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एयरफोर्स ने चीन के जासूसी गुब्बारे को मार गिराया, राफेल से बनाया निशाना

अमेरिका में जासूसी गुब्‍बारा उड़ाकर हड़कंप मचाने वाले चीन ने जनवरी 2022 में हिंद महासागर में भारत के रणनीतिक रूप से बेहद अहम अंडमान निकोबार द्वीप समूह के ऊपर से जासूसी गुब्‍बारा उड़ाया था. रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि चीन के इस जासूसी गुब्‍बारे की तस्‍वीर भी सामने आई थी.

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Spy Balloon (Reuters)
जासूसी गुब्बारा (Reuters)
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निहारिका यादव
6 अक्तूबर 2024 (Updated: 6 अक्तूबर 2024, 09:51 PM IST) कॉमेंट्स
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भारतीय वायुसेना ने राफेल की मदद से चीन के जासूसी गुब्बारे को सफलतापूर्वक गिरा दिया. रक्षा सूत्रों से इंडिया टुडे को मिली जानकारी के मुताबिक ये घटना ये घटना कुछ महीने पहले की है. राफेल जेट ने आसमान में 15 किलोमीटर से अधिक की ऊंचाई पर घूम रहे चीनी जासूसी गुब्बारे जैसे टारगेट को मार गिराया. 2023 में चीन ने अमेरिका में जासूसी गुब्‍बारा उड़ाया था. फिर जानकारी मिली कि अमेरिका से पहले भारत के हिंद महासागर में जनवरी 2022 में उसी तरह का जासूसी गुब्बारा देखा गया था. खबरों के मुताबिक इसके पीछे भी चीन का ही हाथ था. 

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय वायुसेना ने पिछले साल अमेरिकी वायुसेना द्वारा गिराए गए गुब्बारे की तुलना में छोटे गुब्बारे को टारगेट बनाया था. सूत्रों के मुताबिक, लक्ष्य को हासिल करने के लिए भारतीय वायु सेना के अधिकारियों ने कुछ पेलोड के साथ एक गुब्बारा हवा में छोड़ा. फिर उसे 15 किलोमीटर से अधिक की ऊंचाई पर मार गिराया.

न्यूज़ एजेंसी ANI के मुताबिक, 2023 की शुरुआत में, अमेरिकी वायु सेना के F-22 रैप्टर फाइटर जेट ने दक्षिण कैरोलिना के तट पर एक चीनी जासूसी गुब्बारे को मार गिराया था. ये जासूसी गुब्बारा कई दिनों से उत्तरी अमेरिका में घूम रहा था. इसी तरह का एक गुब्बारा भारत में अंडमान और निकोबार द्वीप समूह क्षेत्र में देखा गया था. ऐसा माना जाता है कि गुब्बारों का उपयोग एक बड़े क्षेत्र पर निगरानी रखने के लिए किया जाता है. 

ये जासूसी गुब्बारे अत्यधिक ऊंचाई पर उड़ते हैं. ऐसे में इनसे होने वाले खतरे से निपटने के लिए भारतीय वायु सेना ने अमेरिकी वायु सेना से बात भी की थी.

रिपोर्ट के अनुसार, यह भी माना जाता है कि चीनी जासूसी गुब्बारों में एक प्रकार का स्टीयरिंग तंत्र होता है. जिसका उपयोग मनमुताबिक क्षेत्रों की निगरानी पर स्थिरता के लिए किया जा सकता है. ऐसे में भारतीय वायु सेना भविष्य में ऐसे खतरों के खिलाफ कार्रवाई के लिए अपनी मानक संचालन प्रक्रिया भी तैयार कर रहा है.
 

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