मुकाबले में हार गए थे, तब उन्होंने चुनाव को धांधली करार दिया था और खुद को मेक्सिको का असल नेता बताया था.

वहीं 2018 में ओब्राडोर ने 53.8 प्रतिशत वोटों के साथ जीत हासिल की और उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी को सिर्फ 22.8 प्रतिशत वोट मिले थे.

फैक्ट्स

ओब्राडोर मेक्सिको के 65वें राष्ट्रपति हैं, जो 1 दिसंबर 2018 से मेक्सिको की कमान संभाल रहे हैं.

तब से, छात्रों के लिए छात्रवृत्ति बढ़ाने, बुजुर्गों के लिए कल्याणकारी योजनाएं शुरू करने और वेतन बढ़ाने के कानून बनाने के लिए ओब्राडोर की सराहना की गई है.

अप्रैल 2022 में ओब्राडोर ने एक जनमत संग्रह कराया था. इसमें लोगों से वोट करने के लिए कहा गया कि क्या वे चाहते हैं कि ओब्राडोर पद छोड़ दें या बने रहें. BBC की रिपोर्ट के मुताबिक, सत्ता में आने के बाद "लोगों को उन्हें पद से हटाने का मौका देना" उनके वादों में से एक था. मतदान केवल 19% के आसपास हुआ था, लेकिन 90% से अधिक मतदाताओं ने ओब्रेडोर का समर्थन किया था.

लोपेज़ ओब्राडोर को टाइम मैगजीन के 2019 के 100 सबसे प्रभावशाली लोगों में से एक नामित किया गया था.

अगस्त 2022 में ओब्राडोर ने विश्व शांति के लिए एक समिति बनाने की बात कही थी. उन्होंने कहा था कि इस समिति में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, इसाई धर्म गुरु पोप फ्रांसिस और UN चीफ एंटोनियो गुटेरेस को शामिल किया जाना चाहिए.

मैक्सिकन गेहूं की किस्में, खासकर सोनोरा गेहूं, की भारत की हरित क्रांति में अहम भूमिका थी.

200 से अधिक भारतीय कंपनियां मेक्सिको में मौजूद हैं. इनमें TCS, HCL, इंफोसिस, टेक महिंद्रा, NIIT, Aptech, विप्रो जैसी बड़ी IT कंपनियां भी शामिल हैं. कई फार्मा कंपनियां, जैसे डॉ. रेड्डी लैब, जाइडस, लाइफ साइंसेज, सन फार्मा वैगरह भी मेक्सिको में निवेश करती हैं और वहां ऑपरेशनल हैं.

मेक्सिको की 17 बड़ी कंपनियां भारत में मौजूद हैं. नेमाक, मेटलसा, मेक्सिकेम, ग्रेट फूड्स एंड बेवरेजेज, रूहरपम्पेन, सिनेपोलिस और किडज़ानिया जैसी प्रमुख मैक्सिकन कंपनियों ने हाल ही में भारत में निवेश किया है. सिनेपोलिस (Cinepolis) ने पूरे भारत में 350 से अधिक स्क्रीन खोली हैं.

फुटनोट्स

मेक्सिको की एक बड़ी समस्या ड्रग्स की तस्करी है. ड्रग्स का व्यापार करने वाले गैंग्स की पकड़ इतनी मजबूत है कि सरकार चाहकर भी कुछ नहीं कर पाती. 2006 से ड्रग्स के खिलाफ कड़ी कार्रवाई शुरू की गई है. लेकिन वॉर ऑन ड्रग्स में खूब तबाही भी हुई. काउंसिल फ़ॉर फ़ॉरेन रिलेशंस (CFR) की एक रिपोर्ट के मुताबिक मेक्सिको में 2006 से 2022 के बीच वॉर ऑन ड्रग्स के चलते साढ़े तीन लाख से अधिक लोग मारे गए.

क्षेत्रफल के हिसाब से मेक्सिको दुनिया का 13वां सबसे बड़ा देश है.

भारत और मेक्सिको का कल्चर काफी मिलता-जुलता है. भारत वैश्विक स्तर पर मेक्सिको का तीसरा सबसे बड़ा बाज़ार है.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मेक्सिको के राष्ट्रपति ओब्राडोर ने बताया है कि वो भारत में होने वाले G20 समिट में खुद भाग नहीं लेंगे.

ये भी पढ़ें- G20 Summit में शामिल हो रहे सऊदी अरब की पूरी कहानी ये है

वीडियो: दुनियादारी: अल चापो के बेटे 'माउस' की गिरफ़्तारी पर मेक्सिको में तांडव क्यों होने लगा?

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