यौन शोषण का आरोपी अखलाक बरी, आरोप लगाने वालों ने '786' वाला टैटू देख काट दिया था हाथ
आपको अखलाक़ याद है? उत्तर प्रदेश वाला अखलाक़. कथित तौर पर जिसके हाथ में ‘786 वाला टैटू’ देख कुछ लोगों ने उनका हाथ काट दिया था. लेकिन फिर उन पर एक बच्चे के यौन शोषण का आरोप लगा दिया गया था. जिसके बाद से वो जेल में था. लेकिन बीती 20 मई को पानीपत के एक फास्ट-ट्रैक ट्रायल कोर्ट ने अखलाक़ को बाल यौन उत्पीड़न और अपहरण से जुड़े आरोपों से बरी कर दिया है. क्या है पूरा मामला और क्या कहा कोर्ट ने आइए जानते हैं.

आपको अखलाक़ याद है? उत्तर प्रदेश वाला अखलाक़. कथित तौर पर जिसके हाथ में ‘786 वाला टैटू’ देख कुछ लोगों ने उनका हाथ काट दिया था. लेकिन फिर उन पर एक बच्चे के यौन शोषण का आरोप लगा दिया गया था. जिसके बाद से वो जेल में था. लेकिन बीती 20 मई को पानीपत के एक फास्ट-ट्रैक ट्रायल कोर्ट ने अखलाक़ को बाल यौन उत्पीड़न और अपहरण से जुड़े आरोपों से बरी कर दिया है. क्या है पूरा मामला और क्या कहा कोर्ट ने आइए जानते हैं.
अदालत ने क्या कहा?
अखलाक के केस में फैसला सुनाते हुए सेशन कोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष की तरफ के बयानों में कई कमियां रहीं और विश्वसनीय सबूतों से भी यौन शोषण के आरोपों की पुष्टि नहीं की जा सकती. पॉक्सो अदालत के जज सुखप्रीत सिंह ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए कहा,
'अभियोजन पक्ष की तरफ से जो FIR दर्ज कराई गई है, वो उसी दिन कराई गई है जिस दिन अखलाक ने अपने हाथ काटे जाने की FIR दर्ज करवाई थी. साथ ही ऐसा लगता है कि (पीड़ित बच्चा) को उसके बयान के पहले सिखाया पढ़ाया गया था. ये बातें संदेह पैदा करने वाली हैं. इसके साथ-साथ अभियोजन पक्ष की तरफ से पर्याप्त सबूत पेश नहीं हो पाए. साथ ही इस जांच में (पीड़ित बच्चे) की चिकित्सीय जांच का भी अभाव दिखता है.
‘इस अदालत का विचार है कि पीड़ित, उसके पिता और उसके चाचा के बयान विसंगतियों और विरोधाभासों से भरे हुए हैं. इसलिए अदालत ये मानती है कि उनके गवाही पर्याप्त नहीं है. लिहाजा ये आरोपी को दोषी ठहराने का एकमात्र आधार नहीं हो सकता. इसलिए आरोपी को उसके ऊपर लगे आरोपों से बरी किया जाता है.’
आदेश में ये भी कहा गया है कि अखलाक को अभियोजन पक्ष की तरफ से शिकार बनाया गया है. अदालत ने कहा कि इस केस में पहले अख़लाक़ पर हमला किया गया और फिर उसके एक हाथ को आरा मशीन से काट दिया गया.
क्या हुआ था?
ये तो थी कोर्ट की बात अब हम आपको वापस समय में पीछे ले चलते हैं.
साल 2020. 23-24 अगस्त की दरमियानी रात अख़लाक़ के साथ हरियाणा के पानीपत में कथित तौर पर मारपीट की गई और उसे गंभीर रूप से घायल कर दिया गया. अखलाक़ ने अपने ऊपर हुए हमले का कारण बताया उसके हाथ में बने ‘786 वाले टैटू’ को. बात कुछ दिन दबी रही, लेकिन जैसे ही ये सोशल मीडिया में फैली तो काफी हंगामा मचा. इस केस को लेकर FIR दर्ज हुईं. एक नहीं बल्कि दो FIR. और यहीं से अखलाक़ की इस कहानी में ट्विस्ट आता है. दरअसल दूसरी FIR दर्ज की गई उन लोगों की तरफ से जिन पर अखलाक़ का हाथ काटने का आरोप था. उनकी तरफ से कहा गया कि अखलाक़ ने उनके घर के छोटे बच्चे का यौन शोषण किया है.
मामले को और बारीकी से समझने के लिए लल्लनटॉप ने बात की अखलाक़ के वकील अकरम अख्तर चौधरी से. उन्होंने हमें बताया,
'23 अगस्त की रात को अखलाक़ के साथ मार-पीट होती है, और जब उसके घर वाले इसकी शिकायत दर्ज करवाने पुलिस के पास जाते हैं तो पुलिस उनकी शिकायत दर्ज नहीं करती. जब सोशल मीडिया में ये बात बढ़ती है तब 7 सितंबर को पुलिस FIR दर्ज करती है, लेकिन उसी दिन माने 7 सितंबर को ही अखलाक़ के हाथ काटने वालों की तरफ से भी FIR दर्ज की जाती है. अगर उनके घर के बच्चे के साथ यौन शोषण हुआ था तो उन्होंने इतने दिनों के बाद FIR क्यों दर्ज करवाई? ये बहुत संदेह पैदा करने वाला है, और इसी बात पर एतराज जताते हुए कोर्ट ने फैसला भी सुनाया है. FIR में देरी संदेह पैदा करने वाली है ये कोर्ट के फैसले में प्रमुखता से लिया गया है.'

हमने अकरम से सवाल किया कि 20 मई का फैसला तो अखलाक़ को यौन शोषण के आरोपों से बरी करने वाला है, लेकिन उनके हाथ काटे जाने और उनके साथ हुई मारपीट पर भी शिकायत दर्ज करवाई गई थी, उस केस का क्या स्टेटस है.
इसके जवाब में अकरम ने हमें बताया,
'पुलिस की तरफ से कहा जाता है कि इस केस में अभी भी जांच पड़ताल की जा रही है. हुआ ये कि जब मामला हाईलाइट हुआ तो पुलिस की तरफ से एक SIT बनाई गई. कहा गया कि केस की पूरी जांच होगी. लेकिन अब तक हमारी तरफ से दर्ज की गई शिकायत की जांच ही नहीं हो पाई है. हम इसी बात को लेकर हाई कोर्ट के डायरेक्शन के लिए गए थे. उनकी तरफ से भी कहा गया कि केस की जांच जल्दी होनी चाहिए. इसके साथ ही हमने एक RTI भी लगाई हुई है कि हमारी तरफ से दायर शिकायत की जांच का क्या स्टेटस है. अभी तक उसका जवाब भी नहीं आया है.'
अखलाक़ कहां है?
अखलाक़ के बरी होने से एक तरफ उनका परिवार खुश है तो वहीं उन्हें आगे इंसाफ की उम्मीद भी है. दी लल्लनटॉप ने अखलाक़ से बात करने की कोशिश की, लेकिन उनके भाई इकराम ने बताया कि अभी उनकी हालत ठीक नहीं है. उन्होंने मानसिक तौर पर बहुत परेशानियां झेलीं हैं और वो अभी अस्पताल में भर्ती हैं.
इकराम ने लल्लनटॉप से कहा,
'14 महीने मेरा भाई बेक़सूर होते हुए भी जेल में बंद रहा. ये 14 महीने हम पर बहुत भारी पड़े हैं. वो मेरे साथ सेलून चलाता था. अब उनका हाथ काट दिया गया है. आगे उनका भविष्य कैसा होगा हमें इस बारे में फ़िक्र है. इसका ज़िम्मेदार कौन है? पहले पुलिस हमारी शिकायत दर्ज नहीं कर रही थी, लेकिन बाद में जाकर जब FIR दर्ज की गई तो उसके बाद हमें पुलिस की तरफ से धमकियां मिलने लगीं. मुझे कहा गया कि इस केस में कुछ नहीं कर पाओगे. 2-3 लाख रुपए लेकर मामला रफा दफा कर लो.'
इकराम को भी हुई 7 दिन की जेल
इकराम ने हमें बताया कि उन्हें भी जेल भेज दिया गया था. बोले,
"मेरे भाई अखलाक़ का हाथ काट दिया गया, इलाज चल रहा था. उनका हाथ ठीक भी नहीं हो पाया था कि उनके ऊपर झूठा आरोप लगाकर जेल में डाल दिया गया. जब पुलिस उनको लेने घर आई तो मैंने पूछा कि ऐसा क्यों किया जा रहा है. उनका हाथ भी ठीक नहीं हुआ है. मैंने इसका विरोध जताया तो पुलिस ने मेरे साथ वहीं मार-पीट की और मुझे भी 7 दिनों में जेल में बंद कर दिया गया."
इकराम का कहना है कि अब उनके केस की सुनवाई होनी चाहिए. वो कहते हैं कि अभी तो उनका भाई बस बरी हुआ है, लेकिन इंसाफ तो तब होगा जब अखलाक़ के हाथ काटने वालों को सज़ा होगी.
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