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क्रिस्टोफ़र नोलान: फिल्में उनका हथियार हैं, कहानियां उनकी भाषा है

कहानी कहने का तरीका ऐसा कि रोंगटे खड़े हो जाएं, जोकर को प्यार दिलवाने वाले का आज बड्डे है.

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हैप्पी वाला बड्डे क्रिस्टोफर
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केतन बुकरैत
30 जुलाई 2019 (Updated: 29 जुलाई 2019, 03:16 AM IST)
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लंडन में ब्रेंडन और अमरीकी मूल की क्रिस्टीना को बेटा हुआ. ब्रेंडन एडवर्टाइज़िंग में थे और क्रिस्टीना फ्लाईट अटेंडेंट और इंग्लिश टीचर थीं. उनके बेटे ने एक रोज़ स्टार वॉर्स फिल्म देखी. पागल हो गया. उसे खज़ाना हाथ लग गया. वो अब फिल्मों के बारे में ही सोचता था. उन्हीं के बारे में जानना चाहता था. उसे दिलचस्पी थी इस बात में कि आखिर स्क्रीन पर जो दिखता है वो बनता कैसे है? कौन सी जादू की छड़ी घुमानी होती है अपने दिमाग में आए ख्यालों को स्क्रीन पर दिखाने के लिए. ज़ाहिर है, सबके बस की ये बात भी नहीं थी. लेकिन उसने शायद ऐसा कभी नहीं सोचा. अपने पापा का सुपर 8 कैमरा उठाया और घर पर ही खुद के बनाए पुतलों से फिल्में बनाने लगा. आठ साल की उमर में स्पेस वॉर्स का स्टॉप-मोशन ऐनिमेशन बनाया. नाम दिया स्पेस वॉर्स. उसके चाचा नासा में काम करते थे. एक स्पेस शटल के लांच होने की फुटेज उसे उनसे मिल गयी. उसने टीवी पर वो फुटेज चलायी, उसे कैमरे से शूट किया और उस ऐनिमेशन वीडियो में उसे भी झोंक दिया. किसी को मालूम नहीं चलेगा, उसने सोचा था.
बड़ा हुआ. जब फिल्मों की समझ मेच्योर होने लगी, शिकागो आ गया. घर में एक दफ़ा चोरी हो गयी. उसका सारा सामान गायब हो गया. उसके दिमाग में एक सवाल था. "जब चोर मेरा सामान देख रहा होगा, वो क्या सोच रहा होगा?" ये सवाल उसके दिमाग में यूं चक्कर काट रहा था जैसे स्पेस में एक शिप किसी प्लैनेट के चारों ओर चक्कर काट रहा होता है. वो स्पेस जिससे उसे मुहब्बत हो जाएगी. जिसके ऊपर वो ऐसी फिल्में बनाने वाला था कि दुनिया सच और मिथ्या के बीच फ़र्क करने में भूल करने लगेगी. सिनेमा के लिए इससे सेहतमंद चीज शायद ही कुछ और हो सकती है. और उस घर में हुई चोरी सिनेमा के लिए इस दुनिया में हुई सबसे अच्छी अप्रिय घटना साबित होने ही वाली थी. अपने मन में उठे उस सवाल के ऊपर 1998 में उसने एक फिल्म बनाई. फॉलोविंग.
पैसों की अथाह कमी के बीच बनी फ़िल्म. पूरा ख़र्च मात्र तीन हज़ार पाउंड. साथ में मां के हाथ के बने सैंडविच. पूरी फिल्म मात्र एक हैण्डहेल्ड कैमरे पर शूट की गयी. ऐक्टर्स को बार-बार ठीक वैसे ही रिहर्सल करने को कहा गया जैसे स्क्रिप्ट में सीन थे. क्यूंकि फ़िल्म स्टॉक बहुत ही कम था इसलिए ये ज़रूरी था कि कम से कम री-टेक लिए जाएं. ऐसे में रिहर्सल कतई ज़रूरी थे. साथ ही सभी ऐक्टर्स नौकरी करते थे. वो सिर्फ सैटरडे को ही शूट पे आ सकते थे. इसलिए फिल्म को बनने में साल भर लग गए. फ़िल्म आई और लोगों को उसमें हिचकॉक की झलक दिखी. जब बनाने वाले का नाम मालूम किया तो पता चला - 'क्रिस्टोफर नोलान.' चाय पीने का शौकीन क्रिस्टोफ़र नोलान. जिसे चाय इस कदर पसंद है कि अपने साथ हर जगह एक चाय से भरा फ्लास्क लिए जाता है. माइकल केन को हमेशा शक होता था कि उस फ्लास्क में चाय के साथ शराब मिली होती थी. क्रिस्टोफ़र नोलान. एक शांत, ऑर्गनाइज़्ड और बेहद सीक्रेटिव शख्स. उन्हें अपनी स्क्रिप्ट से लेकर सेट तक सीक्रेट रखने की आदत है. जब नोलान अपनी फ़िल्म में काम करने के लिए किसी ऐक्टर के पास जाते हैं वो उसे स्क्रिप्ट पढवाते हैं. उस वक़्त जब कोई ऐक्टर पहली बार स्क्रिप्ट पढ़ रहा होता है, वो ठीक बगल वाले कमरे में मौजूद रहते हैं. उन्हें स्क्रिप्ट के किसी और के हाथों में पहुंच जाने का डर लगा रहता है. फ़िल्म के सेट पर हर ऐक्टर को स्क्रिप्ट दी जाती है. उनके सेट पर हर ऐक्टर की स्क्रिप्ट पर उसका नाम भी साथ में ही लिखा होता है. जिससे अगर किसी और के पास वो पहुंचे तो मालूम हो कि किसकी करामात है. इंटरस्टेलर के सेट की एक फ़ोटो फिल्म के वीडियो इफ़ेक्ट्स के इंचार्ज ने ट्विटर पर डाल दी. नोलान बहुत नाराज़ हुए. फ़ोटो डिलीट की गयी. और यही सीक्रेट बनाए रखने की फ़ितरत देखने को मिलती है नोलान की फिल्मों में. फ़िल्म प्रेस्टीज. जहां फिल्म के हर कैरेक्टर का अपना एक सीक्रेट था. हर कैरेक्टर के दो चेहरे. और अंत ऐसा कि सर पकड़ लें. मानो नोलान हर सेकंड ये पूछना चाहते हों, "Are you watching closely?" एक बीवी थी, जिसे कभी अपना पति सच्चा लगता था तो कभी झूठा. इसके पीछे की कहानी अगर कोई गढ़ सकता था तो वो सिर्फ़ नोलान. उसके पति का एक हमशक्ल था. एक जुड़वां भाई. वो भाई जो एक दूसरे की जिन्दगी जीते थे. बारी बारी से. और उधर उनका दोस्त से दुश्मन तक का सफ़र तय कर चुका जादूगर. जिसे हर दिन अपने दूसरे अवतार को गोली मारनी पड़ती थी इस डर के साथ कि कब उसका अवतार ही उसे गोली मार दे. इंसानी डर और शैतानी दिमाग के मिक्स को नोलान की फिल्मों में पाया जा सकता है. The prestige साइंस! नोलान का हथियार. "तुमने जितने सपने देखे हैं, क्या तुम्हें उनकी शुरुआत याद है?" इंसेप्शन का ये एक वाक्य अब तक अटका हुआ है. हम सभी सपने देखते हैं. जागते-सोते. हमें उनकी शुरुआत नहीं ही याद रहती. बस! एक सिंपल सी चीज़ जिसे नोलान की फिल्म की नींव में डाल दिया गया. तैयार हुई इंसेप्शन. एक सपने के अन्दर सपना. सपनों की लेयर्स. उनके मैप्स. उन सपनों में अपना जीवन तलाशता मिस्टर कॉब. जिसे ये तक नहीं मालूम था कि वो जो जी रहा है, जीवन है या सपना. साथ ही एक सीख - दर्द हमारे शरीर में नहीं, दिमाग में होता है. inception नोलान साइंस और स्पेस से इतना मुहब्बत करते हैं कि उन्होंने उसकी एक अलग ही दुनिया बना रखी है. अपने मन में. वो मन जहां वो अपनी आधी से ज़्यादा फिल्म पहले ही बना कर तैयार कर चुके होते हैं. उन्हें बाद में बस ऐक्टर्स से काम निकलवाना होता है. वो कहानी को लिखने से ज़्यादा उसके चित्र एक काग़ज़ पर बनाने में यकीन करते हैं. कहानी तो उनके दिमाग में होती है जिसे वो शूटिंग से बीस दिन पहले अपने पापा के पुराने टाइपराइटर पर टाइप करते हैं. उनके उसी मन में अंतरिक्ष की एक अलग ही दुनिया रची-बसी है. जिसे वो इस कदर सहेज कर रखना Interstellarचाहते हैं कि वो कभी भी टूटे न. फिल्म ग्रेविटी. भले ही अंतरिक्ष के बारे में हो, लेकिन नोलान ने उसे नहीं देखा. इसलिए नहीं कि उन्हें वो पसंद नहीं. बल्कि इसलिए क्यूंकि वो ये नहीं चाहते कि स्पेस के बारे में उनके जो कॉन्सेप्ट्स हैं वो कहीं उस फिल्म से प्रभावित होकर बदल न जाएं. अगर ऐसा हुआ तो उनकी आगे की कहानियां उनकी नहीं रह जाएंगी. ऐसा नोलान नहीं होने दे सकते. और उन्हीं कहानियों में से एक इंटरस्टेलर. वो कहानी जिसमें चांद पर आर्मस्ट्रांग के पहुंचने को झूठ दिखाया गया. एक इंसान की स्पेस जर्नी पर बनी फ़िल्म जो इंसानी ताकत को उसे ब्लैक होल में घुसते हुए तो दिखाती है लेकिन साथ ही ये भी साबित कर देती है कि इंसान कितना असहाय और कितना कमज़ोर है. एक बाप अरबों किलोमीटर दूर किसी दूसरे ही ग्रह पर बैठा अपनी बेटी को स्क्रीन पर देख रहा है. उसकी बेटी अब उसकी ही उम्र की हो गयी है. वो अपने बाप का इंतज़ार करते-करते उसे रोज़ मेसेज भेजती है. अब सोचती है कि वो मर चुका है. और उसका बाप इंसानी खोजों के शिखर पर बैठा एक मेसेज भेजने जैसा आसान काम भी नहीं कर पा रहा है. कहना जोकर का कि "This is what happens when an unstoppable force meets and immovable object.", मुझे ये लाइनें नोलान के लिए ही लिखी लगती हैं. इंसानी ज्ञान जो हद दर्ज़े तक सीमित है, वो immovable object है जिसके सामने नोलान एक unstoppable force बनकर खड़े हुए हैं. उनकी फ़िल्में उनका हथियार हैं. कहानियां उनकी भाषा है. उनके बनाए कैरेक्टर उनकी छोड़ी गई यादें हैं. उनकी फिल्में एक सपना हैं. उन सपनों में खुद को हर बार खोज पाना, मेरा सपना है. और यही मेरा 'इंसेप्शन'. Joker

जन्मदिन मुबारक नोलान!


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