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गुजरात: सारस के अंडों की देखभाल में लगा था पूरा गांव, सूअर ने फोड़कर सबका दिल तोड़ दिया!

सारस एक विलुप्तप्राय प्रजाति है, जिसकी संख्या लगातार कम हो रही है. इसीलिए गांव के लोग इन अंडों का ध्यान रख रहे थे.

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Sarus crane
सारस पक्षी (प्रतीकात्मक तस्वीर- भारतीय वन्यजीव संस्थान)
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साकेत आनंद
30 जून 2022 (Updated: 30 जून 2022, 03:21 PM IST) कॉमेंट्स
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अहमदाबाद का एक गांव है गणसर. यहां पिछले 55 दिनों से गांव वाले दो सारस पक्षी के अंडों की देखभाल कर रहे थे. इसके लिए खेत में आर्टिफिशियल वेटलैंड भी बनाया गया ताकि अंडों को नुकसान ना पहुंचे. लेकिन गांव वालों की इस मेहनत पर बीते सोमवार, 27 जून को पानी फिर गया. एक जंगली सूअर ने खेत में सुरक्षित रखे गए अंडों को तोड़ दिया. सारस एक विलुप्तप्राय प्रजाति है, जिसकी संख्या लगातार कम हो रही है. इसीलिए गांव के लोग इन अंडों का ध्यान रख रहे थे.

एक एकड़ खेत को बना दिया वेटलैंड

ये खबर टाइम्स ऑफ इंडिया के हिमांशु कौशिक ने की है. रिपोर्ट के मुताबिक अंडे तोड़े जाने से गांव वाले निराश हैं. वे 2 मई से ही इसकी सुरक्षा में लगे थे. गांव वालों ने करीब एक एकड़ खेत को पानी भरकर वेटलैंड में तब्दील कर दिया था. वे 24 घंटे इसकी निगरानी कर रहे थे. ताकि कोई जंगली जानवर या कुत्ते अंडे को ना तोड़ें. 27 जून की रात बारिश हुई जिससे अंडे की देखभाल में लगे लोग घर चले गए. तभी एक सूअर खेत में घुसकर अंडे तोड़ देता है.

पक्षियों पर रिसर्च करने वाले देसाल पागी ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, 

"मंगलवार (28 जून) को जब गांव वाले उस जगह पहुंचे तो सारस जोड़े वहां नहीं थे जहां अंडे रखे गए थे. गांव के सरपंच भोजाजी ठाकोर ने देखा कि घोसले से अंडे गायब थे. उन्होंने खेतों में जानवर के पैर के निशान देखे, जिससे पता चला कि शायद सूअर ने अंडों को तोड़ दिया है."

पागी ने बताया कि पूरे गांव के लोग दुखी हैं. खासकर वे बच्चे जो उस जगह की देखभाल कर रहे थे. वहीं सरपंच भोजाजी ठाकोर ने कहा कि वो जानवर के पैर के निशान का पीछा करते हुए दो खेत तक चले गए, लेकिन उन्हें अंडे नहीं मिले. ठाकोर जब वापस लौटे तो उन्हें घोसले में अंडे का कुछ हिस्सा टूटा हुआ मिला.

घट रही सारस की संख्या?

गांव में रहने वाले कैलाश ठाकोर ने अखबार को बताया कि वो अंडे से बच्चों के निकलने का इंतजार कर रहे थे, लेकिन अब यह कभी नहीं होगा. उन्होंने कहा कि सिर्फ इसी खेत में धान कटाई मशीन के बदले हाथ से हुई थी ताकि अंडों को कोई नुकसान ना हो. पक्षियों के लिए अनुकूल वातावरण बने रहे इसके लिए खेत में हमेशा एक से डेढ़ फीट तक पानी भरकर रखा गया था.

सारस साल में एक या दो अंडे देते हैं. ये अपना घोसला प्राकृतिक दलदल वाली जगहों या पानी से भरे धान के खेतों में बनाते हैं. वेटलैंड के घटने के कारण भारत में भी सारस की संख्या घट रही है. 2010 में राज्य वन विभाग के आंकड़ों के हिसाब से गुजरात में करीब 1900 सारस थे. पिछले एक दशक से कोई गिनती नहीं हुई है. लेकिन माना जाता है कि सारस की संख्या घटकर 600 हो गई है.

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