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जेफ़ बेज़ॉस, एलन मस्क जैसों को 'सबसे अमीर' बताने वाली लिस्ट का खेल क्या है?

ऐमज़ॉन वाले जेफ़ बेज़ॉस सबसे अमीर लोगों की लिस्ट में एलन मस्क से आगे निकल गए हैं. ये नौ महीने बाद हुआ है. लेकिन कभी-कभी ऐसा भी होता है कि हर दूसरे दिन अमीर आदमी कोई और. ऐसा कैसे होता है?

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2021 के बाद जेफ़ बेज़ॉस अब जा कर दुनिया के सबसे अमीर आदमी हुए हैं. (फ़ोटो - सोशल)
5 मार्च 2024 (Updated: 5 मार्च 2024, 16:32 IST)
Updated: 5 मार्च 2024 16:32 IST
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अरबपति बिज़नेसमैन, X के मालिक और टेस्ला मोटर्स के CEO एलन मस्क (Elon Musk) अब दुनिया के सबसे अमीर शख़्स नहीं हैं. ऐमज़ॉन वाले जेफ़ बेज़ॉस (Jeff Bezos) उनसे आगे निकल गए हैं. ऐसा 9 महीनों में पहली बार हुआ है. लेकिन ऐसी ख़बर आती कैसे है कि अब मस्क नहीं, बेज़ॉस.. बेज़ॉस नहीं, बिल गेट्स.. गेट्स नहीं फ़लाने बन गए दुनिया के सबसे अमीर आदमी? घड़ी-घड़ी दुनिया के सबसे अमीरों की लिस्ट में ऊपर-नीचे होता कैसे है?

होता ये है कि दुनिया की नामी डेटा कंपनी ब्लूमबर्ग दुनिया के सबसे अमीर अरबपतियों की लिस्ट (Bloomberg Billionaires Index) जारी करती है. इसके मुताबिक़, फ़िलहाल मस्क की नेट वर्थ या संपत्ति 16.39 लाख करोड़ रुपये (197.7 बिलियन डॉलर) है. वहीं, जेफ़ बेज़ॉस की नेट वर्थ 16.58 लाख करोड़ रुपये (200.3 बिलियन डॉलर) तक पहुंच गई है.

मस्क पीछे छूटे कैसे? सोमवार, 4 मार्च, 2024 को टेस्ला के शेयर 7.2% लड़खड़ाए थे. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक़, मस्क के पीछे जाने की बड़ी वजह यही गिरावट है.

‘सबसे अमीर’ तय कैसे होता है?

अब 5 मार्च की दोपहर दो बजे दुनिया के अमीरों की लिस्ट ये है.

5 मार्च, दोपहर 2 बजे के हिसाब से अमीरों की सूची. (फ़ोटो - ब्लूमबर्ग)

केवल दिन नहीं, समय भी बताया क्योंकि जिस 'चीज़' से संपत्ति की गणना होती है, वो 'चीज़' साल या महीने के हिसाब से नहीं, मिनट और सेकंड के हिसाब से बदलती रहती है. इसलिए हर दूसरे दिन अमीरों की लिस्ट बदल जाती है. बहुत संभावना है कि जब आप ये स्टोरी पढ़ रहे हों, तो बताए गए सभी आंकड़े बदल गए हों.

क्या है वो चीज़? फ़र्ज़ कीजिए कि सुंदर प्रसाद का साड़ियों का इंपोर्ट-एक्सपोर्ट का बिज़नेस है. कभी वो एक दिन में ही करोड़ों कमा लेते हैं, कभी महीनों तक कोई आय नहीं होती. किसी दिन उल्टा नुक़सान भी हो जाता है. तो कैसे पता करें कि सुंदर प्रसाद की नेट-वर्थ कितनी है? सीधा उत्तर ये हो सकता है - उनके साल भर के प्रॉफ़िट-लॉस से हिसाब लगाकर. 

लेकिन इसमें एक दिक़्क़त है. उनकी दुकान, उनकी गाड़ियां, उनकी गुडविल, उनकी सप्लाई चेन, उनके कर्मचारी... इन सब चीज़ों का हिसाब-किताब कैसे लगाया जाए? एक तरीक़ा ये है कि किसी बड़े CA को हायर करके ये सब हिसाब लगा लें. चलिए, उनका तो फिर भी मुमकिन है, मगर एलन मस्क या बिल गेट्स की संपत्ति में तो हर मिनट, हर सेकंड बढ़-घट रही है. उनका हिसाब कैसे लगेगा?

दरअसल, जो भी रेटिंग एजेंसी या संस्थाएं, नेट वर्थ और रैंकिंग तय करती हैं, वो इस तरह से नहीं करतीं. उनका पैमाना है आपकी कंपनी या कंपनियों की मार्केट वैल्यू.

कंपनियों की मार्केट में क्या वैल्यू है, अब ये कैसे पता चलेगा? बड़ा आसान है. सुंदर प्रसाद के ही उदाहरण को आगे बढ़ाते हैं. पहले सुंदर प्रसाद की कंपनी का कोई नाम रख लिया जाए. जैसे, 'सुंदर साड़ीज़'. तो सुंदर अपने बिज़नेस का एक हिस्सा बेच देते हैं माता प्रसाद को, और इसके एवज़ में लेते हैं 10 करोड़ रुपये. लेकिन ये 10 करोड़ रुपये वो ख़ुद नहीं रखते. कंपनी में इन्वेस्ट कर देते हैं. क्योंकि ये उनकी नहीं, कंपनी की कमाई है.

तो सोचिए इस प्रक्रिया में सुंदर प्रसाद को क्या मिला? उल्टा, जिस कंपनी में उनकी पूरी हिस्सेदारी थी, वो घटकर 90% हो गई. यहीं पर तो कहानी में ट्विस्ट है. जैसे ही माता प्रसाद ने, 'सुंदर साड़ीज़' के 10% शेयर्स 10 करोड़ रुपये में ख़रीदे, तुरंत कंपनी की क़ीमत हो गई 100 करोड़ रुपये. यही होता है किसी कंपनी का 'वैल्यूएशन'. मार्केट में कौन कितनी क़ीमत देने को तैयार है? इस हिसाब से अब सुंदर प्रसाद की संपत्ति कितनी हो गई? ‘सुंदर साड़ीज़’ के 90% शेयर के बराबर. यानी 90 करोड़ रुपये. ये हुई सुंदर की नेट वर्थ.

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अब मान लीजिए कुछ महीनों बाद अगर माता प्रसाद अपने 10% शेयर्स सीताराम को 9 करोड़ में बेच दें तो? तो बेशक सुंदर प्रसाद का इस लेन-देन में कोई हाथ नहीं था, लेकिन इसका असर उनपर पड़ेगा, क्योंकि उनकी कंपनी का वैल्यूएशन हो गया 90 करोड़ रुपये और सुंदर प्रसाद की संपत्ति घटकर हो गई 81 करोड़ रुपये. ऐसे ही अगर माता प्रसाद ने सीताराम के साथ सौदा 20 करोड़ रुपये में हो जाता, तो 'सुंदर साड़ीज़' की वैल्यूएशन हो जाएगी 200 करोड़ रुपये. और, सुंदर प्रसाद की संपत्ति हो जाएगी 180 करोड़ रुपये.

माने ऐसा नहीं है कि कंपनी का मालिक कुछ किए बिना ही अमीर या ग़रीब होता चला जाए. माता प्रसाद हों या सीताराम, सभी इंवेस्टर्स दरअसल कंपनी और उसके मालिक की परफ़ॉर्मेंस के आधार पर ही अपने हिस्से का मूल्य लगा रहे हैं और उसी हिसाब से कंपनी के मालिक की नेटवर्थ घट-बढ़ रही है.

मगर इसमें दो दिक़्क़तें हैं. पहली कि जोड़-घटाव में समय लग रहा है और नेटवर्थ तो सेकंडों के हिसाब से बदलती है. दूसरी कि इस तरह के कैल्क्यूलेशन में एक और दिक़्क़त है. वही दिक्कत जो एग्ज़िट पोल में होती है. यहां पर भी कंपनी और उसके मालिक की कितनी क़ीमत है, ये जानने या बताने लिए हमारे पास गिनती के लोग हैं. और हो सकता है कि जिनको सुंदर प्रसाद ने हिस्सेदारी बेची हो, वो उसके जानने वाले या रिश्तेदार हों. उनको जो हिस्सेदारी बेची गई, वो बहुत कम या बहुत ज़्यादा क़ीमत पर बेच दी गई हो.

शेयर मार्केट का खेल

इसीलिए इसमें शेयर मार्केट का पल-पल में चढ़ते-उतरते गेम को शामिल करना पड़ता है. शुरू से शुरू करते हैं. फिर से फ़र्ज़ कीजिए. सुंदर प्रसाद अपने शेयर माता प्रसाद को बेचने के बजाय बाज़ार नियामक संस्था SEBI का दरवाज़ा खटखटाते हैं.

सुंदर, सेबी से कहते हैं कि उन्हें अपनी कंपनी के लिए फ़ंड चाहिए और इसके लिए वो 10% हिस्सेदारी आम लोगों में बेचना चाहते हैं. सेबी सारी चीज़ें वेरिफ़ाई करती है और सुंदर से कह देती है कि इसका इनिशियल पब्लिक ऑफ़र (IPO) निकाल सकते हैं. मतलब सुंदर को अपने शेयर, मार्केट में लाने के लिए हरी झंडी मिल गई.

तो यूं सुंदर प्रसाद अपनी कंपनी के 10% शेयर IPO के ज़रिए बाज़ार में बेचकर 10 करोड़ कमा लेते हैं. जैसा माता प्रसाद को हिस्सेदारी बेचने पर हुआ था. वैसे ही 'सुंदर साड़ीज़' का वैल्यूएशन हो जाता है 100 करोड़ रुपये और सुंदर प्रसाद की नेट वर्थ हो जाती है 90 करोड़ रुपये. लेकिन अब 'सुंदर साड़ीज़' की वैल्यूएशन, वैल्यूएशन नहीं कही जाएगी. अब इसे कहेंगे, मार्केट कैपिटलाइज़ेशन. शॉर्ट में, मार्केट कैप.

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अच्छा, एक ज़रूरी बात. जब सुंदर प्रसाद अपनी कंपनी की 10% हिस्सेदारी शेयर मार्केट में बेचते हैं तो वो किसी 1-2 या 10-20 लोगों को नहीं बेचते. वो 10% शेयर के करोड़ों टुकड़े करते हैं और फिर जिसकी जितनी मर्ज़ी, ख़रीदे-बेचे.

मसलन, उन्होंने अपनी कंपनी की 10% हिस्सेदारी बेचने के लिए मार्केट में उतारे 1 करोड़ शेयर्स. रुपये नहीं, शेयर्स. हर शेयर का मूल्य रखा 10 रुपये. ऐसे हर शेयर से 10 रुपये की कमाई हुई और 1 करोड़ शेयर्स से 10 करोड़ रुपये. इससे अब ये भी स्थापित हो गया कि सुंदर प्रसाद के पास कंपनी के कुल 9 करोड़ शेयर्स और हैं. हर शेयर की क़ीमत 10 रूपये और सुंदर प्रसाद की संपत्ति 90 करोड़.

यूं किसी कंपनी का मार्केट कैप कितना हुआ?

कंपनी का मार्केट कैप = उसके कुल शेयर x एक शेयर का मूल्य

और सुंदर की नेटवर्थ?

नेटवर्थ = बंदे के पास उपलब्ध शेयर x एक शेयर का मूल्य

देखिए, अब चूंकि सुंदर प्रसाद के करोड़ों शेयर्स, शेयर मार्केट में हैं तो अब शेयर मार्केट ही उसकी कंपनी का मार्केट कैप तय करेगा. और, मार्केट ही तय करेगा सुंदर प्रसाद की कुल संपत्ति या नेट वर्थ भी.

आपको तो पता ही होगा कि शेयर मार्केट में सेकंडों के हिसाब से शेयर्स के मूल्य बदलते हैं. सोचिए अगर 1 घंटे पहले जिस शेयर का मूल्य 10 रुपये था अब वो बढ़कर 11 रुपये हो जाए तो? तो सिर्फ़ एक घंटे में सुंदर प्रसाद की नेट वर्थ 90 करोड़ से बढ़कर 99 करोड़ हो जाएगी. एक घंटे के अंदर सीधे 9 करोड़ का फ़ायदा. इसलिए अमीरों की लिस्ट दिन-दिन बदलती रहती है. जो एलन मस्क कल तक टॉप 30 में भी नहीं थे, बीते 9 महीनों से एक नंबर पर थे, अब दूसरे नंबर पर हैं.

अमीरों की नेटवर्थ पर की आख़िरी बात. ये जो शेयरों की संख्या और हर शेयर की क़ीमत के आधार पर कह दिया जाता है कि बंदा इतना अमीर है, वो इसलिए क्योंकि अभी उस बंदे के पास जितने शेयर्स हैं, अगर वो पूरे मार्केट में बेच डाले तो उसके पास उतना कैश आ जाएगा. सिंपल.

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