कानून वापसी की घोषणा के बाद हुईं किसान नेताओं की मीटिंग में क्या-क्या फैसले हुए?
आंदोलन खत्म होगा या जारी रहेगा, जान लीजिए.
कृषि कानूनों की वापसी की घोषणा के बाद आगे की रणनीति बनाने के लिए शनिवार, 20 नवंबर को संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक हुई. संयुक्त किसान मोर्चा की मीटिंग में फैसला लिया गया है कि आंदोलन सरकार द्वारा सभी जायज मांगों को पूरा किए जाने तक जारी रहेगा.
ये फैसले हुएइसके अलावा 22 नवंबर को लखनऊ में किसान महापंचायत होगी और 26 नवंबर को आंदोलन के एक साल पूरे होने के मौके पर दिल्ली की सीमाओं पर शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन होगा. ट्रैक्टर और बैलगाड़ी परेड निकाली जाएगी. वहीं, 28 तारीख को 100 से अधिक संगठनों के साथ संयुक्त शेतकारी कामगार मोर्चा के बैनर तले मुंबई के आजाद मैदान में एक महापंचायत का आयोजन किया जाएगा. इसके अलावा 29 नवंबर से प्रतिदिन 500 प्रदर्शनकारियों का ट्रैक्टर संसद तक शांतिपूर्ण और अनुशासित रूप से मार्च निकालेगा.
किसान मोर्चा का क्या कहना है?Our programs for 22nd, 26th & 29th Nov will continue as usual. Lucknow rally on 22nd, a gathering on 26th when one yr (of farmers' agitation) will be marked across the nation & tractor march (to Parliament) on 29. Agitation will continue: Darshan Pal Singh, Krantikari Kisan Union pic.twitter.com/GnUG7Mq8hC
— ANI (@ANI) November 20, 2021
संयुक्त किसान मोर्चा का कहना है कि जहां भारत के प्रधानमंत्री ने तीन काले कृषि कानूनों को निरस्त करने के अपनी सरकार के फैसले की घोषणा की, वे किसानों की लंबित मांगों पर चुप रहे. किसान आंदोलन में अब तक 670 से अधिक किसान शहीद हो चुके हैं और भारत सरकार ने श्रद्धांजलि देना तो दूर उनके बलिदान तक को स्वीकार नहीं किया. हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली, चंडीगढ़, मध्यप्रदेश और अन्य जगह हजारों किसानों को सैकड़ों झूठे मामलों में फंसाया गया है. उनकी मांग है कि सरकार इन फर्जी मुकदमों को जल्द से जल्द रद्द करे.
MSP पर क्या हुआ?मोर्चा का कहना है कि वह लगातार न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिए संघर्ष कर रहे हैं. इसके लिए देश भर में बड़ी संख्या में विरोध प्रदर्शन भी किए गए हैं. उचित MSP के लिए वैधानिक गारंटी की मांग मौजूदा आंदोलन का एक अभिन्न अंग है. किसानों ने संकेत दिया है कि एमएसपी पर कानूनी गारंटी और बिजली संशोधन विधेयक जैसे मुद्दों पर उसका आंदोलन जारी रहेगा. उन्होंने विद्युत संशोधन विधेयक को पूरी तरह से वापस लेने और दिल्ली में वायु गुणवत्ता विनियमन पर क़ानून से किसानों को संबंधित दंडात्मक धाराओं से बाहर रखने की मांग की है.
शुक्रवार, 19 नवंबर को पीएम मोदी ने कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान करते हुए कहा था,
आज मैं आपको, पूरे देश को ये बताने आया हूं कि हमने तीन कृषि कानूनों को वापस लेने का निर्णय लिया है. इस महीने के अंत में शुरू होने जा रहे संसद सत्र में हम तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की संवैधानिक प्रक्रिया पूरी करेंगे. एमएसपी को और अधिक कारगर, प्रभावी बनाने के लिए एक कमिटी का गठन किया जाएगा. इसमें केंद्र और राज्य सरकारों के प्रतिनिधि होंगे. किसान, कृषि वैज्ञानिक और एक्सपर्ट होंगे.
आपको बता दें कि कृषि कानूनों को लेकर किसान पिछले एक साल से आंदोलन कर रहे हैं. उम्मीद की जा रही थी कि पीएम की घोषणा के बाद किसान आंदोलन खत्म कर देंगे. लेकिन फिलहाल ऐसा होता नजर नहीं आ रहा है.