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  • Capt Pradeep Arya: India's first IRS officer to get Shaurya Chakra for killing terrorists along the LoC

हर भारतीय को गर्व होता है जब एक इनकम टैक्स ऑफिसर को शौर्य चक्र मिलता है

LoC पर आतंकवादियों से लड़ने के लिए कप्तान प्रदीप शौरी आर्य को शौर्य चक्र मिला है.

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दर्पण
31 जनवरी 2018 (Updated: 31 जनवरी 2018, 11:13 AM IST)
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एक भारतीय सैनिक जब अपनी वीरता, साहस और आत्म बलिदान के बल पर शौर्य चक्र प्राप्त करता है तो वीरता की किताब में एक और पाठ जुड़ता है. लेकिन यही पुरस्कार यदि किसी इनकम टैक्स ऑफिसर को LoC पर दुश्मन से लड़ने के लिए मिलता है, तो यह गर्व के साथ-साथ ख़ुशी भी देता है. कप्तान प्रदीप शौरी आर्य, देश के पहले ऐसे भारतीय राजस्व सेवा अधिकारी (आईआरएस) और एडिशनल कमिश्नर ऑफ़ इनकम टैक्स , मुंबई (इन्वेस्टिगेशन विंग) हैं जिन्हें कश्मीर में घुसपैठ रोकने में किए उनके प्रयासों के लिए शौर्य चक्र प्रदान किया गया था. वे वहां पैराशूट रेजिमेंट  (विशेष बल) की चौथी बटालियन के साथ जुड़े हुए थे. Pradeep - 1

# घटना क्या थी?

कप्तान शौरी, जम्मू और कश्मीर के बारामूला जिले में नियंत्रण रेखा पर एक प्रभावी खुफिया नेटवर्क बनाने के मिशन के लीडर थे. 28 मई, 2017 को उन्हें एक संभावित घुसपैठ के बारे में पता चला जिसमें लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) शामिल थी. कप्तान आर्य ने एक एंबुश-पार्टी का आयोजन किया और नियंत्रण रेखा की फॉरवर्ड पोस्ट में मोर्चा संभाल कर संभावित घुसपैठ के मार्ग में घात लगाने और अवरोध पैदा करने (इंटरसेप्ट-कम-एंबुश) का कार्य किया. भारतीय सेना ने जारी एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा, '28 मई, 2017 को लगभग 10.30 बजे, कैप्टन आर्य ने नाला में 200 मीटर आगे 4-6 आतंकियों के मूव का पता लगाया था. इस खतरे को भांपते हुए कि अमावस्या की रात और घने जंगल के चलते कहीं आतंकवादी भागने में सफल न हो जाएं, अधिकारी और उनके दल ने अतुलनीय वीरता दिखाते हुए खनन के क्षेत्र में आगे बढ़कर उन्हें बीच में ही रोक दिया और तुरंत फायर-फाइट की शुरुआत की.'Pradeep - 2

# गोली नहीं जानती कि आप आईआरएस अधिकारी हैं

आज, जब कप्तान आर्य अपने नौकरशाही अवतार के साथ मुंबई में वापस आए तो हमसे बातचीत के दौरान उन्होंने कहा, 'जब इस पुरस्कार के बारे में आयकर विभाग को जानकारी मिली, तो सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्स (सीबीडीटी) के अध्यक्ष सुशील चंद्र ने मुझे बधाई दी.' उन्होंने आगे कहा, 'एक बार जब गोली आपके पास से गुज़रती है तो वो ये देखकर दिशा नहीं बदलती कि सामने एक आईआरएस अधिकारी है. वो आपके आर-पार हो जाती है. हर चरण एक आपात स्थिति होती है, हमें अच्छी तरह से जागरूक रहना चाहिए और किसी भी तरह के हालातों से निपटने के लिए तैयार रहना चाहिए.' कप्तान आर्य को 20 नवंबर, 2009 को 106 इन्फैंट्री बटालियन प्रादेशिक सेना (Territorial Army / TA) में कमिशन्ड किया गया और शुरुआत से ही पैराशूट रेजिमेंट (विशेष बल) से जोड़ा गया. कैप्टन आर्य ने बताया, 'पैराशूट रेजिमेंट इसलिए क्योंकि मैं एक एविएटर हूं - एक प्रशिक्षित पायलट.'Pradeep - 3

# एक नौकरशाह के रूप में भी राष्ट्रपति द्वारा पुरस्कृत हो चुके हैं प्रदीप शौरी आर्य

जब एक नौकरशाह होने के बारे में उनसे पूछा गया, कि उनके लिए क्या चुनौतीपूर्ण है? कप्तान आर्य ने जवाब दिया, 'हर बार जब मैं वहां जाता हूं, तो मुझे अपने आप को बताना होता है कि मैं एक आईआरएस अधिकारी नहीं हूं. यह सबसे महत्वपूर्ण और चुनौतीपूर्ण पहलू है. यदि आप अपने स्टेट्स और अहंकार के साथ वहां जाते हैं तो लोग आपका उस बात के लिए कभी सम्मान नहीं करेंगे जो कि आप हैं.' 2013 में, कर्नाटक और पूर्वोत्तर राज्य नागालैंड में चुनाव के दौरान बड़ी संख्या में नकदी को प्रभावी ढंग से नियंत्रित करने के लिए कैप्टन आर्य को राष्ट्रपति के हाथों से भारतीय चुनाव आयोग द्वारा स्थापित, 'बेस्ट इलेक्टोरल प्रेक्टिसेज़' पुरस्कार भी दिया जा चुका है. जब उनसे पूछा गया कि उन्हें सीमा पर गोलियों से लड़ते हुए देखकर परिवार की क्या प्रतिक्रिया रहती तो कप्तान आर्या ने उत्तर दिया, 'हालांकि वे खुश होते हैं कि आप वहां गए और आपने कुछ किया लेकिन एक वक्त को, जो मैं कर रहा हूं, उससे वे खुश नहीं हैं. कभी-कभी मेरी दोनों बेटियां और मेरी पत्नी हमारी सेना यूनिट को विज़िट करते हैं. लेकिन मुझे लगता है इन वर्षों में अब मेरा परिवार सेना के परिवारों में मौत के मूल्य और मृत्यु की अवधारणा को समझता है.  इसलिए, यह मुझे परिवार के प्रति व्यक्तिगत प्रतिबद्धता और देश के प्रति राष्ट्रीय प्रतिबद्धता के बीच सामंजस्य की कोशिशों का बराबर में बांटता है.'Pradeep - 4

# क्या होती है टेरीटोरियल आर्मी?

प्रादेशिक सेना यानी टेरीटोरियल आर्मी (Territorial Army/TA) भारतीय सेना की ही एक ईकाई है. सामान्य श्रमिक से लेकर सिविल सर्वेंट तक भारत के सभी अट्ठारह से बयालीस वर्ष तक के नागरिक, जो शरीर से समर्थ हों, इसमें भर्ती हो सकते हैं. यह हमारी रक्षापंक्ति की सेकंड लाइन है. युद्ध के समय फ्रंट लाइन में तैनाती के लिए भी इसका उपयोग होता है. टेरीटोरियल आर्मी के स्वयं-सेवकों को प्रति वर्ष कुछ दिनों का सैनिक प्रशिक्षण दिया जाता है ताकि ज़रूरत पड़ने पर देश की रक्षा के लिये उनकी सेवाएं ली जा सकें. भारतीय संविधान सभा द्वारा सितंबर, 1948 में पारित प्रादेशिक सेना अधिनियम - 1948 के अनुसार भारत में अक्टूबर, 1949 में टेरीटोरियल आर्मी स्थापित हुई. इसका उद्देश्य संकटकाल में आंतरिक सुरक्षा का दायित्व लेना और आवश्यकता पड़ने पर नियमित सेना को सपोर्ट देना तथा इस तरह से पार्ट टाइम ही सही नवयुवकों को देशसेवा का अवसर प्रदान करना है.
9 अक्तूबर को टेरिटोरियल आर्मी दिवस मनाया जाता है. 

कुछ और ज्ञान की बातें यहां पढ़ें:कितनी है भारतीय सांसदों की सैलरी, और क्या है ब्रेकअप?

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