The Lallantop
Advertisement
  • Home
  • News
  • former supreme court judge arijit pasayat is accused of misreporting rs 1.06 crore black money sit

काले धन की जांच कर रहे पूर्व SC जज ने अपने 1 करोड़ का हिसाब नहीं दिया, कहा - "ये लीक कैसे हुआ?"

जस्टिस पसायत ने केंद्र सरकार के 'विवाद से विश्वास योजना' का सहारा लिया. इसके तहत उन्होंने 37.90 लाख रुपये चुका कर मामले को रफा-दफा किया.

Advertisement
Justice Arijit Pasayat
(फोटो क्रेडिट: ट्विटर/@NationalTrust99)
pic
धीरज मिश्रा
15 जून 2022 (Updated: 15 जून 2022, 12:38 PM IST)
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

सुप्रीम कोर्ट के एक पूर्व जज हैं जस्टिस अरिजीत पसायत. केंद्र सरकार ने काले धन को लेकर एक विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया था. पसायत उस जांच दल के उपाध्यक्ष हैं. हालांकि इस समय वह एक अलग वजह से खबरों मे हैं. जस्टिस पसायत पर आरोप है कि उन्होंने साल 2017-18 में इनकम टैक्स विभाग को अपने आय की सही जानकारी नहीं दी थी.

इंडियन एक्सप्रेस की रितु सरीन और जय मजूमदार की रिपोर्ट के मुताबिक, इनकम टैक्स विभाग की कटक यूनिट ने पाया था कि जस्टिस पसायत ने वित्त वर्ष 2017-18 के लिए अपनी आय का जो लेखा-जोखा पेश किया था, उसमें 1.06 करोड़ रुपये के संबंध में गलत जानकारी दी गई थी.

शुरुआत में तो उन्होंने इस आदेश को चुनौती दी थी, लेकिन फिर बाद में जस्टिस पसायत ने केंद्र सरकार के 'विवाद से विश्वास योजना' का सहारा लिया. इसके तहत उन्होंने 37.90 लाख रुपये चुका कर मामले को रफा-दफा किया.

दरअसल, केंद्र सरकार ने लंबित टैक्स मामलों का जल्द निपटारा करने के लिए 17 मार्च 2020 को 'विवाद से विश्वास योजना' की शुरुआत की थी. जस्टिस पसायत ने नवंबर 2020 में इसका लाभ उठाया था.

इनकम टैक्स विभाग ने आदेश में क्या कहा?

रिपोर्ट के मुताबिक 31 दिसंबर 2019 को कटक के आयकर उपायुक्त ने जस्टिस पसायत के खिलाफ 21 पेज का आदेश पारित किया था. 

इसमें कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज ने वित्त वर्ष 2017-18 के लिए अपनी आय में दर्शाया है कि उन्हें 26.85 लाख रुपये की सैलरी मिली है. ये राशि (सैलरी) उन्हें काले धन पर बनी एसआईटी के उपाध्यक्ष के लिए मिली थी. इसके अलावा उन्होंने बताया कि इस दौरान मध्यस्थता और विवाद समाधान वाले कार्यों से उनकी 3.66 करोड़ रुपये की कमाई हुई.

हालांकि आदेश में कहा गया है कि उन्होंने अपनी इस कमाई को 'पेशेवर आय' के बजाय 'अन्य तरीकों से आय' की श्रेणी में दर्शाया है.

इसके अलावा आयकर विभाग ने यह भी कहा कि जस्टिस पसायत ने 2.01 करोड़ रुपये का खर्चा गलत तरीके से दिखाया है और इसके संबंध में कोई बिल या वाउचर पेश नहीं किया गया. एजेंसी ने कहा कि उनका ये खर्चा उनके बैंक अकाउंट से मेल नहीं खाता है.

इसके अलावा इनकम टैक्स विभाग ने अपने आदेश में यह भी कहा कि जस्टिस पसायत ने अपनी बेटी को 1.34 करोड़ रुपये का लोन/गिफ्ट दिया था, जो कि सीबीआई वकील हैं.

आखिर में एजेंसी ने आकलन करके आदेश में कहा कि जस्टिस पसायत द्वारा दर्शाए गए 1.06 करोड़ रुपये के खर्चे का कोई प्रमाण नहीं है. इस संबंध में न तो बैंक से कोई पैसे निकालने का रिकॉर्ड है और न ही इस खर्चे की कोई रसीद या कैश मेमो उपलब्ध है. इसलिए इनकम टैक्स कानून की धारा 57(iii) के तहत इस राशि पर आयकर से छूट नहीं दी जा सकती है और इसे वापस व्यक्ति की आय में जोड़ा जाता है.

विभाग ने इस राशि को वापस आय में जोड़ने के साथ-साथ जस्टिस पसायत के खिलाफ 1.06 करोड़ रुपये की गलत जानकारी देने के आरोपी में कानून की धारा 270ए(1) के तहत दंडात्मक कार्यवाही शुरु की थी.

जस्टिस पसायत के खिलाफ आदेश की मुख्य बातें
  • काला धन एसआईटी से प्राप्त सैलरी- 26.85 लाख रुपये
  • मध्यस्थता और विवाद समाधान कार्यों से हुई कमाई- 3.66 करोड़ रुपये
  • बिना बिल के खर्चा दिखाया- 2.01 करोड़ रुपये
  • वो खर्च, जिसका बैंक/कैश रिकॉर्ड मिला- 95.15 लाख रुपये
  • वापस आय में जोड़ी गई राशि- 1.06 करोड़ रुपये
  • विवाद से विश्वास योजना के तहत निपटारा राशि- 38.28 लाख रुपये
जस्टिस पसायत ने क्या कहा?

जस्टिस पसायत ने इंडियन एक्सप्रेस के साथ बातचीत में यह स्वीकार किया कि उन्होंने नवंबर 2020 में 'विवाद से विश्वास योजना' का लाभ उठाया था और 37.90 लाख रुपये का भुगतान किया था.

उन्होंने कहा, 

'मुझे नहीं पता कि ये आदेश कैसे लीक हो गया. ये किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा किया गया हो, जो मेरे किसी आदेश से आहत हुआ होगा. मैंने इस आदेश (इनकम टैक्स वाला) के खिलाफ अपील दायर की थी, लेकिन फिर मुझे सलाह दी गई कि मैं इस योजना (विवाद से विश्वास) का लाभ उठाऊं, टैक्स जमा करूं और मामले का निपटारा किया जाए. अब इस केस को क्यों तूल दिया जा रहा है.'

क्या है विवाद से विश्वास योजना?

इस योजना की शुरुआत लंबित टैक्स मामलों का निबटारा करने के लिए की गई थी. इसके तहत यदि किसी करदाता का कोई विवाद चल रहा है, वो इस योजना का लाभ उठाकर विवादित कर का 100 फीसदी और विवादित दंड या ब्याज या शुल्क का 25 फीसदी राशि भुगतान कर मामले को रफा-दफा कर सकता है.

दूसरे शब्दों में कहें तो यदि किसी व्यक्ति पर आयकर विभाग ने किसी कर आरोप में दंड लगाया है, तो उसे उस राशि का 25 फीसदी भुगतान करना होगा. वहीं कर राशि पूरी 100 फीसदी जमा करनी होगी. जो लोग इस योजना का लाभ उठाते हैं, उनकी पहचान उजागर नहीं की जाती है. इसकी शुरुआत साल 2020 में हुई थी और इसे साल 2021 तक के लिए बढ़ाया गया था.

कौन हैं अरिजीत पसायत?

जस्टिस अरिजीत पसायत ओडिशा के रहने वाले हैं. उन्होंने साल 1968 से वकालत की शुरुआत की थी. टैक्सेशन, वाणिज्यिक और संवैधानिक मामलों में उनकी विशेषता रही है. 20 मार्च 1989 को उन्हें ओडिशा हाईकोर्ट का एडिशनल जज नियुक्त किया गया था.

इसके बाद वह 20 सितंबर 1999 को केरल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने थे. बाद में वह 10 मई 2000 को दिल्ली हाईकोर्ट के भी मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किए गए.

जस्टिस अरिजीत पसायत को 19 अक्टूबर 2001 को सुप्रीम कोर्ट का जज बनाया गया था और 10 मई 2009 को वह रिटायर हुए थे.

मालूम हो कि साल 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान काला धन बीजेपी के लिए एक बड़ा मुद्दा था और सत्ता में आते ही अपनी पहली कैबिनेट बैठक में मोदी सरकार ने इसे लेकर एक एसआईटी का गठन किया था. 

हालांकि इस एसआईटी ने कितने काले धन का पता लगाया और कितना काला धन वापस देश में लाने में मदद की, इसकी अभी तक कहीं कोई जानकारी नहीं है. इस एसआईटी के अध्यक्ष जस्टिस एमबी शाह हैं. और उपाध्यक्ष हैं अभिजीत पसायत.

Advertisement