इस अमेरिकी महिला ने सऊदी अरब में शादी करके क्या ग़लती कर दी?
सऊदी अरब में गार्डियनशिप को लेकर क्या कानून है?

अमेरिका की नागरिक कार्ली मॉरिस के लिए पिछले आठ महीने किसी बुरे सपने से कम नहीं बीते हैं. उसकी एकमात्र ग़लती ये थी कि उसने अपने पूर्व पति का भरोसा किया और सऊदी अरब चली आई. वहां पहले उसकी बेटी को उससे अलग किया गया. शिकायत करने पर उलटा उसे ही जेल में डाल दिया गया. जब वो किसी तरह जेल से छूटी तो बेटी के साथ बाहर जाने पर पाबंदी लगा दी गई. इन सबके पीछे सऊदी अरब का गार्डियनशिप कानून या विलाया व्यवस्था है.
तो, आज हम जानेंगे,
- कार्ली मॉरिस की पूरी कहानी क्या है?
- उनके साथ सऊदी अरब मे क्या हुआ?
- और, सऊदी अरब में गार्डियनशिप को लेकर क्या कानून है?
इस कहानी की शुरुआत 2012 में हुई थी.
अमेरिका में धर्म-परिवर्तन करके मुस्लिम बनी कार्ली मॉरिस एक इस्लामिक मैरिज वेबसाइट पर अपनी प्रोफ़ाइल चेक कर रही थी. इतने में एक नोटिफ़िकेशन फ़्लैश हुआ. किसी ने उसमें दिलचस्पी दिखाई थी. उसने हेलो भेजा था. वो मेसेज सऊदी अरब से अमेरिका आए एक लड़के का था. मॉरिस ने बात आगे बढ़ाई. पता चला कि वो लड़का सात साल के स्कॉलरशिप वीजा पर अमेरिका आया था. दोनों को एक-दूसरे का साथ पसंद आया. फिर उन्होंने आपस में शादी कर ली. शादी के दो बरस बाद उन्हें एक बच्ची हुई. उन्होंने उसका नाम रखा, ताला.
कुछ समय तक तो रिश्ता ठीक चला. उन्होंने साथ में सऊदी अरब में बसने का फ़ैसला भी कर लिया था. लेकिन 2018 में उनके बीच खटपट शुरू हो गई. फिर वे अलग हो गए. उन्होंने तलाक ले लिया था. 2019 में सऊदी पुरुष के वीजा का टर्म पूरा हो चुका था. वो वापस जाने के लिए तैयार था. मगर अकेले नहीं. उसने मॉरिस के सामने ख़ूब मनुहार की. कहा कि, तुम बच्ची के साथ एक बार हमारे मुल्क़ चलो. वहां ताला अपने दादा-दादी से मिल लेगी. उन्हें ये अच्छा लगेगा. मॉरिस इसके लिए राज़ी हो गई. मॉरिस और ताला के लिए सऊदी अरब का 30 दिनों का टेंपररी वीजा मिला.
2019 की गर्मियों में तीनों सऊदी अरब पहुंचे. सऊदी पुरुष का नाम अभी तक बाहर नहीं आया है. हम उसे एक सांकेतिक नाम देते हैं, एक्स.
एक्स ने मॉरिस और ताला को अपने घर में नहीं रखा. इसकी बजाय उसने दोनों के लिए एक होटल का इंतज़ाम किया. होटल के कमरे में घुसते ही मॉरिस का माथा ठनका. उसके कमरे में कोई खिड़की नहीं थी. वहां इंटरनेट भी नहीं था. और तो और, होटल में मॉरिस का फ़ोन भी ठीक से काम नहीं कर रहा था. लेकिन ये मुश्किलों की शुरुआत भर थी. अभी तो मॉरिस को बहुत कुछ झेलना था.
एक हफ़्ते बाद एक्स ने मॉरिस का पासपोर्ट और बर्थ सर्टिफ़िकेट मांगा. उसने ये कहा कि वो ताला का एग्जिट परमिट बनवा रहा है. इसकी बजाय एक्स ने ताला को सऊदी अरब की नागरिकता दिला दी. मॉरिस को इस बात का पता कई महीने बाद चला.
सऊदी अरब में दोहरी नागरिकता की व्यवस्था नहीं है. यानी, आप एक समय में सऊदी अरब के साथ किसी दूसरे देश के नागरिक नहीं हो सकते. चूंकि एक्स ने ताला को सऊदी अरब की नागरिकता दिलवा दी थी, इसके चलते उसकी अमेरिकी नागरिकता अपने आप खत्म हो गई थी.
अब यहां पर सऊदी अरब के एक और कानून का पेच फंसा. मेल गार्डियनशिप लॉ या विलाया सिस्टम.
इस कानून के तहत, सऊदी अरब में पैदाइश से लेकर निक़ाह तक किसी महिला का कानूनी अभिभावक उसका पिता होता है. निक़ाह के बाद ये अधिकार उसके पति को मिल जाता है. अगर कोई विदेशी महिला किसी सऊदी पुरुष से शादी करती है, तब उसके ऊपर भी ये कानून लागू होता है.
मॉरिस की कहानी को थोड़ी देर के लिए यहीं पर रोकते हैं.
पहले सऊदी अरब के मेल गार्डियनशिप सिस्टम के तीन मुख्य बिंदु जान लीजिए. इसके तहत,
- नंबर एक. किसी महिला के जीवन से जुड़े अहम फ़ैसले लेने का अधिकार उसके पति, भाई, पिता या बेटे के पास है. वही महिला का लीगल गार्डियन होता है. किन-किन कामों के लिए लीगल गार्डियन का परमिशन चाहिए?
> पासपोर्ट के लिए अप्लाई करने के लिए.
> शादी करने के लिए.
> कहीं यात्रा करने के लिए.
> अगर महिला के साथ कोई हिंसा हुई है और वो वीमेंस शेल्टर में रह रही है तो वहां से निकलने के लिए भी लीगल गार्डियन की हामी ज़रूरी है.
- नंबर दो. सऊदी सरकार इस सिस्टम के पीछे क़ुरान और शरिया कानून का हवाला देती है. लेकिन कई मुस्लिम स्कॉलर्स मानते हैं कि सऊदी सरकार अपने हिसाब से क़ुरान की व्याख्या करती है. वे दावा करते हैं कि इस्लाम इस तरह के नियमों की इजाज़त नहीं देता.
- नंबर तीन. जुलाई 2021 में सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (MBS) ने विलाया सिस्टम में कुछ ढील दी थी. इसके तहत 21 साल से ऊपर की महिलाओं पर लगी कई पाबंदियां हटाने का दावा किया गया. कहा गया कि अब महिलाएं ड्राइविंग कर सकतीं है. ख़ुद से पासपोर्ट भी बनवा सकतीं है. वो घर की मालकिन भी बन सकतीं है. और, चाहें तो कहीं पर काम भी कर सकतीं है. कानून तो बदल गया, लेकिन बदलाव धरातल पर नहीं आया. सऊदी अरब में वही रुढ़िवादी और कट्टर नियम कायम हैं. जिस सामाजिक कार्यकर्ता ने ड्राइविंग के अधिकार के लिए प्रोटेस्ट किया था, उन्हें 2021 तक जेल में रखा गया. जब उन्हें जेल से छोड़ा गया, तब उनके बाहर जाने पर पाबंदी लगा दी गई.
MBS के ऐलान को कई आलोचक दिखावे की तरह देखते हैं. उनका कहना है कि मेल गार्डियनशिप सिस्टम के सबसे घटिया नियमों को छुआ तक नहीं गया. महिला की शादी और घरेलू हिंसा में रहने या ना रहने में आज भी लीगल गार्डियन की हामी चाहिए.
कई लोगों का कहना है कि ये MBS का पीआर था. उन्होंने अपने शासन में चल रहे मानवाधिकार उल्लंघन पर हो रहे विरोध को कम करने के लिए ऐसा किया था. ये तो हुई सऊदी अरब के मेल गार्डियनशिप सिस्टम की कहानी. अब हम वापस मॉरिस की तरफ़ लौटते हैं.
मॉरिस के पति एक्स ने अपनी बेटी ताला को सऊदी अरब की नागरिकता दिला दी थी. अब वो ताला का लीगल गार्डियन बन चुका था. ताला उसकी इजाज़त के बिना सऊदी अरब से बाहर नहीं जा सकती थी. और, मॉरिस अपनी बेटी के बिना देश नहीं छोड़ना चाहती थी. एक्स ने मॉरिस के सभी दस्तावेज़ पहले ही ज़ब्त कर लिए थे. अब वो पूरी तरह से एक्स पर निर्भर हो चुकी थी. एक्स हर दिन सुबह में मॉरिस के होटल आता. वो ताला को अपने साथ ले जाता और फिर शाम को वापस छोड़ता था. मॉरिस पूरे दिन घुप्प अंधेरे कमरे में कै़द रहती थी. खाने के लिए भी वो एक्स पर ही निर्भर थी. वो हर सुबह खाने का एक डब्बा छोड़ जाता था.
उसने सऊदी अरब में मदद के लिए हरसंभव एजेंसी से गुहार लगाई. लेकिन उसके पास कोई जवाब नहीं आया. फिर उसने अमेरिकी संसद को चिट्ठी लिखनी शुरू की. मॉरिस को जहां कहीं से भी मदद की गुंज़ाइश दिखी, उसने वहां अपनी अपील भेजी. लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. इसका उलटा नुकसान हुआ. एक्स को इस बात का पता चल गया. वो मॉरिस पर बहुत गुस्सा हुआ.
फिर एक सुबह वो रूटीन के हिसाब से होटल आया. हमेशा की तरह मॉरिस शाम में होटल के अहाते में खड़ी होकर इंतज़ार कर रही थी. लेकिन उस दिन का इंतज़ार लंबा खिंच गया. रात बीत गई. एक्स नहीं आया.
मिडिल-ईस्ट आय की रिपोर्ट के अनुसार, मॉरिस अगले तीन महीनों तक अपनी बच्ची के लिए परेशान रही. वो एक्स के घर गई. वहां कोई नहीं मिला. फिर उसने पुलिस में शिकायत की. ताला तीन महीने बाद मिल गई.
मॉरिस ने इस बारे में एक अख़बार से कहा था,
‘मुझे विश्वास नहीं होता कि वे एक औरत से उसके बच्चे को कैसे छीन सकते हैं. मुझे ये भी नहीं पता कि मेरी बच्ची कहां थी. वे उसे कहां ले गए थे? मैं ये भी नहीं जानती थी कि वो ज़िंदा है भी या नहीं. मैं दो महीने तक हर रोज़ ये सोच-सोचकर रोती रहती थी. वे मेरे फ़ोन और मेसेज का जवाब तक नहीं देते थे. ये निर्दयता थी.’
जिस समय ताला गायब थी, उस समय एक्स अपनी बेटी की कस्टडी के लिए अदालत चला गया था. जब मॉरिस को इस बात का पता चला, तब वो कोर्ट पहुंची. अगस्त 2022 में कोर्ट ने बच्ची की कस्टडी मॉरिस को सौंप दी. उसे अपना पासपोर्ट भी मिल गया. लेकिन अभी समस्या बाकी थी. मॉरिस तो वापस लौट सकती थी. मगर ताला को ले जाने के लिए एक्स की सहमति ज़रूरी थी.
अमेरिका के विदेश मंत्रालय की वेबसाइट पर इस संबंध में कुछ नियम लिखे हुए हैं. एक-एक कर बता देते हैं.
- किसी भी शादीशुदा महिला, भले ही वो सऊदी अरब की नागरिक ना हो, उसको सऊदी अरब से बाहर जाने के लिए अपने पति की अनुमति चाहिए. बच्चियों और गैर-शादीशुदा महिलाओं के संबंध में उनके पिता या मेल गार्डियन की इजाज़त चाहिए.
- नाबालिग बच्चों को भी सऊदी अरब से बाहर निकलने के लिए अपने पिता की परमिशन चाहिए. अगर बच्चे की कस्टडी मां के पास है, फिर भी उसका पिता चाहे तो उसे बाहर जाने से रोक सकता है. ऐसी स्थिति में अमेरिकी दूतावास या कॉन्सुलेट उनके लिए एग्जिट वीजा उपलब्ध नहीं करा सकता.
- सऊदी अरब की अदालत अपवाद की स्थिति में ही किसी तलाकशुदा महिला को बच्चे के साथ बाहर जाने की इजाज़त देती है. भले ही किसी अदालत ने उसकी फ़िजिकल कस्टडी सौंप दी हो.
अमेरिका के एक मानवाधिकार संगठन की रिपोर्ट के अनुसार, कम से कम 50 अमेरिकी महिलाएं अपने बच्चों को सऊदी अरब से बाहर लाने की लड़ाई लड़ रहीं हैं. अगर बाकी पश्चिमी देशों के आंकड़े जोड़ दिए जाएं तो ये संख्या कई गुणा तक बढ़ जाती है.
पीड़ित महिलाओं के परिवारवाले ये आरोप लगाते रहे हैं कि उनकी सरकार उनकी समस्याओं पर ध्यान नहीं देतीं. वो सऊदी अरब के तेल के चक्कर में अपने ही नागरिकों के अधिकारों का हनन होने से नहीं रोकतीं. रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद से सऊदी अरब के तेल पर उनकी निर्भरता बढ़ी है.
आज हम ये सब कहानी क्यों सुना रहे हैं?दरअसल, 07 नवंबर को कार्ली मॉरिस को सऊदी पुलिस का बुलावा आया था. उनसे कहा गया था कि आपके पूर्व पति के आई-कार्ड में कुछ समस्या है. जब मॉरिस थाने में पहुंची, तब उसे अरेस्ट कर लिया गया. मॉरिस की मां का आरोप है कि जेल में उनकी बेटी को नंगा किया गया, उनके साथ मारपीट भी की गई.
09 नवंबर को मॉरिस को रिहा कर दिया गया. जब वो अपने होटल के कमरे में वापस पहुंची, तब वहां से सारा सामान हटा लिया गया था. यहां तक कि एक कपड़ा तक नहीं छोड़ा गया था. उनके कमरे के बाहर लगा सीसीटीवी कैमरा भी नहीं रहने दिया गया. अमेरिका की सरकार ने ये ज़रूर कहा है कि वो मामले पर नज़र बनाए हुए है. लेकिन कार्ली मॉरिस का संघर्ष अभी भी जारी रहने वाला है.
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