बादल फटता है तो क्या होता है, जिसकी वजह से अमरनाथ में बड़ा हादसा हो गया?
अमरनाथ हादसे में अब तक 16 लोगों की मौत हुई, 40 से ज्यादा लापता हैं.

जम्मू-कश्मीर में अमरनाथ गुफा (Amarnath) के पास 8 जुलाई को बड़ा हादसा हो गया. दुर्घटना में 16 लोगों की मौत हो गई. वहीं करीब 40 लोग लापता बताए जा रहे हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक शाम करीब साढ़े 5 बजे बादल फटा. बादल फटने के बाद गुफा के पास लगे टेंट्स के बीच पानी का सैलाब आ गया. इलाके में पहले से मौजूद आईटीबीपी और एनडीआरएफ की टीमों ने तुरंत राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिया. बादल फटने (Cloud Bursts) की ऐसी घटनाएं पहले भी हुईं हैं. सवाल ये है कि आखिर ये बादल फटने का मतलब क्या होता है, जिसमें इतने लोगों की जान की जान चली जाती है?
'बादल फटना' ही क्यों कहते हैं?बादल में कोई सिलाई नहीं होती जो उधड़ जाए, न उसका कपड़ा कमज़ोर थान का होता है जो ज़ोर पड़ने पर फट जाए. ये आज सामन्य जीके है. लेकिन हमेशा नहीं था. एक वक्त था जब पब्लिक मानती थी कि बादल गुब्बारे जैसा होता है जो कभी फट पड़ता है तो ताबड़तोड़ बारिश होने लगती है. फिर एक दिन एक सयाने ने बादलों पर रिसर्च की और बताया कि बादल भाप के बने होते हैं. बादल फिर गुब्बारे नहीं माने गए. लेकिन 'बादल फटना' जो नाम पड़ा था, पड़ा रह गया.

बादल फटना और बारिश दोनों में आसमान से पानी गिरता है. फर्क होता है पानी की मात्रा का, माने क्वांटिटी का. कंफ्यूज़न नहीं हो, इसलिए सयाने लोगों ने तय कर रखा है कि एक घंटे के अंदर 100 एमएम या उस से ज़्यादा पानी बरस जाए तो उसे बादल फटना या क्लाउड-बर्स्ट कहा जाए. 100 एमएम माने लगभग चार इंच. अब ये इंच-एमएम का खेला मैं यहां नहीं बता रहा, बहुत देर हो गई है. बाद में स्टोरी करूंगा तो लिंक एम्बेड कर दूंगा. या वीडियो लगा दूंगा.
लेकिन बादल फटता कैसे है?बादल में बहुत बड़ी-बड़ी बूंदें बन जाएं तो बादल फटने का चांस पैदा होता है. औसत से बड़ी बूंदें तब बनती हैं, जब बादल की बूंदे नीचे टपकने के बजाय ऊपर उठने लगें. अब आप कहेंगे कि न्यूटन पर सेब तो नीचे की ओर गिरा था, तो बूंदें ऊपर कैसे उठ जाती हैं. तो बात ये है कि जब गर्म हवा तेज़ी से ऊपर उठती है, तो कई बार बादलों की बूंदों को अपने साथ ऊपर उठा लेती है. ये बूंदें ऊपर तैर रही बूंदों से मिल कर और बड़ी हो जाती हैं. और जब बूंदें बादल में अटके रहने के लिए बहुत भारी हो जाती हैं, तो बरस पड़ती हैं.

बचने का कोई इंतज़ाम है?गर्म हवा के ऊपर उठने लायक स्थितियां पहाड़ी इलाकों में ज़्यादा बनती हैं. इसलिए बादल फटने की घटनाएं भी ज़्यादातर पहाड़ी इलाकों में ही होती हैं. लेकिन पहाड़ों का बादस फटने पर कॉपीराइट नहीं है, मैदानी इलाकों में भी बादल फट जाते हैं.
बादल फटने के बाद कितना नुकसान होता है, ये हम सब जानते हैं. तो अब सवाल बचा कि बादल फटने के बारे में वॉर्निंग वगैरह का इंतज़ाम हो सकता है कि नहीं. लेकिन इसका तय जवाब नहीं है. क्योंकि बादल फटने लायक मौसम बहुत जल्दी-जल्दी बन-बिगड़ जाता है. इसे पकड़ने के लिए कई राडार हमेशा तैयार रखने होंगे, जो बहुत खर्चीला होगा. इसके बाद भी गैरंटी नहीं रहेगी. तो बात यहां आकर ठहरती है कि जिन इलाकों में बादल फटने की घटनाएं होती रहती हों, वहां पब्लिक और प्रशासन अपनी ओर से तैयारी रखे कि अगर बादल फट पड़ें तो क्या कदम उठाए जाएंगे.
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