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केंद्र सरकार ने SSA के तहत 3 राज्यों का पैसा रोका,'स्कूलों में सैलरी तक देना मुश्किल हो सकता है'

Education Ministry के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि राज्य SSA के तहत फंड नहीं ले सकते. अगर वो PM-SHRI योजना को लागू नहीं कर सकते. जो कि इसी प्रोग्राम का एक हिस्सा है.

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PM-SHRI
SSA के तहत 3 राज्यों का फंड रोक दिया गया है. (सांकेतिक तस्वीर: इंडिया टुडे)
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रवि सुमन
16 जुलाई 2024 (Published: 08:31 AM IST)
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केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने प्रमुख स्कूली शिक्षा कार्यक्रम समग्र शिक्षा अभियान (SSA) योजना के तहत 3 राज्यों को पैसा देना बंद कर दिया है. ये राज्य हैं- दिल्ली, पंजाब और पश्चिम बंगाल. कारण है कि इन 3 राज्यों ने शिक्षा मंत्रालय के साथ PM-SHRI योजना के लिए समझौता ज्ञापन (MoU) साइन नहीं किया है. इन 3 राज्यों समेत तमिलनाडु और केरल ने भी MoU पर साइन नहीं किया है. हालांकि, तमिलनाडु और केरल ने MoU साइन करने की अपनी इच्छा व्यक्त की है. वहीं दिल्ली, पंजाब और पश्चिम बंगाल ने इससे इनकार कर दिया है.

PM-SHRI, प्रधानमंत्री स्कूल फॉर राइजिंग इंडिया. केंद्र सरकार की एक योजना है. केंद्र सरकार की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, इसका उद्देश्य है- स्कूलों को न्यू एजुकेशन पॉलिसी (NEP) के हिसाब से विकसित करना. ये अगले 5 सालों के लिए 27 हजार करोड़ रुपये से अधिक के बजट वाली योजना है. इसके तहत 14,500 स्कूलों को NEP के हिसाब से अपग्रेड करना है. इस योजना का 60 प्रतिशत पैसा केंद्र सरकार को और 40 प्रतिशत पैसा राज्यों को देना होता है.

राज्यों को पैसे का इंतजार

दिल्ली, पंजाब और पश्चिम बंगाल को पिछले वित्त वर्ष की अक्टूबर-दिसंबर और जनवरी-मार्च तिमाहियों के SSA फंड की तीसरी और चौथी किस्त नहीं मिली है. ना ही इस वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही की पहली किस्त मिली है. इन राज्यों ने इन फंड्स के लिए मंत्रालय को कई पत्र लिखे हैं. इंडियन एक्सप्रेस ने राज्य सरकार के अधिकारियों के हवाले से लिखा है कि दिल्ली को तीनों तिमाहियों के लिए करीब 330 करोड़ रुपये नहीं मिले हैं. वहीं पंजाब को करीब 515 करोड़ रुपए और पश्चिम बंगाल को करीब 1,000 करोड़ रुपये के फंड का इंतजार है. अखबार ने लिखा है कि शिक्षा मंत्रालय ने फंड रोके जाने और राज्य सरकारों के दावे के बारे में सवालों का जवाब नहीं दिया है.

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कारण क्या है?

मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि 

राज्य SSA के तहत फंड नहीं ले सकते. अगर वो PM-SHRI योजना को लागू नहीं कर सकते. जो कि इसी प्रोग्राम का एक हिस्सा है.

दिल्ली और पंजाब ने PM-SHRI को लागू करने से इनकार कर दिया है. क्योंकि आम आदमी पार्टी की सरकार वाले दोनों राज्यों में ऐसी योजना पहले से है. इस योजना का नाम है- ‘स्कूल ऑफ एमिनेंस’. पश्चिम बंगाल ने अपने स्कूलों के नाम के आगे PM-SHRI लगाने का विरोध किया है. खासकर इसलिए क्योंकि राज्य इस योजना का 40 प्रतिशत पैसा वहन करते हैं.

रिपोर्ट है कि पश्चिम बंगाल के शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु और शिक्षा सचिव मनीष जैन ने मंत्रालय को पत्र लिखकर SSA फंड जारी करने की मांग की है. दिल्ली सरकार ने भी केंद्र को पत्र लिखा है.

5 पत्र लिखे गए

जुलाई 2023 से अब तक केंद्र और पंजाब सरकार के बीच कम से कम पांच पत्रों का आदान-प्रदान हो चुका है. इसमें केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान का पंजाब के CM भगवंत मान को लिखा गया पत्र भी शामिल है. इसमें राज्य सरकार से इस परियोजना का हिस्सा बनने के लिए कहा गया है. और राज्य ने इससे इनकार किया है.

पंजाब ने शुरू में PM-SHRI योजना को लागू करने का विकल्प चुना था. राज्य ने अक्टूबर 2022 में एक MoU पर हस्ताक्षर किया था. जिन स्कूलों को अपग्रेड किया जाना था, उनकी पहचान भी कर ली गई. लेकिन बाद में राज्य पीछे हट गया. 9 मार्च को धर्मेंद्र प्रधान ने भगवंत मान को पत्र लिखकर कहा कि पंजाब ने MoU की शर्तों के विपरीत एकतरफा PM-SHRI योजना से बाहर निकलने का विकल्प चुना है.

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बुनियादी गतिविधियां रुक गईं

15 मार्च को पंजाब के शिक्षा सचिव कमल किशोर यादव ने फिर से केंद्र को बताया कि राज्य इस परियोजना का हिस्सा नहीं बनना चाहता है. उन्होंने लिखा कि राज्य पहले से ही अपने खुद के ‘स्कूल ऑफ एमिनेंस’, ‘स्कूल ऑफ ब्रिलियंस’ और ‘स्कूल ऑफ हैप्पीनेस’ को लागू कर रहा है, जिन्हें NEP के साथ जोड़ा जाएगा.

ऐसे ही पंजाब शिक्षा विभाग के अधिकारी भी पेंडिंग SSA फंड को लेकर पत्र लिख रहे हैं. 18 जनवरी को लिखे पत्र में, पंजाब के समग्र शिक्षा राज्य परियोजना निदेशक विनय बुबलानी ने शिक्षा मंत्रालय के संयुक्त सचिव विपिन कुमार को पत्र लिखकर फंड जारी करने का अनुरोध किया था. मान ने 27 मार्च को भी प्रधान को पत्र लिखा. इसमें कहा गया कि मामला गंभीर होता जा रहा है और फंड जारी न होने से स्कूलों में बुनियादी गतिविधियां रुक गई हैं.

5 मार्च को कमल किशोर यादव ने केंद्र सरकार के अपने समकक्ष संजय कुमार को एक और पत्र लिखा. उन्होंने लिखा कि वर्तमान में SSA के एकल नोडल खाते में पैसा नहीं बचा है. इसके कारण कर्मचारियों के वेतन सहित कुछ अन्य कामों का पैसा पेंडिंग है.

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‘सैलरी देना भी मुश्किल’

दिल्ली में भी आर्थिक दिक्कतें सामने आ रही हैं. यहां MCD के प्राथमिक विद्यालयों के करीब 2,400 शिक्षकों और SSA में काम करने वाले 700 कर्मचारियों का वेतन SSA फंड से लिया जाता है. दिल्ली के एक अधिकारी ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि पिछले सेशन में दो किस्तों से जो राशि बकाया था, उसमें से राज्य सरकार ने लगभग 200 करोड़ रुपये दिए हैं. उससे वेतन का इंतजाम किया गया.

बातचीत से नहीं बनी बात

हालांकि, 1 अप्रैल से शिक्षकों और कर्मचारियों का वेतन पेंडिंग है. इन निधियों का उपयोग सरकारी स्कूलों में छात्रों को किताबें और ड्रेस देने और दिव्यांग बच्चों की सहायता के लिए भी किया जाता है. इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए पंजाब के शिक्षा मंत्री हरजोत सिंह बैंस ने कहा कि इस मुद्दे को ‘सौहार्दपूर्ण’ ढंग से हल करने के लिए हर संभव प्रयास किया गया. लेकिन ऐसा लगता है कि आने वाले महीनों में वेतन देना भी मुश्किल हो जाएगा.

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