यूपीएससी टॉपर ने अपनी सफलता का श्रेय अपनी गर्लफ्रेंड को भी दिया है
शाबाश और शुक्रिया कनिष्क. तुमने टॉप करते ही बता दिया कि क्यों तुम वाकई डिज़र्विंग बंदे हो.
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तुम वाकई इस सफलता को डिज़र्व करते हो.
रिस्क इसलिए क्यूंकि तब ज़्यादातर लोग उसके विरोध में खड़े होंगे. ऐसा ही महिला हितों के लिए बात करने वालों के केस में था, ऐसा ही एलजीबीटीक्यू समुदाय के लिए संघर्ष कर रहे पहले कुछ लोगों के लिए था. ऐसा ही अश्वेतों से लेकर दलितों तक के केस में था, है और होगा.
इसी 'पहले कुछ' वाली कैटेगरी में एक नाम जुड़ गया है - कनिष्क कटारिया का. 2019 के यूपीएससी टॉपर.
जो भी इस स्टोरी को पढ़ रहे हैं उन्हें में ज़्यादातर लोगों को कनिष्क और उनसे संबंधित ज़्यादातर बातें पता चल ही गई होंगी. इसलिए हम वहां नहीं जाएंगे. हम बात करेंगे उस 'बात' की जो कनिष्क ने इस सबसे मुश्किल एग्जाम को टॉप करने के बाद सबसे पहले कही है.
उन्होंने क्या कहा है -
ये बड़े सुखद आश्चर्य वाला क्षण है. मैंने कभी उम्मीद नहीं की थी की मुझे (यूपीएससी के एग्जाम में) पहली रेंक हासिल होगी. मैं अपने माता-पिता, बहन और अपनी गर्लफ्रेंड का शुक्रिया अदा करता हूं कि उन्होंने मेरी मदद की और मेरा मनोबल बढ़ाया.
हर व्यक्ति जब साधारण से असाधारण बनता है, तो उसके कुछ सबसे पहले किए जाने वाले कार्यों में अपनों का शुक्रिया अदा करना भी शामिल रहता है. यूं कनिष्क का कथन भी एक बहुत नॉर्मल सा और कई बार सुना लगता है. अंटिल, आपका ध्यान उनके एक शब्द पर नहीं चला जाता. उस एक शब्द की खातिर इस कमेंट को संजो कर रख लिया जाना चाहिए.Kanishak Kataria, AIR 1 in #UPSC
— ANI (@ANI) 5 अप्रैल 2019
final exam: It's a very surprising moment. I never expected to get the 1st rank. I thank my parents, sister & my girlfriend for the help & moral support. People will expect me to be a good administrator & that's exactly my intention. #Rajasthan
pic.twitter.com/IBwhW8TJUs
और वो शब्द है - गर्लफ्रेंड.
ये शब्द क्यों इतना बेहतरीन है?
इसलिए क्यूंकि कुछ लोग ताउम्र एक झंडे को उठाकर उसका शो ऑफ़ करते रहत हैं.उस शो ऑफ का भी उद्देश्य झंडे को नहीं, जिसने झंडे को उठाया है, यानी खुद को लाइमलाइट में लाना होता है. ये झंडा फेमिनिज़्म से लेकर कास्ट, रेस किसी भी रंग से रंगा हो सकता है.
लेकिन फिर दूसरी तरफ कुछ लोग होता हैं जो सटल तरीके से, सहज तरीके से अपना स्टैंड रख देते हैं. इनफैक्ट रखते भी नहीं उनका स्टैंड ज़ाहिर हो जाता है, उनके व्यवहार से, उनके 'भाषणों' के अलावा कही गयी अन्य बातों से, जो स्क्रिप्टेड नहीं होतीं.
तो कनिष्क दूसरी कैटेगरी में आते हैं एक बड़े सहज तरीके से कहे गए एक शब्द से - गर्लफ्रेंड.
हम भी 'पितृसत्तात्मक समाज' वगैरह की ज़्यादा बात नहीं करना चाहते. क्यूंकि हम चाहते हैं कि अपनी सफलता के लिए महिलाओं को श्रेय देना, उस महिला को श्रेय देना जो अपनी मां या बहन नहीं है, एक्सेप्शन नहीं एक नया नॉर्म होना चाहिए. है बेशक नहीं, लेकिन होना चाहिए. और यही बात इस एक शब्द को और परिणाम स्वरूप पूरे कथन को और परिणाम स्वरूप कनिष्क को बहुत प्यारा बना देती है.
वैसे अच्छे लोगों के पीछे अच्छे संस्कार, और एक माहौल भी काम आता है. और उस घर का माहौल कैसा होगा कि जिस घर के हालिया यूपीएससी टॉपर के पिता और ताऊ पहले से ही IAS टॉपर हों?
पहले कुछ में शामिल होने के शुक्रिया और बधाई कनिष्क. तुम वाकई ऐसी सफलताएं डिज़र्व करते हो!
वीडियो देखें:
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