31 जनवरी 2019 (Updated: 31 जनवरी 2019, 10:33 AM IST)
Small
Medium
Large
Small
Medium
Large
2008 में असम में 9 जगहों पर बम फटे. 88 निर्दोष मरे. 11 साल बाद मामले में फैसला आया. सीबीआई कोर्ट के जज साहब ने सुनाया. NDFB के चीफ रंजन दैमारी समेत 9 लोगों को उम्र कैद की सजा सुनाई गई. आसान भाषा में आज बात असम के सीरियल ब्लास्ट पर बात. 2008 असम ब्लास्ट की फाइल तस्वीर
क्या था असम ब्लास्ट का मामला?
साल था 2008, जगह थी गुवाहाटी और पश्चिमी असम का इलाका, तारीख थी 30 अक्टूबर. दोपहर का वक्त था, एक के बाद एक 9 जगहों पर 18 धमाके हुए. गुवाहाटी, कोकराझार, बोंगाईगांव और बारपेटा के बाजार इन धमाकों से दहल गए. 88 लोगों की मौत हुई. 500 से ज्यादा लोग घायल हुए, करोड़ों की संपत्ति का नुकसान हुआ. इस धमाके में 88 लोगों की मौत हुई थी
जांच में क्या सामने आया?
असम पुलिस ने जांच की. फिर मामला सीबीआई के पास चला गया. केंद्रीय जांच एंजेसी ने दो चार्जशीट दाखिल की. कुल 22 लोगों को आरोपी बनाया गया. इसमें 15 पकड़े गए. ये सबके सब National democratic front of bodoland यानी कि NDFB से जुड़े थे. पुलिस ने इस प्रतिबंधित आतंकी संगठन एनडीएफबी के मुखिया रंजन दैमारी को भी पकड़ लिया था. दैमारी ब्लास्ट के बाद फरार हो गया था. लेकिन 2010 में बांग्लादेश से गिरफ्तार कर लिया गया. धमाके के आरोपी रंजना दैमारी को बांग्लादेश से गिरफ्तार किया गया
2011 में डिस्ट्रक्ट कोर्ट में ट्रायल शुरू हुआ. 650 लोगों की गवाही हुई. इस दौरान एक बार दैमारी को जमानत भी मिली. कैसे, क्योंकि तब सरकार NDFB से शांति वार्ता कर रही थी. इसलिए राज्य सरकार और सीबीआई ने बेल का सख्ती से विरोध नहीं किया. फिर बेल कैंसिल हो गई, ट्रायल चला. और 2017 में मामला सीबीआई की फास्ट ट्रैक कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया गया. इस मामले में 650 लोगों की गवाही हुई
अब इस मामले में क्या हुआ?
28 जनवरी को CBI जज ने NDFB के चीफ रंजन दैमारी समेत 14 लोगों को सीरियल ब्लास्ट का मुख्य साजिशकर्ता माना. ये सभी IPC की कई धाराओं में दोषी करार दिए गए. फिर 30 जनवरी को CBI कोर्ट ने रंजैन दैमारी समेत 9 लोगों को उम्र कैद की सजा सुनाई. बाकी बचे लोगों ने अपनी सजा काट ली थी, इसीलिए उन्हें जुर्माना देने के बाद रिहा कर दिया गया. रंजन दैमारी समेत 9 लोगों को आजीवन जेल की सजा मिली
रंजन दैमारी के बारे में और जानिए
रंजन दैमारी उर्फ डी.आर.नाबला. इस चरमपंथी ने 3 अक्टूबर 1986 को बोडो सुरक्षा बल की नींव रखी. ये ग्रुप बोडो नागरिकों के लिए अलग से बोडोलैंड की मांग कर रहा था. इस ग्रुप ने असम में कई जगहों पर हिंसक कार्रवाई की. सुरक्षाबलों पर हमले और बम ब्लास्ट जैसे काम किए. पहले ये ग्रुप असम के गैर बोडो लोगों को निशाना बनाते थे, फिर बांग्लादेश से घुसपैठ कर बसे लोगों पर भी हमले शुरू कर दिए. अब असम की कुल आबादी है 3 करोड़ से कुछ ज्यादा. जिसमें 10 फीसदी बोडो जाति के लोग हैं. ये ग्रुप इसी 10 फीसदी आबादी के लिए बोडोलैंड की मांग करता रहा है. NDFB लगातार बोडोलैंड की मांग करता रहा है
फिर 2008 में धमाके में रंजन दैमारी का नाम आया. संगठन ने रंजन दैमारी को निलंबित कर दिया, फिर संगठन दो भागों में बटा. रंजन ने अपना अपना NDFB(रंजन) नाम का एक अलग गुट बना लिया. अब आज की तारीख में रंजन दैमारी अपने 9 साथियों के साथ दोषी करार दिया जा चुका है. और उसे सीबीआई कोर्ट भी सजा सुना चुकी है. आजीवन कारावास की सजा.