कौन हैं छत्तीसगढ़ कांग्रेस चीफ भूपेश बघेल, जो सेक्स सीडी मामले में जेल गए हैं
जिन्हें जमानत मिल सकती थी, लेकिन वो नहीं माने.
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छत्तीसगढ़ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल को सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने 14 दिनों के लिए जेल भेज दिया है.
छत्तीसगढ़ की सीबीआई कोर्ट में 24 सितंबर, 2018 को एक सेक्स सीडी का मामला सामने आया. कोर्ट में कांग्रेस का एक बड़े नेता की पेशी हुई. पेशी के बाद उस नेता ने जमानत लेने से इन्कार कर दिया और फिर कोर्ट ने उस नेता को 14 दिनों के लिए जेल भेज दिया. ये कहानी है भूपेश बघेल की, जो फिलहाल छत्तीसगढ़ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष हैं.क्या है मामला?

सीडी कांड में पहली गिरफ्तारी पत्रकार विनोद वर्मा की हुई थी.
26 अक्टूबर, 2017 को छत्तीसगढ़ के बीजेपी नेता प्रकाश बजाज ने केस दर्ज करवाया था. कहा गया था कि उन्हें फोन आया था, जिसमें सेक्स सीडी बनाने की बात कही गई थी और पैसे मांगे गए थे. 26 अक्टूबर, 2017 की दोपहर में पुलिस ने ये केस दर्ज कर लिया और जांच शुरू की. जांच शुरू होने के 11 घंटे के अंदर ही छत्तीसगढ़ की पुलिस गाजियाबाद पहुंची और पत्रकार विनोद वर्मा को इस मामले में गिरफ्तार कर लिया. गिरफ्तारी के वक्त छत्तीगढ़ की पुलिस ने दावा किया कि पत्रकार विनोद वर्मा के पास से 500 सेक्स सीडी, पेन ड्राइव, डायरी और लैपटॉप मिला है. विनोद वर्मा के पास से जो सीडी बरामद हुई थी, उसके बारे में दावा किया गया था कि ये सीडी पीडब्ल्यूडी मंत्री राजेश मूणत की है, जिसे फर्जी तरीके से बनाया गया है. जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ी, छत्तीसगढ़ में सियासी हंगामा शुरू हो गया. राज्य सरकार की ओर से एसआईटी बना दी गई, लेकिन हंगामा नहीं थमा. इसके बाद इस केस में सीबीआई की एंट्री हुई.
सीबीआई ने बताया, कैसे बनाई गई थी सीडी

राज्य के पीडब्ल्यूडी मंत्री राजेश मूणत ने कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष पर फर्जी सेक्स सीडी बंटवाने का आरोप लगाया था.
सीबीआई के मुताबिक मुंबई के एक फिल्म स्डूडियो में मानस साहू नाम के आदमी ने राजेश मूणत की सेक्स सीडी तैयार की थी. इस सीडी में मंत्री मूणत एक लड़की के साथ आपत्तिजनक अवस्था में दिख रहे थे. सीबीआई के मुताबिक इसके लिए रायपुर बीजेपी के स्थानीय नेता कैलाश मोरारका ने रिंकू और विजय पांड्या को 75 लाख रुपये दिए थे. सीडी बनाने वाला मानस राजेश मूणत को पहचानता नहीं था, तो रायपुर के कारोबारी रिंकू खनूजा ने उसे राजेश मूणत की फोटो दी थी, ताकि मॉर्फिंग की जा सके. इसके अलावा मानस साहू को इस सीडी को बनाने के लिए 98 हजार रुपये दिए गए थे. सीडी बनने के बाद 24 अक्टूबर को कैलाश मोरारका ने गाजियाबाद में पत्रकार विनोद वर्मा से मुलाकात की थी. 24 अक्टूबर, 2017 को ही भूपेश बघेल भिलाई के कारोबारी विजय भाटिया के साथ दिल्ली पहुंचे. इसके बाद विनोद वर्मा और कैलाश मोरारका भूपेश बघेल और विजय भाटिया से मिलने होटल गए. 25 अक्टूबर, 2017 को विनोद वर्मा विजय भाटिया को लेकर पहाड़गंज पहुंचे. वहां विनोद वर्मा ने सीडी की मास्टर कॉपी बनवाई. साथ ही 1000 सीडी बनवाने का ऑर्डर भी दिया. इसके लिए 9500 रुपये दिए गए. सीडी बनने के बाद विजय भाटिया ने 500 सीडी एक कार्टन में पैक की और भूपेश बघेल के साथ लेकर उसे रायपुर चले आए. यहां विजय भाटिया ने 250 सीडी भूपेश को दे दी और 250 सीडी लेकर भिलाई चले आए. 27 अक्टूबर, 2017 को ये सीडी सार्वजनिक कर दी गई.
क्या किया सीबीआई ने?

सीडी कांड पर जब राजनीति शुरू हुई तो राज्य सरकार ने मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी.
जब सीडी को लेकर सियासत शुरू हुई तो कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल ने इस कांड की सीबीआई जांच की मांग की. रमन सिंह सरकार ने जांच सीबीआई को सौंप दी. 16 नवंबर, 2017 को मामला सीबीआई के पास आ गया. सीबीआई ने 12 दिसंबर, 2017 को दिल्ली में दो एफआईआर दर्ज की. करीब 10 महीने की जांच के बाद सीबीआई ने 24 सितंबर, 2018 को रायपुर की स्पेशल सीबीआई कोर्ट में पहली चार्जशीट दाखिल कर दी. इसमें बीजेपी के पूर्व स्थानीय नेता कैलाश मुरारका, पत्रकार विनोद वर्मा, रायपुर के कारोबारी रिंकू खनूजा, भिलाई के कारोबारी विजय भाटिया, छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल और मुंबई के कारोबारी विजय पंड्या का नाम है.
और अब बात भूपेश की, जो 14 दिनों के लिए जेल गए

भूपेश को जमानत मिल सकती थी, लेकिन भूपेश ने इन्कार कर दिया.
24 सितंबर, 2018 को सीबीआई ने कोर्ट में 3000 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की थी. इस दौरान कोर्ट ने भूपेश बघेल, विनोद वर्मा और विजय भाटिया को भी तलब किया था. कोर्ट ने विनोद वर्मा और विजय भाटिया को जमानत दे दी, लेकिन भूपेश ने जमानत लेने से इन्कार कर दिया. कोर्ट ने उन्हें सरकारी वकील मुहैया करवाने के लिए कहा, लेकिन उन्होंने कहा कि जब अपराध नहीं किया है, तो वो जमानत भी नहीं लेंगे.
भूपेश ने क्यों नहीं ली जमानत?

छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव हैं. कांग्रेस भूपेश बघेल की गिरफ्तारी को चुनाव में भुनाने की तैयारी कर रही है.
छत्तीसगढ़ में दिसंबर में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं. पिछले 15 साल से सत्ता में रमन सिंह काबिज हैं और कांग्रेस इस बार एड़ी-चोटी का जोर लगाए हुए है. इसलिए जब भूपेश को सेक्स सीडी कांड में कोर्ट में पेश होना पड़ा, तो कांग्रेस ने सियासी फायदा उठाने की कोशिश की. स्थानीय पत्रकारों की माने तो भूपेश के जमानत न लेने के पीछे हाई कमान का आदेश है. जब भूपेश को पेशी के लिए जाना था, तो उससे पहले भूपेश के साथ कांग्रेस नेता डॉ चरणदास महंत, रविंद्र चौबे, धनेंद्र साहू, सत्यनारायण शर्मा और मोहम्मद अकबर ने बात की और तय किया कि अगर कोर्ट भूपेश को जेल भेजती है, तो जमानत नहीं लेंगे. इसकी जानकारी प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया को दी गई और फिर पुनिया ने जानकारी राहुल गांधी को दी. राहुल की ओर से भी जब हरी झंडी मिल गई, तो भूपेश ने जमानत से इन्कार कर दिया.
यूथ कांग्रेस से शुरू की थी भूपेश ने राजनीति

2008 के विधानसभा चुनाव में बघेल हार गए थे.
भूपेश छ्त्तीसगढ़ कांग्रेस के कद्दावर नेता हैं. 80 के दशक में जब छत्तीसगढ़ मध्यप्रदेश का हिस्सा हुआ करता था, भूपेश ने राजनीति की पारी यूथ कांग्रेस के साथ शुरू की थी. दुर्ग जिले के रहने वाले भूपेश दुर्ग के यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष बने. 1994-95 में भूपेश बघेल को मध्यप्रदेश यूथ कांग्रेस का उपाध्यक्ष बनाया गया. 1993 में जब मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव हुए तो भूपेश कांग्रेस से दुर्ग की पाटन सीट से उम्मीदवार बने और जीत दर्ज की. उन्होंने बीएसपी के केजूराम वर्मा को करीब 3000 वोट से मात दी थी. इसके बाद अगला चुनाव भी वो पाटन से ही जीते. इस बार उन्होंने बीजेपी की निरुपमा चंद्राकर को 3700 वोटों से मात दी थी. जब मध्यप्रदेश में दिग्विजय सिंह की सरकार बनी, तो भूपेश कैबिनेट मंत्री बने. 2000 में जब छत्तीसगढ़ अलग राज्य बन गया और पाटन छत्तीसगढ़ का हिस्सा बना, तो भूपेश छ्त्तीसगढ़ विधानसभा पहुंचे. वहां भी वो कैबिनेट मंत्री बने. 2003 में कांग्रेस जब सत्ता से बाहर हो गई, तो भूपेश को विपक्ष का उपनेता बनाया गया. 2004 में जब लोकसभा के चुनाव होने थे, तो भूपेश को दुर्ग से उम्मीदवार बनाया गया. लेकिन बीजेपी के ताराचंद साहू ने उन्हें करीब 65 हजार वोटों से मात दे दी. 2009 में कांग्रेस ने उनकी सीट बदली और राजधानी रायपुर से चुनाव लड़वाया. इस बार उनके सामने रमेश बैश थे. रमेश बैश ने उन्हें मात दे दी. अक्टूबर 2014 में उन्हें प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया और तब से वो इस पद पर हैं.
भतीजे ने दी थी सियासी चुनौती

भूपेश बघेल को सबसे बड़ी चुनौती उनके भतीजे विजय बघेल से ही मिली है.
विधानसभा चुनाव में भूपेश को बड़ी चुनौती उनके भतीजे विजय बघेल ने ही दी है. 2003 में जब छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव होने थे तो कांग्रेस की ओर से उम्मीदवार थे भूपेश, लेकिन एनसीपी की ओर से चुनौती देने के लिए सामने थे उनके भतीजे विजय बघेल. जब चुनाव हुए तो भूपेश ने भतीजे विजय को करीब सात हजार वोटों से मात दी थी. लेकिन 2008 में समीकरण बदल गए. इस बार विजय बीजेपी में शामिल हो गए थे और पाटन सीट से उम्मीदवार थे. नतीजे आए तो भूपेश को पहली बार उनके भतीजे ने सियासी पटखनी दे दी थी. भतीजे ने अपने चाचा को 8 हजार वोटों से हरा दिया. इस जीत से उत्साहित बीजेपी ने तुरंत ही विजय बघेल को संसदीय सचिव बना दिया. जब 2013 में चुनाव हुए तो चाचा ने एक बार फिर से खोई हुई ज़मीन हासिल कर ली. इस बार जीत का भी अंतर बढ़कर 10,000 वोटों तक पहुंच गया. यही वजह थी कि 2014 में जब भूपेश लोकसभा का चुनाव हार गए, तब भी कांग्रेस ने उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बना दिया.
कुर्मी समाज के बड़े नेता हैं भूपेश बघेल

भूपेश छत्तीसगढ़ में कुर्मियों के बड़े नेता हैं. छत्तीसगढ़ में करीब 15 फीसदी कुर्मी आबादी है.
भूपेश कुर्मी समुदाय से ताल्लुक रखते हैं. कुर्मी ओबीसी में आते हैं और छत्तीसगढ़ में ओबीसी करीब 47 फीसदी हैं. कांग्रेस की ओर से भूपेश को प्रदेश अध्यक्ष बनाया ही इसलिए गया था कि कांग्रेस अपने ओबीसी चेहरे को आगे कर सके. बघेल ने 1993 में ही छत्तीसगढ़ मानव कुर्मी क्षत्रिय समाज बनाया था. इसके अलावा भूपेश छत्तीसगढ़ के ऐसे नेता हैं, जिन्होंने हमेशा शादियों पर होने वाले खर्च का विरोध किया है. वो सामूहिक विवाह का आयोजन करवाते रहते हैं. इतना ही नहीं, भूपेश ने कुर्मी समाज को शपथ भी दिलाई है कि वो शराब पीना छोड़ देंगे. पिछले साल मार्च 2017 में जब ये शपथ दिलाई गई थी, उस वक्त इस कार्यक्रम में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मुख्य अतिथि थे.
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