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फिक्सिंग के इन 5 किरदारों से मिल लीजिए, क्रिकेट से भरोसा उठ जाएगा

फिक्सिंग का खुलासा करने वाली इस नई डॉक्यूमेंट्री फिल्म में जो दिखता है, उससे लगता है कि सारे मैच फिक्स हैं.

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इन लोगों के मुंह से निकली एक एक बात आपके भीतर के विश्वास को तोड़ती है.
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प्रवीण
28 मई 2018 (Updated: 28 मई 2018, 03:05 PM IST) कॉमेंट्स
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अरब देशों में एक देश है कतर. उसकी राजधानी है दोहा. यहां का एक न्यूज चैनल है अल जज़ीरा जो अपनी खबरों की वजह से चर्चा में रहता है. इस चैनल के रिपोर्टर डेविड हैरिसन ने एक ऐसा स्टिंग ऑपरेशन किया है जिसने क्रिकेट की दुनिया को हिला दिया है. वो एक ब्रिटिश बिजनेसमैन बनकर 18 महीनों तक दुबई, मुंबई, रांची और श्रीलंका में घूमते रहे और वहां मैच फिक्सरों से मिलते रहे. इस दौरान डेविड ने क्रिकेट में फिक्सिंग के पूरे नेटवर्क और इसके काम करने के तरीकों को खुफिया कैमरे में रिकॉर्ड किया.
मैच फिक्सिंग का ये पूरा खुलासा अल जज़ीरा ने अपनी डॉक्यूमेंट्री 'क्रिकेट्स मैच फिक्सर्स' में किया है जो 26 मई को टेलीकास्ट हुई. इसमें दावा किया गया है कि इंडिया, पाकिस्तान, ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, श्रीलंका और दुबई के क्रिकेटर्स ने मैच फिक्सिंग की है. इस डॉक्यूमेंट्री में बताया गया है कि क्रिकेट में करप्शन जितना ज्यादा है, उसे साबित करना उतना ही मुश्किल. इस स्टिंग में किन-किन लोगों से बात की गई और क्या सामने आया, जानते हैं:

#1 अनिल मुनव्वर, डी-कंपनी, मुंबई

Anil Munawwar
खुफिया कैमरों से अनजान अनिल का कहना है कि वो सात साल से स्पॉट फिक्सिंग कर रहा है.

डेविड ब्रिटिश उद्योगपति बनकर मुंबई पहुंचते हैं. वो ये दिखाने की कोशिश करते हैं कि उनके पास पैसा है और वो मैच फिक्स करना चाहते हैं. मुलाकात होती है अनिल मुनव्वर से. ये डी-कंपनी यानी दाउद अब्राहिम से जुड़ा बंदा है. डी-कंपनी में मिडिल लेवल का मैच फिक्सर है और वो खुद कहता है कि 6-7 साल से ये काम कर रहा है. एकदम फिल्मी अंदाज में डेविड अनिल के सामने नोटों से भरा सूटकेस खोलकर दिखाता है और ये ऑफर सामने रखता है कि हमें पैसा बनाना है, बताओ क्या हो सकता है.
अनिल भरोसा दिलाते हुए कहता है कि 60 से 70 फीसदी मैच फिक्स हो सकते हैं और अगर आपके पास पैसा हो तो सब कुछ मैनेज हो सकता है. अनिल का दावा है कि उनकी कंपनी सीधे कई इंटरनेशनल खिलाड़ियों से जुड़ी हुई है. इस बातचीत में स्पॉट फिक्सिंग क्या होती है समझाने की कोशिश हुई है.
स्पॉट फिक्सिंग यानी किसी मैच के एक सेशन में बल्लेबाज को खराब खेलने के लिए खरीद लिया जाता है. स्पॉट फिक्सिंग इसलिए भी ज्यादा चलन में है क्योंकि इसमें हर सेशन दांव लगाने का मौका मिलता है. यानी एक ही मैच में आप कई दफा सट्टा लगाते हैं और पैसा कई गुणा कमाते हैं. जबकि पूरे मैच पर सट्टा लगाने से या तो जीत होती है या फिर हार. इसलिए पिछले कुछ सालों से स्पॉट फिक्सिंग के ज्यादा केस सुनने को मिलते हैं.
यहां अल जज़ीरा का दावा है कि उनसे एक पूर्व इंटरनेशनल खिलाड़ी ने भी बात की जो फिक्सिंग कर चुका है. उसने इस शर्त पर बात की कि उसकी पहचान जाहिर नहीं की जाएगी. वो कहता है कि खिलाड़ियों को इसके बदले रॉलेक्स की कीमती घड़ियां, आलीशान फ्लैट और गाड़ियां गिफ्ट में मिलती हैं. प्लेयर्स को सुंदर लड़कियां और मॉडल्स भी प्रोवाइड की जाती हैं.

#2 रॉबिन मोरिस, पूर्व भारतीय घरेलू क्रिकेटर

Robin FIX
फिक्सिंग के कारोबार में रॉबिन अब एक बड़ा प्लेयर है.

रॉबिन मोरिस मुंबई का वो क्रिकेटर जिसने 42 फर्स्ट क्लास और 51 लिस्ट-ए मैच खेले हैं. 41 साल का ये क्रिकेटर अब फिक्सर है. स्पॉट फिक्सिंग का माहिर खिलाड़ी है. मोरिस इस स्टिंग में फिक्सिंग के नियम बताते हुए कहता है कि टी-20 में 10-10 ओवर के सेशन होते हैं. और मान लीजिए हमारी भविष्यवाणी 70 रन की है तो हम उसी हिसाब से सट्टा लगाते हैं. हमारे कई दोस्त अंदर खेल रहे होते हैं और हम उन्हें कह देते हैं कि कम रन बनाना. फिक्सिंग हमेशा अंडरपरफॉर्म करने यानी खराब खेलने के लिए की जाती है.
इस डॉक्यूमेंट्री में रॉबिन और अन्य लोग बताते हैं कि टॉस होने के बाद जैसे ही ये साफ हो जाता है कि कौन पहले बैटिंग कर रहा है, तो सट्टा उसी हिसाब से लगने लगता है. पहले से प्लेयर से सैटिंग होती है और प्लान के हिसाब से वो मैदान से इशारा करता है. ये कई तरीकों का हो सकता है. जैसे कलाई पर बैंड पहन लेगा या उतार देगा, सिर पर बैंड पहन लेगा, चश्मा लगाकर गेंदबाजी करेगा या फिर बल्लेबाज पैड एडजस्ट करेगा या फिर अपना बैटिंग ग्लव फेंकेगा. जो भी पहले से तय किया होगा उसी से इशारा देगा. जैसे ही मैदान पर खिलाड़ी से इस तरह का इशारा मिलेगा, मैच को लाइव देख रहा फिक्सर तुरंत अपनी टीम को ये मैसेज दे देगा कि अब सट्टा लगाना है.
मोरिस ये भी बताता है कि कई बार बैट्समेन बॉलर को रुकने का इशारा करता है तो भी समझ लेते हैं कि फिक्सिंग शुरू. वहीं दूसरी जगह अनिल बताता है कि वो 20-25 बड़े लोगों से जुड़ा हुआ है और वो उन्हें पिछले 4-5 सालों से जानता है. वो हर मैच में 4-10 करोड़ प्रति मैच कमा रहे हैं. तमाम बातचीत और मुलाकातों के बाद अनिल ने एक फिक्सिंग का रेट बताया. वो है 20 से 45 लाख रुपए का. इस पर अल जज़ीरा के डेविड ने इंडिया-इंग्लैंड के मैच में एक फिक्सिंग करवाने की डिमांड रखी. इस पर अनिल बताता है कि सीरीज से हफ्ता भर पहले वो बताएगा कि किस मैच में पैसा लगाना है.

#3 हसन रज़ा, पूर्व पाकिस्तानी खिलाड़ी

Hasan
पाकिस्तान के लिए खेला ये खिलाड़ी अब स्पॉट फिक्सिंग में रॉबिन का साथी है.

रज़ा ने पाकिस्तान के लिए 1996 से 2005 तक क्रिकेट खेला है. उसने पाकिस्तान के लिए 7 टेस्ट और 16 वनडे मैच खेले हैं. हसन ने 14 साल की उम्र में अपना इंटरनेशनल डेब्यू किया था. वो पाकिस्तान के लिए खेलने वाला सबसे कम उम्र का प्लेयर था. मोरिस और रज़ा दोनों मुंबई चैंप्स नाम की एक टीम के लिए साथ टी-20 खेले हैं और अब दोनों फिक्सर हैं. डॉक्यूमेंट्री में मोरिस कहता दिख रहा है कि वो एक मैच से कम से कम 45 लाख कमा लेता है.

#4 गौरव राजकुमार, मैच फिक्सर, दुबई

Gaurav Rajkumar
दुबई में फिक्सिंग की डोर इस इंसान के पास है.

उसी बीच डेविड मुंबई में रॉबिन से मिलते हैं जहां वो इंडिया-श्रीलंका के बीच मैच के दौरान फिक्सिंग करवाने का दावा करता है. यहां वो गौरव राजकुमार नाम के फिक्सर से मिलवाता है, जो है तो इंडियन मगर रहता दुबई में है. वो ये कहता है कि हम ग्राउंड स्टाफ को घूस देते हैं और वो लगातार अंदर की तस्वीरें हमें भेजते हैं. वो पहले ही बता देते हैं कि पिच किसे फेवर करेगी - बल्लेबाज को या गेंदबाज को. उसके लिए 25 लाख रुपए तक की कीमत चुकाई जाती है. टेस्ट मैच में ग्राउंड्समैन से सेटिंग कर इस बात पर सट्टा लगाया जाता है कि ड्रॉ होगा या नहीं. गेंदबाजों को हेल्प करने वाली पिच में ड्रॉ वाला सट्टा काम आता है. वहीं अगर पिच बल्लेबाजों को हेल्प करती है तो पारी के टोटल पर सट्टा लगाया जाता है. मान लीजिए पहली पारी में 280 से ऊपर या नीचे.

#5 थरंगा इंडिका, पिच क्यूरेटर, गॉल स्टेडियम, श्रीलंका

Tharanga
श्रीलंका क्रिकेट बोर्ड ने मैच क्यूरेटर थरंगा इंडिका (दाएं) को तत्काल प्रभाव से बर्खास्त कर दिया है.

रॉबिन मोरिस और गौरव राजकुमार एक और किरदार से मिलवाते हैं. ये है श्रीलंका के गॉल स्टेडियम का पिच क्यूरेटर और असिस्टेंट मैनेजर. नाम - थरंगा इंडिका. उसके साथ श्रीलंका का मैच फिक्सर थरिंडु मेंडिस भी है जो प्रोफेशनल क्रिकेटर रहा है. क्यूरेटर फिक्सिंग के हिसाब से पिच तैयार करता है और ये सारी चीजें फिक्सरों से साझा करते हैं. यहां फिक्सर उसी हिसाब से दांव लगाते हैं और खूब पैसा कमाते हैं. यहां बातचीत में सामने आया कि कैसे पिच पर ब्रश मारने से पिच बिगाड़ी जा सकती है. अगर बैटिंग फ्रेंडली पिच है और उस पर क्यूरेटर ने रगड़कर ब्रश मरवा दिया तो रफ हो जाएगी और स्पिनर्स को मदद करने लगेगी. ये सब होता है जब क्यूरेटर की जेब में लाखों पहुंच जाते हैं. इस बातचीत के दौरान क्यूरेटर नर्वस दिखा और बाहर चला गया. कारण ये कि गॉल स्टेडियम के पिछले क्यूरेटर को 3 साल के लिए बैन किया गया है. नाम है जयनंदा वर्नावीरा, जो श्रीलंका के लिए 1986 से 94 तक इंटरनेशनल क्रिकेट खेला है. उस पर भी आईसीसी की एंटी करप्शन टीम से सहयोग न करने का आरोप था.

अल जज़ीरा की पूरी डॉक्यूमेंट्री यहां देखेंः

https://youtu.be/uYlk4izYVmw


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