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खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू को मारने की प्लानिंग बनाने वाला कौन?

पन्नू की हत्या की कथित कोशिश को लेकर अमेरिका का क्या कहना है?

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खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू .
30 नवंबर 2023 (Updated: 30 नवंबर 2023, 23:53 IST)
Updated: 30 नवंबर 2023 23:53 IST
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अमेरिका में न्यूयॉर्क साउथ ज़िले में जिला लेवल के वकील का एक ऑफिस है. अटॉर्नी ऑफिस. इस ऑफिस ने 29 नवंबर को एक प्रेस रिलीज जारी की. इस प्रेस रिलीज में दो व्यक्तियों का जिक्र था. एक व्यक्ति का नाम था निखिल गुप्ता उर्फ निक. दूसरे व्यक्ति का नाम नहीं लिया गया था, लेकिन इस रिलीज में उसे CC-1 कहकर पुकारा गया था. रिलीज में कहा गया कि जो कुछ दिनों पहले पन्नू की हत्या की कोशिश की गई थी, वो इसी निखिल गुप्ता और सीसी-1 ने मिलकर की थी. इस प्रेस रिलीज में कहा गया-

"साल 2023 की शुरुआत में भारत सरकार के एक कर्मचारी ने भारत और अन्य जगहों पर निखिल गुप्ता के साथ मिलकर अमेरिकी धरती पर एक वकील और एक राजनैतिक कार्यकर्ता की हत्या की साजिश रची थी."

इस रिलीज में कहीं भी पन्नू का नाम नहीं लिया गया. लेकिन चेन ऑफ ईवेंट को देखते हुए लोगों ने मतलब निकाल लिया की यहां जिस राजनीतिक कार्यकर्ता की बात हो रही है, उसका नाम हुआ गुरपतवंत सिंह पन्नू. इस रिलीज में और भी बहुत सारे आरोप लगाए. आरोपों पर कुछ देर बाद आते हैं. पहले मामले की पृष्ठभूमि समझ लेते हैं.

एक ब्रिटिश अखबार है- फाइनेंशियल टाइम्स. सबसे पहले इस अखबार ने 22 नवंबर को अपनी एक खबर में दावा किया कि भारत ने अमरीका की धरती पर पन्नू को मारने की कोशिश की. ये बात अभी तक साफ नहीं हो सकी है कि भारत ने ऐसा प्रयास किया तो किया कब? किस महीने और किस दिन - इसकी कोई जानकारी नहीं. लेकिन अखबार ने कहा कि हत्या के इस प्रयास को लेकर अमरीका ने दो बार भारत के सामने अपना विरोध जताया. और भारत से सवाल पूछे.  पहला मौका जून 2023 में, पीएम मोदी अमरीका की यात्रा के ठीक बाद. और दूसरी बार सितंबर 2023 में. जब G20 के समय अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडन भारत आए, और उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी से सीधी बातचीत में इसका जिक्र किया.

FT को ये जानकारी तब मिली, जब अमरीका के सरकारी वकीलों ने न्यू यॉर्क की जिला अदालत में एक सीलबंद लिफाफा फ़ाइल किया. इस लिफ़ाफ़े में उस आदमी का नाम भी बंद था, जिसने पन्नू को मारने की प्लानिंग की थी या मारने की कोशिश की थी.  उस समय अमरीका का डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस उस सीलबंद लिफाफा फ़ाइल को ओपन करने पर विचार कर रहा था. ऐसा करने से आदमियों का नाम सामने आ जाता.

अब 29 नवंबर की शाम जब निखिल और सीसी-1 का नाम सामने आया तो ये कयास लगाए गए, शायद लिफ़ाफ़े को खोल दिया गया है. लिफाफा खुला तो और भी कहानियां सामने आईं.  और सामने आ गई वो प्रेस रिलीज जिसका हम जिक्र कर रहे थे.

इस रिलीज में निखिल गुप्ता का नाम एकाधिक जगहों पर तो लिया गया है. लेकिन कहीं भी दूसरे व्यक्ति का नाम नहीं लिया गया है. उसे हर जगह सीसी-1 कहकर पुकारा गया है. और लिखा गया है कि सीसी-1 ने कई जगह खुद को "सीनियर फील्ड ऑफिसर" कहकर परिचय दिया है. उसने कई लोगों को ये भी बताया कि वो पहले CRPF में पोस्टेड था. सीसी-1 के पास "सेक्योरिटी मैनेजमेंट" और "इंटेलीजेंस" की जिम्मेदारी थी. इस सीनियर फील्ड ऑफिसर,सेक्योरिटी मैनेजमेंट और इंटेलिजेंस जैसे शब्दों और भूमिकाओं पर ध्यान दीजिए. तभी शायद आप मामला डीकोड कर सकेंगे. और ये सब काम करने में सीसी-1 की मदद कौन करता था? जवाब है निखिल गुप्ता.

आगे बढ़ते हैं. तो अमरीका के जस्टिस डिपार्टमेंट के मुताबिक, साल 2023 की शुरुआत में सीसी-1 ने पन्नू को ठिकाने लगाने की तैयारी शुरू की. वो तब भारत से ही ऑपरैट कर रहा था. फील्ड के काम के लिए उसे एक साथी की तलाश थी. मई 2023 के महीने में उसने निखिल गुप्ता से संपर्क साधा. निखिल ये काम करने के लिए तैयार हो गया. 

निखिल को ये काम करने के लिए एक किलर की तलाश थी. जो पैसे ले, और पन्नू का काम तमाम कर दे. निखिल ने अपने सूत्रों का इस्तेमाल किया. उसे एक बंदे का कान्टैक्ट मिला. निखिल ने उस किलर से काम करने के लिए संपर्क किया, किलर तैयार हो गया. लेकिन ठीक इसी मौके पर निखिल से गलती हो गई थी. जो किलर था, वो असल अपराधी नहीं था बल्कि अमरीका में नशे से डील करने वाली एजेंसी Drug Enforcement Administration यानी DEA का खुफिया एजेंट था. DEA को आप हमारे देश में काम कर रहे Narcotics Control Bureau के बराबर समझ सकते हैं.

इधर निखिल DEA एजेंट को अपना पन्टर समझकर डील करता रहा. पन्नू के मर्डर का दाम तय हो गया था. 1 लाख डॉलर यानी लगभग 83 लाख रुपये. न्यूयॉर्क टाइम्स की खबर के मुताबिक, जो आरोप दाखिल किया गया था, उसमें नोटों के उस बन्डल की फ़ोटो भी थी, जो एडवांस के तौर पर निखिल ने अपने किलर को पे किया था. कैलेंडर में जून का महीना लगा. ये वो मौका था, जब किसी भी मौके पर पन्नू पर हमला किया जा सकता था. हमले को सफल बनाने के लिए सीसी-1 ने निखिल को कुछ चीजें मुहैया कराईं -

1 - पन्नू का पता

2 - पन्नू का फोन नंबर

3 - पन्नू का दिन भर का शेड्यूल

4 - पन्नू की तस्वीरें

इन चीजों को निखिल ने उस किलर को सौंप दी. और एक निर्देश दिया  - पन्नू की हत्या जल्द से जल्द की जानी चाहिए. लेकिन किलर को इस बात का ध्यान रखना होगा कि हत्या के आसपास भारत और अमेरिका के आपसी हाईलेवल के कार्यक्रम न हों. ध्यान दें कि जून 2023 ही वो महीना था, जब प्रधानमंत्री मोदी अमरीका की यात्रा पर गए थे. लेकिन निखिल का इशारा क्या पीएम मोदी के दौरे की ओर था? ये साफ नहीं है.

ध्यान दें कि 18 जून ही वो तारीख थी, जब अनजान शूटरों ने कनाडा में खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर को मार डाला था. और इधर निखिल ने भी अपने शूटर को जल्द से जल्द काम तमाम करने का मोटिव दे दिया था. यही नहीं, निज्जर के मर्डर के अगले दिन यानी 19 जून को निखिल ने अपने शूटर को निज्जर की तस्वीर दिखाकर कहा था - "ये भी हमारा निशाना था". और ये भी कहा था - "हमारे पास और भी निशाने हैं".

लेकिन DEA एजेंट को अपना प्यादा समझकर निखिल ने बड़ी गलती कर ली थी. वो 20 जून 2023 को अरेस्ट हो गया. लेकिन वो न्यूयॉर्क में अरेस्ट नहीं हुआ. न्यूयॉर्क से लगभग साढ़े 6 हजार किलोमीटर दूर मौजूद चेक रिपब्लिक में उसे अरेस्ट किया गया. उस पर 'मर्डर फॉर हायर' और मर्डर फॉर हायर की साज़िश रचने की धाराएं लगाई गईं. मर्डर फॉर हायर यानी सुपारी देकर मर्डर करवाना या उसकी कोशिश करना. हम फिर से बता दे रहे हैं कि हम ये सारी बातें अमरीका के जस्टिस डिपार्टमेंट के आरोप पत्र के मुताबिक कह रहे हैं. कुछ भी अभी साबित नहीं हुआ है.

अब आप ये पूरी कहानी देखें सुनें तो आपको एक बात नहीं समझ में आएगी. बात ये कि जो निखिल एक दिन पहले अपने शूटर को पन्नू के मर्डर का ब्रीफ़ दे रहा था, वो एक दिन के भीतर इतनी दूर तक जाकर अरेस्ट कैसे हुआ? अमरीका से उड़कर यूरोप गया और अरेस्ट हो गया? या उसे अरेस्ट करके यूरोप ले जाया गया? इन सवालों के जवाब भी अभी आने बाकी हैं.

ताजा खबरों के मुताबिक निखिल अभी भी चेक रिपब्लिक की ही जेल में बंद है. और वो अमरीका जाने का इंतजार कर रहा है. चूंकि अमरीका और चेक गणराज्य में प्रत्यर्पण संधि है. यानी वो एक दूसरे से अपने देश के अपराधियों का लेनदेन कर सकते हैं, तो कयास लगाए जा रहे हैं कि जल्द ही निखिल की जमीन बदलकर अमरीका भी हो सकती है. अमरीका आ गया और केस हार गया, तो निखिल को 10 साल जेल के पीछे गुजारने होंगे. और सीसी-1 का क्या? कोई खबर नहीं.

खबरों के मुताबिक अमरीका इस पूरे मामले को लेकर गंभीर है. उसने बार-बार कई मौकों पर भारत के सामने इस केस को उठाया. टाइमलाइन देखिए.

जुलाई 2023  - असोसिएटेड प्रेस की खबर के मुताबिक, अमरीका के राष्ट्रपति जो बाइडन के ऑफिस को इस केस के बारे में सबसे पहले जुलाई 2023 में पता चला.

जुलाई 2023 -  अमरीका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने भारत के NSA अजीत डोभाल से संपर्क किया और इस केस के बारे में बताया. सुलिवन ने डोभाल से आग्रह किया कि मामले की जांच करें और दोषियों को जिम्मेदार ठहराएं. सुलिवन ने ये भी साफ कहा - "अमरीका चाहता है कि ऐसा दोबारा न हो, क्योंकि इससे दोनों देशों की आपसी भरोसा कमजोर होता है."

अगस्त 2023 - जो बाइडन इस बात से संतुष्ट नहीं हुए. उन्होंने अमरीका की खुफिया एजेंसी CIA के डायरेक्टर विलियम बर्न्स से कहा कि वो भारतीय खुफिया एजेंसी RAW के प्रमुख से इस केस के बारे में बात करें.

सितंबर 2023 - G20 के समय जो बाइडन भारत आए. उनके और पीएम मोदी के बीच इस केस को लेकर बातचीत हुई.

सितंबर 2023 -  भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर अमरीका यात्रा पर गए. जेल सुलिवन के अक्टूबर 2023 - अमरीका के नेशनल इन्टेलिजन्स के डायरेक्टर एव्रिल हैन्स भारत आए. भारतीय अधिकारियों के साथ जानकारी साझा की ताकि भारत में इस केस की आंतरिक जांच पूरी हो सके.

आप ध्यान देंगे तो बार-बार अमरीका भारत के सामने इस बात को उठाता रहा. उसकी गंभीरता बनी रही. इधर निखिल और सीसी-1 पर केस चलने के बाद जब असोसिएटेड प्रेस ने व्हाइट हाउस से संपर्क किया, तो उन्होंने कोई कमेंट करने से मना कर दिया. लेकिन व्हाइट हाउस की नेशनल सिक्युरिटी काउंसिल की प्रवक्ता एड्रीयन वॉटसन ने एक बात कही -

"जब हमें ये पता चला कि भारत सरकार के एक कर्मचारी के कहने पर एक हत्या की प्लानिंग की गई थी, तो हमने इस सूचना को बेहद गंभीरता से लिया. और हमने भारत सरकार से हाईएस्ट लेवल पर बात करके अपनी चिंता ज़ाहिर की."

अब आपको बताते हैं कि ताज़ा अपडेट्स के बाद भारत सरकार का रिस्पान्स क्या है? भारत सरकार का पहला रिस्पान्स 29 नवंबर को ये अपडेट्स आने के पहले ही आ चुका था. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा -

"भारत ने मामले के सभी प्रासंगिक पहलुओं पर गौर करने के लिए 18 नवंबर को एक उच्च स्तरीय जांच समिति का गठन किया है. हम पहले ही कह चुके हैं कि द्विपक्षीय सुरक्षा सहयोग पर अमेरिका के साथ चर्चा के दौरान, अमेरिकी पक्ष ने संगठित अपराधियों, बंदूक चलाने वालों, आतंकवादियों और अन्य लोगों के बीच सांठगांठ से संबंधित कुछ जानकारी साझा की थी."

बता दें की भारत ने 22 नवंबर की रात भी बयान जारी करके कहा था कि अमरीका द्वारा साझा की गई जानकारी को भारत गंभीरता से लेता है. जब अमरीका जस्टिस डिपार्टमेंट की प्रेस रिलीज सामने आ गई, तो उसके लगभग 14 घंटों बाद अरिंदम बागची ने कहा,

"..अमरीका की अदालत में जो भारतीय अधिकारी से जुड़ा एक केस हुआ है, वो चिंता का विषय है. ये हमारी नीतियों के खिलाफ है.  ये एक गंभीर विषय है, इसीलिए हमने एक हाईलेवल जांच का भी आदेश दिया है."

अब सवाल आता है इस कहानी के मुख्य पात्र को जानने का. कौन है ये पन्नू? और क्या हैं उसके कारनामे? पन्नू पंजाब के अमृतसर के गांव खानकोट का रहने वाला है. पन्नू ने शुरुआती पढ़ाई के बाद पंजाब यूनिवर्सिटी से लॉ में ग्रेजुएशन किया. उसके बाद न्यूयॉर्क के टूरो लॉ कॉलेज से मास्टर्स और यूनिवर्सिटी ऑफ हार्टफोर्ड से एमबीए की डिग्री ली. इसके बाद वो कनाडा चला गया.

कनाडा जाते ही पन्नू कुछ ऐसे लोगों के संपर्क में आया, जहां से उसका भटकाव शुरू हुआ. वो सिख समुदाय के लिए अलग देश खालिस्तान की मांग करने लगा. उसे साथ मिला पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI का. इसी क्रम में उसने साल 2007 में उसने नींव रखी अपने संगठन की. नाम - सिख फॉर जस्टिस उर्फ SFJ.

SFJ का एजेंडा साफ था. सिखों के लिए अलग देश खालिस्तान की स्थापना करना. लेकिन ये  एजेंडा चलाने के लिए SFJ ने जो रास्ता चुना, वो हिंसा का था. जानकार बताते हैं कि SFJ ने अपने तरीकों को खुलकर सामने नहीं रखा. कनाडा के पत्रकार टेरी मिलेव्सकी ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा है कि पन्नू ने लोगों को SFJ का एजेंडा बताया - बुलेट नहीं, बैलट. यानी गोली नहीं, वोट. लेकिन संवैधानिक लोकतंत्र की वकालत करता ये मोटो बस चेहरा था, पीछे तमाम हिंसक संगठनों से हेल्प ली जा रही थी. ऐसे एक संगठन ISI का नाम तो हमने आपको पहले ही बता दिया. पन्नू आज भी ISI के संपर्क में बताया जाता है.  पन्नू और ISI मिलकर पंजाब के सीमावर्ती गांवों में ड्रोन से ड्रग्स और हथियार गिराते रहते हैं.

पन्नू रहता है मूलतः अमरीका में. वहां की नागरिकता भी ले रखी है, और कनाडा की भी. उसका कनाडा भी आना-जाना लगा रहता है. कनाडा में अपने सारे काम धाम के लिए एक ऑफिस खोलकर रखा है. ऑफिस का नाम  - शहीद तलविंदर सिंह परमार वोटर सेंटर. कौन शहीद तलविंदर सिंह? तलविंदर सिंह परमार बब्बर खालसा का आतंकी था. उसने अपने दोस्त इंदरजीत सिंह रेयात के साथ मिलकर 23 जून 1985 को कनाडा के मॉन्ट्रियल से दिल्ली आ रही एयर इंडिया की फ्लाइट 182 में बम धमाके किये थे. इस धमाके में प्लेन में सवार सभी 329 लोग मारे गए थे, जिसमें 268 कनाडाई नागरिक, 27 ब्रिटिश नागरिक और 24 भारतीय नागरिक शामिल थे.

इसके अलावा पन्नू के ऑफिस के नाम में लगे वोटर सेंटर की कहानी भी रोचक है. वोटर सेंटर का मतलब ये एक रेफरेंडम सेंटर है. यानी जनमत संग्रह का केंद्र. मकसद - सिख खालिस्तान की स्थापना के लिए एकजुट होकर वोट करें. ऐसे देखें तो पन्नू के ऑफिस का मकसद साफ है -0 काम वोट मांगना, नाम इस्तेमाल करना एक आतंकी का.

साल 2019 में भारत सरकार का एक्शन शुरू हुआ. इस साल सरकार ने SFJ को एक प्रतिबंधित संगठन घोषित किया. साल 2020. भारत सरकार ने पन्नू UAPA के तहत आतंकवादी घोषित किया. जुलाई 2020 में ही पंजाब पुलिस ने अमृतसर और कपूरथला में उसके खिलाफ राजद्रोह का केस दर्ज किया था. उसके बाद NIA ने UAPA एक्ट 1967 की धारा 51 ए के तहत अमृतसर स्थित उसकी अचल संपत्तियों को जब्त किया.

लेकिन इस कार्रवाई का असर उस पर कोई असर नहीं होता. वो कभी ऐलान करता कि किसानों को दिल्ली में प्रोटेस्ट के लिए वो 1 लाख डॉलर यानी 83 लाख रुपये देगा. और कभी ऐलान करता कि इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि यानी 31 अक्टूबर पर खालिस्तान का झंडा फहराने के लिए स्टूडेंट्स को आईफोन देगा. बात ये भी है कि स्टूडेंट्स और किसान बार-बार पन्नू के ये फालतू के लालच मानने से मुंह फेरते रहे हैं और आगे भी फेरते रहेंगे. पन्नू पर केस के बाद केस दर्ज होते रहे. 6 जुलाई, 2017 से लेकर 28 अगस्त, 2022 तक आतंकवाद और देशद्रोह सहित विभिन्न धाराओं में कुल 22 मामले दर्ज किए गए. ये सभी मामले केवल पंजाब में दर्ज हैं.

अब हम पन्नू का साल 2023 का क्राइम चार्ट देखते हैं. आपको ध्यान होगा कि कनाडा में खालिस्तानी नेता हरदीप सिंह निज्जर की मौत के बाद सितंबर के महीने में भारत और कनाडा में तनाव हुआ था. तो इसी तनावपूर्ण स्थिति में पन्नू ने ऐलान किया कि गैर-सिख भारतीय कनाडा छोड़ दें, अन्यथा अंजाम भुगतने के लिए तैयार रहें.

नवंबर 2023 में उसने सिखों से अपील की थी कि वो वर्ल्ड कप फाइनल के दिन यानी 19 नवंबर को दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से एयर इंडिया के विमान से यात्रा न करें. पन्नू ने कहा कि उनकी जान को खतरा है. लोगों ने अनुमान लगाया - पन्नू प्लेन को बम से उड़ाना चाहता है. क्यों ऐसा अनुमान लगाया? जवाब हमने आपको पहले ही दिया. वो 1985 की एयर इंडिया बॉम्बिंग के मुख्य आरोपी तलविंदर सिंह परमार का समर्थक है. और वो ऐसा ही कोई चैप्टर रिपीट करना चाहता है. हालांकि अखबार फाइनेंशियल टाइम्स से बातचीत में पन्नू ने तब सफ़ाई दी थी कि उसका मकसद हिंसा करना नहीं था.

हालांकि सुरक्षा एजेंसियों को पता चला कि पन्नू ने किसी स्तर पर तैयारी की तो थी. क्योंकि 19 नवंबर के दिन ही दिल्ली पुलिस ने एक बंदे को अरेस्ट किया था, जो अलग-अलग जगहों पर खालिस्तान समर्थक नारे लिख रहा था. पुलिस ने पूछा तो उसने इतना खुलासा जरूर किया कि उसे ऐसा करने का ऑर्डर पन्नू ने दिया था.

ये तो हो गई पन्नू की कहानी. अपने मर्डर की कोशिश पर उसने क्या कहा? असोसिएटेड प्रेस से बातचीत में उसने कहा -

"मैं मौत से नहीं डरता. अगर खालिस्तान का प्रचार करने की यही कीमत है तो मुझे ये कीमत मंजूर है."

निज़्जर का जिक्र करते हुए पन्नू ने कहा कि भारत ने साबित कर दिया है कि वो रोकने के लिए हिंसा और गोलियों का सहारा लेगा. पन्नू के बाद चलते हैं विशेषज्ञों के पास.

अमरीका जस्टिस डिपार्टमेंट के केस के बाद कनाडा भी एक्टिव हो गया. वहां के पीएम ट्रूडो ने कहा कि भारत को अमरीका के केस को गंभीरता से लेना चाहिए. इस पर अरिंदम बागची ने कहा कि कनाडा खुद के यहां एंटी-इंडिया हिंसा और चरमपंथियों को पनाह देता रहता है. तो सवाल उठता है कि क्या पन्नू का केस सामने आने के बाद निज़्जर का केस भी बदलेगा? एक बात ये भी होने लगी है कि क्या इस तरह के सतत आरोप भारत की साख को नुकसान पहुंचा सकते हैं? या भारत अपनी डिप्लमैटिक स्टैन्डींग में हमेशा की तरह मजबूत खड़ा है? उम्मीद है कि इस पेचीदा अंतर्राष्ट्रीय दिक्कत का हल जल्द से जल्द निकलेगा. और देश के तमाम दुश्मनों तक उचित न्याय भी पहुंचेगा.

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