फेसबुक मादर** को ट्रांसलेट करके मुस्लिम दिखा रहा था!
फेसबुक पर इससे ग़लत चीज़ आपने नहीं देखी होगी.
फोटो - thelallantop
केतन बुकरैत
21 अक्तूबर 2016 (Updated: 21 अक्तूबर 2016, 04:46 AM IST)
*आगे गालियां हैं. विवेक से काम लें.*
समस्या! समस्या! समस्या!
होशियार! होशियार! होशियार!
दिक्कत ये है कि फेसबुक ने बहुत विकट बलंडर कर दिया था. भारी वाला. आदमी है फेसबुक पे. कुछ भी लिख देता है. अंट-संट. कितने रोकियेगा? लिख दिया मादर**. अब लिख दिया तो लिख दिया. क्या किया जाए. लेकिन ये क्या कि फ़ेसबुक के ट्रांसलेट वाले ऑप्शन का इस्तेमाल किया जा रहा था तो वो मादर** को मुस्लिम में ट्रांसलेट कर के दे रहा था. यही तो था बलंडर. फेसबुक का. न मालूम कहां से, कौन सा अलगोरिदम लेके आये जुकरबर्ग बाबू. न मालूम कौन प्रोग्रामर था. न मालूम कौन धुन में था. किस देस का था. किस परदेस का था? किस पिनक में ऐसा मामला बना दिया कि आदमी लिख रहा है मादर** और ट्रांसलेट होकर आ रहा था मुस्लिम.

और जब ढूंढा गया तो मालूम चला कि ये एक ही नहीं, सभी रिज़ल्ट्स में हो रहा है. माने ये बग है. या जो भी कह लें. लेकिन जो भी है निंदनीय है.
नमूने और भी हैं:
कुछ और भी पढ़ने की ताब बची हो तो ये भी पढ़ लें. गालियां यहां भी संलग्न हैं.
डियर शाहरुख़, हमें तुमसे कोई द्वेष नहीं है. न इमरान खान से है. लेकिन यहां ये फ़ोटो चस्पा करनी पड़ी. इसके लिए माफ़ करना. करना पड़ता है. हमें मालूम है तुम बहुत प्यारे हो. बाहें फैलाते हो तो मैं जलता हूं तुमसे. तुमसे ही सीखा था -
"जियो, खुश रहो, मुस्कुराओ. क्या पता, कल हो न हो."
हालांकि अब ये सही हो गया है. बवाल खूब हुआ. खूब कम्प्लेंट भेजी गयीं फेसबुक को. आनन फानन में ऐक्शन लिया गया. सब सही किया गया. अब मादर** लिखो तो Idiot दिखाता है. चलो गनीमत है.

जो कुछ भी हो, जो दिक्कत होनी थी वो हो गयी. ये एक सिंपल ट्रांसलेशन में इतनी भारी गलती कैसे हो सकती है? और इसके अलावा, इस ट्रांसलेशन से मुसलामानों को जो झेलना पड़ा है, उसका भुगतान कौन करेगा? इसका तो कोई मुआवजा भी नहीं कुछ कर सकेगा. आज जब एक बड़ा हिस्सा इस्लामोफोबिया से जूझ रहा है तो माहौल और खराब करने को बस इसी की दरकार थी.
शेम ऑन यू, फेसबुक!