The Lallantop
Advertisement
  • Home
  • News
  • Gen Z protestors clash outside Nepal Army Headquarter amid leadership dispute

नेपाल में नया संकट, Gen Z आपस में ही लड़ पड़े, सेना मुख्यालय के बाहर हुई भिड़ंत

नेपाल में सेना मुख्यालय के बाहर युवाओं में अंतरिम प्रधानमंत्री के नाम को लेकर बहस हुई और देखते ही देखते हाथापाई में बदल गई. इस झड़प ने अंतरिम पीएम के नाम को लेकर आंदोलन के भीतर बढ़ते मतभेदों को उजागर किया है.

Advertisement
Nepal protestors
नेपाल में सेना मुख्यालय के बाहर भिड़े जेन जी प्रदर्शनकारी. (तस्वीर- पीटीआई)
pic
राघवेंद्र शुक्ला
11 सितंबर 2025 (Updated: 11 सितंबर 2025, 08:48 PM IST)
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

नेपाल के अंतरिम प्रधानमंत्री के मुद्दे पर क्या Gen Z आंदोलनकारियों में फूट पड़ गई है? ये सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि गुरुवार, 11 सितंबर को सेना मुख्यालय के सामने आंदोलनकारियों के गुट आपस में भिड़ गए. इंडिया टुडे ने प्रत्यक्षदर्शियों के हवाले से बताया है कि युवाओं में अंतरिम प्रधानमंत्री के नाम को लेकर बहस हुई और देखते ही देखते हाथापाई में बदल गई. इस झड़प ने केपी शर्मा ओली के पद छोड़ने के बाद नेपाल के नेतृत्व को लेकर Gen Z आंदोलनकारियों के भीतर बढ़ते मतभेदों को उजागर किया है. 

सेना ने इसी मतभेद को खत्म करने और आम सहमति बनाने के लिए आंदोलन के प्रतिनिधियों के साथ गुरुवार को मीटिंग बुलाई थी. लेकिन लगता है कि मामला सुलझने की बजाय और ज्यादा उलझता जा रहा है. 

आंदोलनकारियों में एक खेमा है, जो पूर्व न्यायाधीश सुशीला कार्की के नाम से सहमत है और उन्हें अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाहता है. कार्की ने इसके लिए सहमति भी दे दी है. लेकिन आंदोलनकारियों में कुछ लोग इसका विरोध कर रहे हैं. उनकी दलील है कि संविधान पूर्व जजों को प्रधानमंत्री बनाने की इजाजत नहीं देता. जबकि कार्की के समर्थकों को लगता है कि वह ईमानदार और निडर हैं. ऐसी छवि वाले किसी व्यक्ति को ही अंतरिम पीएम बनाया जाना चाहिए.

कार्की का विरोध करने वाले धड़े ने प्रधानमंत्री के लिए नेपाल विद्युत प्राधिकरण के पूर्व प्रमुख कुलमान घिसिंग का नाम प्रस्तावित किया है. उनका कहना है कि पेशे से इंजीनियर कुलमन घीसिंग ‘देशभक्त व्यक्ति’ हैं और ‘सभी उन्हें प्यार करते हैं’.  कार्की को खारिज करने के लिए उनके विरोधियों ने उनकी उम्र का भी हवाला दिया है. उनका कहना है कि कार्की 73 साल की हैं और उनके अंतरिम प्रधानमंत्री का उम्मीदवार बनने से आंदोलनकारियों के बीच गतिरोध की संभावना बढ़ेगी.

जेन जी आंदोलन के समय जो सबसे लोकप्रिय नेता थे और जिन्हें सभी नेपाल के अगले प्रधानमंत्री के रूप में देख रहे थे, वह काठमांडू के मेयर बालेंद्र शाह हैं. लेकिन उन्होंने इस पद के लिए कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई है. बुधवार, 10 सितंबर को प्रधानमंत्री के नाम की चर्चा के लिए बुलाई गई वर्चुअल मीटिंग में उन्हें कई बार फोन किया गया, लेकिन उन्होंने किसी का भी फोन नहीं उठाया, इसके बाद चर्चा अन्य नामों पर शिफ्ट हो गई. 5 हजार से ज्यादा लोगों वाली मीटिंग में सबसे ज्यादा, तकरीबन ढाई हजार लोगों का समर्थन सुशीला कार्की को मिला.

आंदोलनकारी एक और नाम हरक संपांग पर भी विचार कर रहे थे, लेकिन कई लोगों ने ये कहते हुए उनका विरोध किया कि उनमें देश के सभी वर्गों का नेतृत्व करने की क्षमता नहीं है.

कुल मिलाकर, मुख्य मुकाबला सुशीला कार्की और कुलमन घीसिंग को लेकर है. हालांकि, इस दौड़ में दुर्गा प्रसाई का नाम भी सामने आ रहा है, जिन्होंने इसी साल मार्च में नेपाल में राजशाही की वापसी के लिए आयोजित बड़े प्रदर्शन का नेतृत्व किया था.

भद्रकाली स्थित सेना मुख्यालय में इन्हीं सबको लेकर बातचीत चल रही थी, जिसमें राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल, सेना प्रमुख अशोक राज सिग्डेल और जेन जी प्रतिनिधि शामिल थे. सेना के एक प्रवक्ता ने बताया कि आंदोलन के सभी शेयरहोल्डर्स से बातचीत कर पीएम के नाम पर जारी गतिरोध को तोड़ने की कोशिश की जा रही है. सेना का ध्यान इसके साथ ही देश में कानून-व्यवस्था बनाए रखने पर केंद्रित है.

वीडियो: नेपाली संसद के अंदर की प्रदर्शनाकरियों ने कुछ नहीं छोड़ा

Advertisement