बालासोर ट्रेन हादसे में फर्जी मुस्लिम साजिश ले आए, उड़ीसा पुलिस ने क्लास लगा दी
सच तो सच होता है, जब सामने आया तो नफरत फैलाने वाले गायब हो लिए
जिस ट्रेन हादसे में 280 लोगों की जान चली जाए, जिसे देखकर दिल पसीज जाए. आखिर उसे कैसे कोई सांप्रदायिक रंग दे सकता है? लेकिन हैं कुछ, 'शर्म' जिनके आसपास भी नहीं दिखती. शायद 'इंसानियत' का तार-तार होना इसी को कहते हैं.
हम बात कर रहे हैं उड़ीसा के बालासोर में हुए भीषण ट्रेन हादसे की. इस दुर्घटना के कुछ घंटे बाद ही सोशल मीडिया पर इस रेल हादसे को कुछ लोग सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश करने लगे. जिसे लेकर उड़ीसा पुलिस ने एक चेतावनी वाला बयान जारी किया.
पुलिस ने ऐसा करने वालों को मैसेज देते हुए लिखा,
'ये देखने में आया है कि कुछ सोशल मीडिया हैंडल शरारती तरीके से बालासोर में हुए दर्दनाक ट्रेन हादसे को सांप्रदायिक रंग दे रहे हैं. ये बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है. उड़ीसा जीआरपी दुर्घटना के कारणों और अन्य सभी पहलुओं की जांच कर रही है. हम सभी से अपील करते हैं कि वे इस तरह के झूठे और दुर्भावनापूर्ण पोस्ट को प्रसारित करने से बचें.'
पुलिस ने चेतावनी दी कि अफवाह फैलाकर सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश करने वालों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी.
कुछ लोगों ने की घटिया हरकतउड़ीसा पुलिस की ये चेतावनी ऐसे समय में आई, जब ट्रेन दुर्घटना को कुछ तस्वीरों के जरिए कुछ लोग सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश करने लगे.
द रैंडम इंडियन (@randomsena) नाम के एक ट्विटर यूजर ने ड्रोन द्वारा खींची गई एक फोटो शेयर की. इसमें दुर्घटना वाली जगह के पास एक मस्जिद होने का दावा किया गया. एक तीर जैसे साइन के जरिए एक सफेद इमारत को मस्जिद बताया गया. इस यूजर ने फोटो में कैप्शन दिया- ‘बस इतना कहना चाहता हूं कि कल (दुर्घटना वाला दिन) शुक्रवार था.’
हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक ये ट्वीट एक थ्रेड का हिस्सा था, जिसमें इस यूजर ने ट्रेन हादसे के लिए मुस्लिमों को जिम्मेदार ठहराने की कोशिश की.
देखते ही देखते ट्विटर पर ये ट्वीट वायरल होने लगा. कई और लोग भी ट्रेन हादसे वाली जगह के बगल में मस्जिद होने की दावा करने लगे.
फिर जब असलियत सामने आईबात फैली तो कुछ फैक्ट चेक करने वाली न्यूज़ वेबसाइट ने कथित 'मस्जिद' की असलियत बता दी.
फैक्ट चेक करने वाली वेबसाइट बूम फैक्ट चेक के अनुसार,
ट्रेन दुर्घटना वाली जगह के ठीक बगल में एक मस्जिद स्थित है, ये बात पूरी तरह गलत है. वायरल हो रहे ट्वीट में जिस इमारत को मस्जिद बताया गया, असल में वो इस्कॉन मंदिर है.
बूम फैक्ट चेक ने अपनी रिपोर्ट में दुर्घटनास्थल की कई तस्वीरों की पड़ताल की और उनकी तुलना ट्विटर पर मस्जिद बताकर वायरल की गई तस्वीर से की. पाया गया कि वायरल तस्वीर में हाइलाइट की गई इमारत मस्जिद की तरह नहीं दिखती, बल्कि एक मंदिर है.
एक अन्य फैक्ट चेक करने वाली वेबसाइट AltNews ने इस मसले पर इस्कॉन मंदिर के अधिकारियों से संपर्क किया. इन्होंने इस बात की पुष्टि की कि बालासोर ट्रेन दुर्घटना मंदिर के पास स्थित पटरियों पर ही हुई थी. अधिकारियों ने इस बात की भी पुष्टि की कि दुर्घटनास्थल के बगल में जो सफेद इमारत दिख रही है वो इस्कॉन मंदिर है.
इन दो फैक्ट चेक करने वाली वेबसाइट्स के अलावा भी कई न्यूज़ एजेंसीज ने सफेद इमारत के पास जाकर उसकी तस्वीरें दिखाई हैं, जिनसे पता लगता है कि वो इमारत एक मंदिर है.
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