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कोवैक्सीन लगवाने वाली महिलाओं को पीरियड्स में दिक्कतें! कई और साइड इफेक्ट्स भी दिखे हैं

Covaxin बनाने वाली कंपनी Bharat Biotech ने ताजा रिपोर्ट पर सफाई दी है. कहा- ऐसी Study को प्रभावी और जानकारीपूर्ण बनाने के लिए कई Data पॉइंट्स की भी जरूरत होती है.

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bhu study reveals covaxin side effects one third suffered from health issues year after vaccination
कोवैक्सीन के साइड इफेक्ट्स पर रिपोर्ट (फोटो- इंडिया टुडे)
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ज्योति जोशी
17 मई 2024 (Published: 08:45 AM IST)
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कोविशील्ड वैक्सीन (Covishield vaccine) के बाद अब कोवैक्सीन भी सवालों के घेरे में आ गई है (Covaxin Side Effects Study). ताजा स्टडी में पता चला है कि भारत बायोटेक (Bharat Biotech) की कोवैक्सीन लगवाने वाले लगभग एक तिहाई लोगों में एक साल बाद साइड इफेक्ट्स देखने को मिले. साइड इफेक्ट्स जैसे सांस संबंधी इंफेक्शन, स्किन से जुड़ी बीमारियां और ब्लड क्लॉटिंग.

बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी में कोवैक्सीन पर हुई ये रीसर्च इकोनॉमिक टाइम्स ने साइंस जर्नल स्प्रिंगरलिंक में पब्लिश हुई है. स्टडी जनवरी 2022 से अगस्त 2023 तक कुल 1,024 लोगों पर स्टडी हुई जिनमें 635 किशोर और 291 वयस्क शामिल थे. इन लोगों से वैक्सीनेशन के एक साल बाद AESI's (adverse events of special interest) को लेकर फोन पर इंटरव्यू लिया गया.

स्टडी में क्या निकला?

-करीब एक तिहाई व्यक्तियों में AESI विकसित हुआ.

-लगभग 50 फीसदी लोगों ने इंफेक्शन की शिकायत की. ज्यादातर मामले सांस से जुड़े इंफेक्शन (अपर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट इंफेक्शन) के थे.

-स्टडी में हिस्सा लेने वाले किशोरों में स्किन डिसऑर्डर(10.5%), नर्वस सिस्टम डिसऑर्डर (4.7%) और जनरल डिसऑर्डर (10.2%) जैसी समस्या आम तौरपर देखी गईं.

-दूसरी तरफ वयस्कों में जनरल डिसऑर्डर (8.9%), मांसपेशियों और हड्डियों से जुड़े डिसऑर्डर (5.8%) और नर्वस सिस्टम से जुड़े डिसऑर्डर (5.5%) देखे गए.

-स्टडी में हिस्सा लेने वाली 4.6% महिला प्रतिभागियों में मासिक धर्म संबंधी असामान्यताएं देखी गईं. 2.7% में नेत्र संबंधी समस्याएं और 0.6% प्रतिभागियों में हाइपोथायरायडिज्म देखा गया. 0.3% में स्ट्रोक और 0.1% प्रतिभागियों में गुलियन बेरी सिंड्रोम (GBS) की पहचान भी हुई. GBS एक ऐसी दुर्लभ बीमारी है जो लकवे की ही तरह शरीर के बड़े हिस्से को धीरे-धीरे निशक्त कर देती है.

ये भी पढ़ें- 'कोविशील्ड' बनाने वाली कंपनी अब दुनियाभर से अपनी कोरोना वैक्सीन वापस लेगी, वजह भी साफ बोल दी

-स्टडी में शामिल हुए चार वयस्कों की मौत भी हुई. इसमें तीन महिलाएं और एक पुरुष शामिल थे. चारों को डायबिटीज था. तीन को हाई ब्लड प्रेशर की दिक्कत थी. चार में से दो मौतें स्ट्रोक के चलते हुई. एक पोस्ट-कोविड राइनोसेरेब्रल म्यूकोर्मिकोसिस के कारण हुई. चौथी मृतका वैक्सीनेशन के बाद कई बार अज्ञात वजहों से बेहोश हुई थी. 

-स्टडी में कहा गया है कि कोवैक्सिन की दो खुराक लेने वाले वयस्कों की तुलना में तीन खुराक लेने वाले वयस्कों में AESI का जोखिम चार गुना ज्यादा था.

कंपनी ने दी सफाई

कोवैक्सीन बनाने वाली भारत बायोटेक ने कहा, 

इस तरह के अध्ययन को प्रभावी, जानकारीपूर्ण बनाने और जांचकर्ता के पूर्वाग्रह से बचने के लिए कई Data पॉइंट्स की भी जरूरत होती है. जैसे देखा जाना चाहिए कि स्टडी में भाग लेने से पहले लोगों की AESI प्रोफाइल क्या थी. स्टडी के दौरान नॉन वैक्सीनेटेड सब्जेक्ट्स की सुरक्षा प्रोफाइल की तुलना और बाकी टीके प्राप्त करने वाले लोगों की सुरक्षा प्रोफाइल की तुलना भी की जानी चाहिए.

कंपनी ने कहा कि कोवैक्सिन की सुरक्षा पर कई अध्ययन किए गए हैं और उत्कृष्ट सुरक्षा ट्रैक रिकॉर्ड का प्रदर्शन करते हुए सहकर्मी-समीक्षित पत्रिकाओं में पब्लिश किया गए हैं. 

कोविशील्ड का क्या विवाद? 

ब्रिटिश फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका ने कोर्ट में स्वीकार किया है कि उसकी कोविड-19 वैक्सीन से गंभीर साइड इफेक्ट हो सकते हैं. इसी वैक्सीन को भारत में हम कोविशील्ड के नाम से जानते हैं. एस्ट्राजेनेका ने इस वैक्सीन को यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड के साथ मिलकर तैयार किया और सीरम इंस्टीट्यूट के साथ पार्टनरशिप कर भारत भेजा. वैक्सीन लेने के बाद मौत, ब्लड क्लॉटिंग और दूसरी गंभीर दिक्कतों के कारण एस्ट्राजेनेका कानूनी कार्रवाई का सामना कर रही है. कई परिवारों ने आरोप लगाया कि वैक्सीन के चलते गंभीर साइड इफेक्ट हुए हैं. 

वीडियो: सेहत: कोविशील्ड वैक्सीन लगवाने वाले डरे नहीं, ये सुनें

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