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कांग्रेस ने 199 करोड़ की 'आय' पर टैक्स छूट मांगी, ट्रिब्यूनल ने झटका दे दिया

कांग्रेस ने असेसमेंट ईयर 2018-19 के लिए ₹199.15 करोड़ की आय पर टैक्स छूट की मांग की थी. लेकिन राहत नहीं मिली.

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Congress
असेसमेंट ईयर 2018-19 के लिए कांग्रेस ने आयकर में छूट मांगी थी. (India Today)
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सौरभ
22 जुलाई 2025 (Published: 07:33 PM IST) कॉमेंट्स
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इनकम टैक्स ट्रिब्यूनल (ITAT) ने कांग्रेस को झटका दे दिया है. पार्टी ने असेसमेंट ईयर 2018-19 के लिए ₹199.15 करोड़ की आय पर टैक्स छूट की मांग की थी. ट्रिब्यूनल ने मांग को खारिज कर दिया है. बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक अपील अधिकरण ने देर से रिटर्न दाखिल करने और नकद चंदा सीमा का उल्लंघन करने के कारण धारा 13A के तहत कर छूट की मांग को खारिज कर दिया.

मामले में न्यायिक सदस्य सतीर सिंह गोडारा और लेखा सदस्य एम बालागणेश की पीठ ने निर्णय दिया,

“याचिकाकर्ता द्वारा दाखिल किया गया रिटर्न ‘निर्धारित’ तिथि के भीतर नहीं है. इस वजह से वह छूट के लिए पात्र नहीं हैं.”

कांग्रेस पार्टी ने 2 फरवरी 2019 को अपना आयकर रिटर्न दाखिल किया था. कांग्रेस ने आयकर अधिनियम की धारा 13A के तहत ₹199.15 करोड़ की आय पर टैक्स छूट का दावा करते हुए शून्य आय घोषित की थी. हालांकि, यह रिटर्न आकलन वर्ष 2018-19 के लिए आयकर अधिनियम की धारा 139 के तहत निर्धारित तिथि 31 दिसंबर 2018 के बाद दाखिल की गई थी.

सितंबर 2019 में शुरू की गई जांच प्रक्रिया के दौरान असेसिंग ऑफिसर ने पाया कि पार्टी को विभिन्न व्यक्तियों से ₹2,000 से अधिक की नकद राशि में ₹14.49 लाख का चंदा प्राप्त हुआ था. वित्त अधिनियम 2017 द्वारा जोड़ी गई धारा 13A(d) के अनुसार, राजनीतिक दलों को ₹2,000 से अधिक का चंदा केवल बैंकिंग माध्यम जैसे अकाउंट-पेयी चेक या इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसफर द्वारा ही प्राप्त करना चाहिए.

पार्टी को उस साल कुल ₹199.15 करोड़ रुपये मिले थे. खर्च ₹197.43 करोड़ रहा. हालांकि, 6 जुलाई 2021 को जारी आकलन आदेश ने पूरी छूट को अस्वीकार कर दिया, जिससे पूरी प्राप्त राशि टैक्स के अधीन हो गई.

28 मार्च 2023 को आयकर (अपील) आयुक्त ने इस निर्णय को बरकरार रखा. इसके बाद पार्टी ने ट्रिब्यूनल का रुख किया. 2024 में ITAT ने कांग्रेस की अंतरिम राहत की याचिका खारिज कर दी थी. केस फैसला भी कांग्रेस के पक्ष में नहीं आया. ट्रिब्यूनल ने कहा,

"धारा 13A(d) के अनुसार, ₹2,000 से अधिक का चंदा अनिवार्य रूप से खाता-पेयी चेक/ड्राफ्ट या इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से प्राप्त किया जाना चाहिए. और इसलिए ₹2,000 से अधिक नकद में प्राप्त किया गया चंदा, अधिनियम की धारा 13A के पहले प्रावधान के खंड (d) का उल्लंघन करता है."

बता दें कि कांग्रेस पार्टी की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता पीसी सेन और अधिवक्ता प्रसन्ना और एन भल्ला ट्रिब्यूनल की कार्रवाई में शामिल हुए थे.

वीडियो: खर्चा पानी: टैक्स बचाने के लिए निवेश करने की आखिरी तारीख क्या है?

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