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फ्रांस से 63000 करोड़ की राफेल डील को मंजूरी! समंदर में भारत की ताकत बढ़ाएंगे 26 फाइटर जेट

गवर्नमेंट टू गवर्नमेंट डील के तहत फ्रांस से 26 राफेल एम फाइटर जेट खरीदे जाएंगे. जिन्हें नौसेना के दोनों एयरक्राफ्ट कैरियर INS विक्रांत और INS विक्रमादित्य पर तैनात किया जाएगा. Rafale M की हवा में कलाबाजी या मैनुवर करने की क्षमता भी अच्छी है. यही वजह थी कि सिर्फ Tejas ही नहीं Rafale-Marine अपने प्रतिद्वंदी Boeing के F/A-18 सुपर हॉर्नेट के मुकाबले इंडियन नेवी को ज्यादा पसंद आया.

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indian navy to get 26 rafale marine jets amid india france defence deal
राफेल-एम विमान (PHOTO-Dassault Aviation)
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मानस राज
9 अप्रैल 2025 (Updated: 30 अप्रैल 2025, 10:35 AM IST) कॉमेंट्स
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भारत सरकार ने इंडियन नेवी के लिए 26 राफेल-एम (Rafale M Deal) विमानों की खरीद को मंजूरी दे दी है. इसमें 22 विमान सिंगल सीटर, जबकि 4 विमान ट्विन यानी डबल सीटर होंगे. भारत और फ्रांस की सरकार के बीच हुई इस डील की कीमत लगभग 63 हजार करोड़ है. समाचार एजेंसी ANI ने सूत्रों के हवाले से इस आशय की खबर दी है. इस बीच समझते हैं कि क्या है राफेल-एम विमान? क्या ये इंडियन एयरफोर्स में इस्तेमाल हो रहा राफेल ही है, या अलग है? 

राफेल-एम

भारतीय वायुसेना भी राफेल का इस्तेमाल करती है. पर जैसा कि इसके नाम से ज़ाहिर है, राफेल मरीन यानी मरीन ऑपरेशंस में इस्तेमाल आना वाले राफेल. इसे राफेल-M भी कहा जाता है. इसे भी फ्रेंच कंपनी डसॉल्ट एविएशन ही बनाती है. इस विमान में Active Electronically Scanned Array (AESA) रडार लगा हैै. ये रडार एक साथ ज़मीन, समुद्र और हवा में मौजूद टारगेट्स का पता लगा सकता है. ये एक सिंगल सीटर जहाज़ है जिसके विंगस्पैन 10.90 मीटर लंबे हैं. लम्बाई 15.30 मीटर और ऊंचाई 5.30 मीटर है. राफेल-M 24.5 टन का लोड लेकर टेक-ऑफ करता है. इसके अलावा 9.5 टन एक्स्ट्रा लोड उठाने की क्षमता भी इस जहाज़ में है.

ये विमान 50 हज़ार फ़ीट की ऊंचाई तक ऑपरेशंस कर सकता है. साथ ही इसका टर्न रेट, आसान भाषा में कहें तो हवा में कलाबाजी करने या मैनुवर करने की क्षमता भी अच्छी है. यही वजह थी कि राफेल-मरीन अपने प्रतिद्वंदी बोइंग के F/A-18 सुपर हॉर्नेट के मुकाबले इंडियन नेवी को ज्यादा पसंद आया. इसके रडार के बारे में एक बात है कि ये काफी अच्छे से काम करता है. टॉप स्पीड मैक 1.8 यानी 2222.64 किलोमीटर प्रति घंटा है.

राफेल को लेकर एक ख़बर और है कि इसमें लगने वाले हथियार भारतीय नहीं होंगे. वजह बताई गई है बिजनेस स्टैण्डर्ड की एक रिपोर्ट में. इस रिपोर्ट के मुताबिक राफेल मरीन की लागत कम हुई. वजह थी इसमें किए जाने वाले बदलावों को अब ड्राप कर दिया गया है. क्योंकि भारतीय हथियारों जैसे अस्त्र और रूद्रम मिसाइल को लगाने के लिए विमान में कई बदलाव करने पड़ रहे थे जिससे विमान की लागत बढ़ जा रही थी.

(यह भी पढ़ें: इंडियन नेवी ने भारतीय 'तेजस' की जगह फ्रांस के राफेल को क्यों चुना?)

राफेल मरीन में इंडियन नेवी की दिलचस्पी के पीछे इसकी कुछ और खासियतें हैं. जैसे अगर आप एयरफोर्स के विमानों को देखें तो आमतौर पर उनके पास उड़ान भरने और लैंड करने के लिए बड़ा रनवे होता है. पर नेवी के विमानों के पास ऐसी सहूलियत नहीं होती. उन्हें एयरक्राफ्ट कैरियर के छोटे रनवे पर टेक-ऑफ और लैंड करना होता है. इसी वजह से उनके पीछे एक हुक होता है जो लैंड करते ही विमान को रोकने का काम करता है. राफेल के मरीन वर्जन में शॉर्ट टेक-ऑफ का फीचर मिलता है. माने ये विमान बिना लंबे रनवे के भी उड़ान भर लेते हैं. इसी फीचर की बदौलत ये एयरक्राफ्ट कैरियर के छोटे डेक पर आसानी से टेक-ऑफ और लैंड करने की क्षमता रखते हैं.

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