जब वाजपेयी ने प्रणब मुखर्जी से कहा, 'आपके कुत्ते की मेहरबानी है!'
जो हुआ था, उसकी खबर जैसे ही प्रणब दा की पत्नी को मिली, वो वाजपेयी के बंगले की ओर दौड़ते हुए गईं. वहां क्या हुआ?
ये करीब चालीस साल पहले की बात है. 80 का दशक था. अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) और प्रणब मुखर्जी (Pranab Mukherjee) लुटियंस दिल्ली में आस-पास रहते थे. दोनों की राजनीति, बैकग्राउंड, विचार चाहे अलग-अलग हों, पर एक चीज दोनों का कॉमन लव बनी - कुत्ते. तो ऐसे ही एक सुबह मुखर्जी के कुत्ते ने वाजपेयी को काट लिया. खबर मिलते ही मुखर्जी की पत्नी गीता, वाजपेयी के घर की ओर भागीं. फिर क्या हुआ? तफसील से आपको सब बताएंगे. उस रात की कहानी भी सुनाएंगे जब मुखर्जी बाथरूम बंद कर रोते रहे. ये सारे किस्से हमें मिले प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी की किताब, “Pranab: My Father, A Daughter Remembers.” से. रूपा प्रकाशन से आई ये किताब सोमवार 12 दिसम्बर 2023 को लॉन्च होनी है. सूचना समाप्त. किस्सेबाजी शुरू करते हैं.
'आपके कुत्ते की मेहरबानी है'
उन दिनों मुखर्जी परिवार के पास एक कुत्ता हुआ करता था. नाम था - डाकू. डाकू, बिल्कुल अपने नाम की तरह था. जैसे अपने-आप में ही एक कानून हो, न तो उसे ट्रेन किया जा सकता था, और न ही उसे कंट्रोल किया जा सकता था. वैसे भी मुखर्जी परिवार ने अपने कुत्तों को कभी ज़ंजीरों में नहीं बांधा था. डाकू, अक्सर गेट पर सुरक्षा गार्ड्स से बच निकलता था और बड़े रौब से आस-पड़ोस में घूमता था.
एक सुबह, वाजपेयी अपने कुत्ते के साथ टहलने निकले थे. डाकू की उनके कुत्ते से झड़प हो गई और इसी दौरान उसने वाजपेयी के हाथ पर काट लिया. सुरक्षा गार्ड्स से घटना के बारे में सुनकर प्रणब मुखर्जी की पत्नी गीता दौड़ते हुए वाजपेयी के घर पहुंची. आम तौर पर अगर आपके कुत्ते ने पड़ोसी को काट लिया है, तो ये सेट फार्मूला है कि आपके संबंध बर्बाद हो गए हैं. खासकर तब, जब आपका पड़ोसी विपक्षी दल का एक बड़ा नेता हो. हालांकि शर्मिष्ठा बताती हैं कि अपने स्वभाव के अनुरूप, वाजपेयी खूब हंसे और उन्होंने मुखर्जी की पत्नी गीता को कहा कि चिंता न करें. वे हैरान-परेशान पहुंची तो थीं, वाजपेयी की तीमारदारी के लिए. लेकिन लौटीं तो साथ में वाजपेयी के बगीचे की ताजा सब्जियां थीं.
प्रणब को इस घटना की जानकारी नहीं थी, क्योंकि वे दिल्ली से बाहर थे. मुखर्जी जब वापस आए तो हवाई अड्डे से सीधे संसद गए. जैसे ही उन्होंने हाथ पर पट्टी बांधे हुए वाजपेयी को देखा. तुरंत कारण पूछा. वाजपेयी जो अपने विट के लिए विख्यात थे, जैसे इसी मौके के इन्तजार में बैठे थे. तपाक से अपनी सधी हुई हिन्दी में बोले,
'ये आपके कुत्ते की मेहरबानी है!'
अगले दिन, यह घटना अखबारों में छपी. शर्मिष्ठा एक किस्सा और बताती हैं कि तीन दशक बाद, इस घटना को फिल्म ‘83’ में दिखाया गया था, जो साल 2021 में रिलीज़ हुई थी. फिल्म एक सीन के साथ शुरू होती है जिसमें एक व्यक्ति अखबार पढ़ते हुए दिखाई देता हैं, और तभी दूसरा व्यक्ति अन्दर आता है. पहला आदमी बताता है कि प्रणब के कुत्ते ने वाजपेयी को काट लिया है. दूसरा आदमी कुछ चौंकते हुए कहता है, 'प्रणब मुखर्जी? हमारे प्रणब दा?',
शर्मिष्ठा ने चुटकी लेते हुए लिखा है कि इससे साबित होता है कि अपराध छुपाए नहीं जा सकते, और डाकू की गलती अब आने वाली पीढ़ियों के लिए दर्ज हो गयी है.
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रात में बाथरूम बंद कर क्यों रोये मुखर्जी?
अपने पिता के बारे में शर्मिष्ठा बताती हैं कि वे अपने इमोशंस को ज़्यादा ज़ाहिर नहीं करते थे. लेकिन यहीं पर प्रणब दा की डायरी एंट्री है. जिससे हमें एक राजनेता के भीतर छिपे इंसान के भावुक पक्ष के बारे में मालूम पड़ता है. 7 अगस्त 1974 को प्रणब के एक कुत्ते की मौत हो गयी थी. जिम्बो नाम था उसका. पूरे दिन प्रणब उदास रहे. लेकिन रात होते ही वो चुपचाप बाथरुम में गए, और दिल खोलकर खूब रोये.
इस किताब के और भी किस्से हम आपके सामने लेकर आते रहेंगे. इन किस्सों को पढ़कर आपको कैसा लगा, हमें कॉमेंट बॉक्स में बताइएगा.
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