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लक्षद्वीप कैसे जाएं, कहां घूमें, चुनौतियां क्या हैं, सारा तिया-पांचा जान लीजिए

लक्षद्वीप का इतिहास, भूगोल क्या है, यहां घूमने लायक कौन सी जगहें हैं, लक्षद्वीप तक का रास्ता कैसे तय होगा और लक्षद्वीप को टूरिज्म डेस्टिनेशन बनाने में क्या-क्या चुनौतियां हैं. विस्तार से इन सभी सवालों के जवाब जानिए.

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लक्षद्वीप टूरिज्म (फोटो सोर्स- आजतक)
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शिवेंद्र गौरव
10 जनवरी 2024 (Published: 07:51 PM IST) कॉमेंट्स
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भारत का सबसे छोटा केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप (Lakshadweep) आजकल चर्चा में है. प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi) के दौरे के बाद, मालदीव की सरकार (Maldives Government) के कुछ मंत्रियों ने कई अपमानजनक टिप्पणियां कीं. जिसके बाद दोनों देशों के बीच विवाद शुरू हो गया. मालदीव की आलोचना के साथ ही भारत में लोगों ने लक्षद्वीप घूमने जाने की चर्चा भी शुरू कर दी. कहा जा रहा है कि लक्षद्वीप, मालदीव से बेहतर टूरिज्म स्पॉट है. सोशल मीडिया पर लोगों ने अपना मालदीव घूमने जाने का प्लान कैंसल करने के दावे भी किए. लक्षद्वीप का इतिहास, भूगोल क्या है, यहां घूमने लायक कौन सी जगहें हैं, लक्षद्वीप तक का रास्ता कैसे तय होगा और लक्षद्वीप को टूरिस्ट डेस्टिनेशन बनाने में क्या-क्या चुनौतियां हैं, विस्तार से इन सभी सवालों के जवाब जानेंगे.

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लक्षद्वीप: इतिहास और भूगोल

लक्षद्वीप में इंसानी रिहाइश के साक्ष्य तीन हजार साल से भी पुराने हैं. बौद्ध धर्म की जातक कथाओं में इन द्वीपों का लेखा-जोखा मिलता है. माना जाता है कि बौद्धभिक्षु संघमित्र यहां गए थे. तब चेरा साम्राज्य इन द्वीपों पर शासन करता था. थोड़ा आगे चलें तो, 661 ईस्वी के आसपास मदीना से शेख उबैदुल्लाह ने लक्षद्वीप का सफ़र किया. यहां उन्होंने इस्लाम का प्रचार किया. एंड्रोट द्वीप में उनकी कब्र भी बनी है. 11वीं सदी में केरल के साथ-साथ ये द्वीप भी चोलों के अधीन आ गए. इसके बाद पुर्तगाली यहां पहुंचे, फिर टीपू सुल्तान और आखिर में भारत की आजादी तक लक्षद्वीप ब्रिटिश नियंत्रण में रहा. आजादी के बाद, वल्लभ भाई पटेल के प्रयासों से लक्षद्वीप भारत का हिस्सा बना. और साल 1956 में राज्यों के पुनर्गठन के वक्त लक्षद्वीप भारत का केंद्र शासित प्रदेश बना. साल 1973 के बाद इसका नाम लक्षद्वीप हुआ. इसके पहले इसे लक्काद्वीप, मिनिकॉय, अमीनदीवी जैसे नामों से जाना जाता था. ये तो है इतिहास की बात.

अब जरा भूगोल समझिए, सरकारी जानकारी के मुताबिक, भारत के दक्षिणी तट से करीब 200 से 400 किलोमीटर की दूरी तक फैले कई द्वीपों का सम्मिलित 32 वर्ग किलोमीटर का इलाका लक्षद्वीप कहलाता है. इसमें समंदर के पानी से घिरे छोटे-बड़े कुल 36 द्वीप हैं. राजधानी है कवरत्ती. लक्षद्वीप की कुल आबादी 64 हजार है, इनमें से ज्यादातर मुस्लिम हैं. करीब 96 फीसद. ये स्थानीय लोग या तो मलयालम बोलते हैं, या फिर स्थानीय भाषा माहे. आबादी सिर्फ 10 द्वीपों पर रहती है. ये द्वीप हैं- कवरत्ती, अगत्ती, अमिनी, कदमत, किलातन, चेतलाट, बिट्रा, आनदोह, कल्पनी और मिनिकॉय. बंगारम द्वीप पर कुल 60 लोग ही रहते हैं. बाकी ज्यादातर द्वीप निर्जन हैं. लक्षद्वीप के स्थानीय लोगों की आजीविका का मुख्य साधन मछली पकड़ना और नारियल की खेती करना है.

राजनीतिक परिदृश्य देखें तो, यहां सिर्फ एक लोकसभा सीट है. जो साल 1967 से 1999 तक कांग्रेस के कब्जे में रही. साल 2004 में जनता दल की जीत हुई. इसके बाद साल 2009 में कांग्रेस ने वापसी की. उसके बाद हुए दो लोकसभा चुनावों में NCP के मोहम्मद फैजल सांसद बने. हालांकि यहां का प्रशासन, एक प्रशासक के जरिए केंद्र सरकार के नियंत्रण में रहता है. फिलवक्त BJP नेता प्रफुल खोड़ा पटेल यहां के सांसद हैं.

लक्षद्वीप का टूरिज्म

सबसे पहला सवाल है कि यहां जाएं कैसे? लक्षद्वीप के ज़्यादातर स्थानीय लोग आदिवासी हैं. इन लोगों की समुद्री संस्कृति की सुरक्षा के लिए लक्षद्वीप में साल 1967 का प्रवेश एवं प्रवास प्रतिबंध नियम लागू है. हालांकि टूरिस्ट यहां जा सकते हैं, लेकिन उसके लिए नियमों के तहत इनर लाइन परमिट लेना पड़ता है. हालांकि सरकारी ऑफिसरों, यहां के कामगारों और आर्म्ड फोर्सेज के लोगों और उनके परिवारों को इससे छूट मिलती है.

परमिट कैसे मिलता है?

इसकी एक तय प्रक्रिया है, संक्षेप में जानते हैं. आजतक की एक खबर के मुताबिक,

- epermit.utl.gov.in एक सरकारी पोर्टल है. यहां से फॉर्म डाउनलोड करना होता है, इस फॉर्म की बेसिक फीस 50 रुपए है. 12 से 18 साल की आयु के बच्चों के लिए 100 रुपये और 18 साल से ज्‍यादा उम्र के व्यक्तियों के लिए 200 रुपये का एक्‍स्‍ट्रा चार्ज है. 
- अपने जिले के कप्तान से वेरिफिकेशन सर्टिफिकेट बनवाना होता है. 
- पहचान पत्र की फोटो और कुछ पासपोर्ट साइज़ फोटो अपने साथ रखें.
- फॉर्म और डॉक्यूमेंट लेकर जब आप लक्षद्वीप पहुंचेंगे तो सारे दस्तावेज प्रशासक के ऑफिस में जमा करने पड़ते हैं. जिनकी जांच के बाद ही लक्षद्वीप घूमने की अनुमति मिलती है.
- भारतीय लोग, लगभग सभी द्वीपों पर जा सकते हैं. लेकिन विदेशी सैलानी सिर्फ अगत्ती, कदमत और बंगारम द्वीप जा पाते हैं.

यात्रा कैसे करें?

केरल के कोच्चि तट के पास लक्षद्वीप है. यानी कोच्चि सबसे नजदीकी जगह है. जहां तक आसानी से सीधे फ्लाइट मिल जाती है. कोच्चि के बाद लक्षद्वीप तक फ्लाइट भी हैं और पानी के जहाज भी. फ्लाइट ज्यादा वक़्त नहीं लेती. किराया 7 हजार रुपए के आसपास से शुरू होकर 20 या 25 हजार रुपए तक भी पहुंच सकता है. वहीं MV करावत्ती और MV मिनिकॉय जैसे जहाज़ों के जरिए कोच्चि से लक्षद्वीप पहुंचने में करीब 15 घंटे का वक़्त लगता है. हालांकि किराया करीब 4 से 5 हजार रुपए ही लगता है. इन जहाज़ों के टिकट आप लक्षद्वीप टूरिज्म की वेबसाइट से बुक कर सकते हैं. अगत्ती पहुंचने के बाद करावत्ती के लिए हेलिकॉप्टर की भी सुविधा है. ट्रैवल कंपनी मेक माई ट्रिप (Make My Trip) के मुताबिक, दिल्‍ली से लक्षद्वीप (Delhi-Lakshadweep Tour Package) जाने के लिए 5 दिन और चार रातों का खर्च 25 से 50 हजार रुपए के आसपास है. इसका शुरुआती टूर पैकेज 20 हजार रुपए का है.

लक्षद्वीप में घूमेंगे कहां? करेंगे क्या?

स्थानीय लोग, ज्यादातर मछलियां पकड़ते हैं. आप कुछ चीजें और भी कर सकते हैं. रुकने के लिए कुछ द्वीपों पर रिसॉर्ट और होटल भी हैं. खास द्वीपों पर ख़ास तरह का मनोरंजन मिल सकता है. मसलन,

- कवरत्ती लक्षद्वीप की राजधानी है. यहां वाटर स्पोर्ट्स के मजे ले सकते हैं. ग्लास फ्लोर वाली बोट चलती हैं. इनके आर-पार समंदर दिखता है. कवरत्ती में ही मोहिउद्दीन मस्जिद है. इसे उजरा मस्जिद भी कहते हैं. ये 17वीं शताब्दी में बनी है. इसके खम्भों पर बारीक नक्काशी की गई है. 
- बंगारम द्वीप एक निर्जन द्वीप है. यहां कोई नहीं रहता. घूमने के लिए पर्यटक जाते हैं. नैचरल ब्यूटी देखने.
- मिनिकॉय द्वीप भी टूरिस्ट्स के बीच मशहूर है. यहां साल 1885 में अंग्रेजों का बनाया 162 फीट ऊंचा लाइट हाउस है. इसे बनाने के लिए लंदन से ईंटें लाई गई थीं. इस लाइटहाउस से सूर्यास्त का नज़ारा शानदार दिखता है. 
- अगत्ती द्वीप पर साफ समुद्र का पानी है. तट के करीब ही मछलियां भी रहती हैं. यहां स्कूबा डाइविंग भी कर सकते हैं. समुद्री कछुए, शार्क वगैरह भी देखने को मिल जाती हैं.
- कदमत द्वीप बोटिंग, स्नॉर्कलिंग और ग्लास फ्लोर वाली बोट के लिए जाना जाता है. स्कूबा डाइविंग भी कर सकते हैं.

टूरिज्म की चुनौतियां

लक्षद्वीप की मालदीव से तुलना इसलिए भी की जा रही है क्योंकि दोनों में एक बड़ी समानता है. दोनों के समुद्री किनारे सफेद रेत वाले हैं. जबकि भारत के बाकी समंदर किनारों की रेत पीली है. यानी सब कुछ बिंदास है. लेकिन ये चिंता भी जताई जा रही है कि यहां टूरिज्म बढ़ाना आसान नहीं है. सरकारी वेबसाइट tourism.gov.in की साल 2018 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, लक्षद्वीप में कुल 19 होटल और रिसॉर्ट हैं. इनमें साल 2017 से 2018 तक कुल 34,332 टूरिस्ट पहुंचे. हिंदुस्तान टाइम्स की एक खबर के मुताबिक, साल 2021-2022 में ये संख्या कुछ कम होकर 18,590 रह गई. ऐसा कोविड के चलते हुआ हो सकता है.

मालदीव के बजाय लक्षद्वीप जाने के अभियान तो चल रहे हैं. लेकिन उसके लिए पहले लक्षद्वीप को टूरिज्म स्पॉट की तरह डेवलप करने की जरूरत है. क्योंकि यहां अभी कुछ चुनौतियां हैं. जैसे-

- लक्षद्वीप में अभी टूरिज्म इंफ्रास्ट्रक्चर पूरी तरह डेवलप नहीं है. यहां कोई एयरपोर्ट नहीं है. बस अगत्ती द्वीप पर एक रनवे पट्टी है. लक्षद्वीप के लिए कोई सीधी फ्लाइट नहीं है. जैसा हमने आपको पहले बताया कि इसके लिए पहले कोच्चि जाना होता है. जबकि मालदीव के लिए कई सीधी फ्लाइट्स हैं.
- कागजी कार्रवाई, परमिट के लिए क्लियरेंस सर्टिफिकेट लेने की एक पूरी प्रक्रिया फॉलो करनी होती है, जबकि मालदीव जैसे देशों में वीजा ऑन अराइवल है. बस टूरिस्ट विंडो पर जाइए, पासपोर्ट दिखाइए और तय रकम अदा करके आपको वीजा मिल जाएगा.
- लक्षद्वीप में इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट से वहां के ईको-सिस्टम को भी खतरा हो सकता है. बीते दिनों अगत्ती में एक रनवे बनाने का काम शुरू हुआ था. लेकिन इसे बीच में रोकना पड़ा. क्योंकि इससे कछुओं के हैबिटैट पर असर पड़ रहा था. ऐसी जगहों पर भारी कंस्ट्रक्शन यूं भी उसकी प्राकृतिक सुन्दरता को प्रभावित ही करेगा.
- लक्षद्वीप में इन्टरनेट कनेक्टिविटी भी सीमित है. केवल BSNL ही अकेला सर्विस प्रोवाइडर है. इसलिए कार्ड और डिजिटल पेमेंट में भी टूरिस्ट्स को दिक्कत होती है.

लेकिन ये चुनौतियां इतनी भी बड़ी नहीं कि इन्हें दूर न किया जा सके. साल 2021 में लक्षद्वीप विकास प्राधिकरण ने एक टूरिस्ट प्रोजेक्ट शुरू किया था. इसके तहत कई द्वीपों पर विला बनाए गए हैं. टाटा ग्रुप से जुड़ी होटल कंपनी ने भी रिसॉर्ट्स बनाने का ऐलान किया है. और अब भारत सरकार, मिनिकॉय द्वीप पर एयरपोर्ट बनाने जा रही है. इस एयरपोर्ट से फाइटर जेट्स, मिलिट्री एयरक्राफ्ट्स और कमर्शियल जहाज उड़ान भरेंगे.

वीडियो: मालदीव और लक्षद्वीप के विवाद पर भारतीय पर्यटकों ने क्या कहा?

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